अगर आपको फ्री वाई-फाई मिले तो आप क्या करेंगे? फिल्में डाउनलोड करेंगे? वीडियो देखेंगे? एप्स डाउनलोड करेंगे? फोन अपडेट करेंगे या फिर कुछ और? फ्री वाई-फाई की जहां तक बात है तो भारतीयों का ट्रैक रिकॉर्ड कुछ अच्छा नहीं रहा है. पटना स्टेशन की बात ही ले लीजिए. फ्री वाई-फाई लगने के बाद वहां सबसे ज्यादा लोगों ने पोर्न देखा. पर एक ऐसा स्टेशन भी है जहां फ्री वाई-फाई का सही उपयोग किया गया.
ये स्टेशन है केरल का एर्नाकुलम स्टेशन. जहां लगभग सभी सिविल सर्विस प्रतिभागियों का दैनिक रूटीन किताबों के आस-पास घिरा हुआ रहता है, वहीं एक प्रतिभागी श्रीनाथ के. की दिनचर्या थोड़ी अलग थी. श्रीनाथ अपना फोन और हेडफोन लेकर काम पर जाते और वहीं पढ़ाई करते. श्रीनाथ एर्नाकुलम स्टेशन में कुली का काम करते हैं.
दिन भर कड़ी मेहनत और लोगों का सामान सिर पर, कंधे पर रखकर चलते श्रीनाथ हेडफोन और स्टेशन के फ्री वाई-फाई के जरिए ऑऩलाइन ऑडियो कोर्स पूरा करते हैं. पिछले पांच सालों से कुली का काम कर रहे श्रीनाथ ने अब केरल सिविल सर्विसेज की लिखित परीक्षा पास कर ली है. जी हां, श्रीनाथ ने अपनी लगन से ये काम पूरा कर लिया है. कहते हैं किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने की कोशिश करती है. हां, ये शाहरुख की फिल्म का डायलॉग ही है, लेकिन क्या इसमें कुछ गलत है? श्रीनाथ दूसरों का बोझ उठाते-उठाते अपना काम कर गए और सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली.
सारी पढ़ाई डिजिटल ही की. श्रीनाथ ने कुल 3 बार सिविल सर्विस की परीक्षा दी और ये पहली बार है जब इंटनेट का इस्तेमाल कर सफलता हासिल की है. वजन उठाते-उठाते श्रीनाथ अपने कोर्स के सवालों का अभ्यास करते थे और दिमाग में ही प्रश्न हल करते थे. श्रीनाथ कभी कॉलेज नहीं गए. रात होते ही वो अपने दिन भर के कोर्स को फिर से रिवाइज करते थे.
श्रीनाथ मुन्नार...
अगर आपको फ्री वाई-फाई मिले तो आप क्या करेंगे? फिल्में डाउनलोड करेंगे? वीडियो देखेंगे? एप्स डाउनलोड करेंगे? फोन अपडेट करेंगे या फिर कुछ और? फ्री वाई-फाई की जहां तक बात है तो भारतीयों का ट्रैक रिकॉर्ड कुछ अच्छा नहीं रहा है. पटना स्टेशन की बात ही ले लीजिए. फ्री वाई-फाई लगने के बाद वहां सबसे ज्यादा लोगों ने पोर्न देखा. पर एक ऐसा स्टेशन भी है जहां फ्री वाई-फाई का सही उपयोग किया गया.
ये स्टेशन है केरल का एर्नाकुलम स्टेशन. जहां लगभग सभी सिविल सर्विस प्रतिभागियों का दैनिक रूटीन किताबों के आस-पास घिरा हुआ रहता है, वहीं एक प्रतिभागी श्रीनाथ के. की दिनचर्या थोड़ी अलग थी. श्रीनाथ अपना फोन और हेडफोन लेकर काम पर जाते और वहीं पढ़ाई करते. श्रीनाथ एर्नाकुलम स्टेशन में कुली का काम करते हैं.
दिन भर कड़ी मेहनत और लोगों का सामान सिर पर, कंधे पर रखकर चलते श्रीनाथ हेडफोन और स्टेशन के फ्री वाई-फाई के जरिए ऑऩलाइन ऑडियो कोर्स पूरा करते हैं. पिछले पांच सालों से कुली का काम कर रहे श्रीनाथ ने अब केरल सिविल सर्विसेज की लिखित परीक्षा पास कर ली है. जी हां, श्रीनाथ ने अपनी लगन से ये काम पूरा कर लिया है. कहते हैं किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने की कोशिश करती है. हां, ये शाहरुख की फिल्म का डायलॉग ही है, लेकिन क्या इसमें कुछ गलत है? श्रीनाथ दूसरों का बोझ उठाते-उठाते अपना काम कर गए और सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली.
सारी पढ़ाई डिजिटल ही की. श्रीनाथ ने कुल 3 बार सिविल सर्विस की परीक्षा दी और ये पहली बार है जब इंटनेट का इस्तेमाल कर सफलता हासिल की है. वजन उठाते-उठाते श्रीनाथ अपने कोर्स के सवालों का अभ्यास करते थे और दिमाग में ही प्रश्न हल करते थे. श्रीनाथ कभी कॉलेज नहीं गए. रात होते ही वो अपने दिन भर के कोर्स को फिर से रिवाइज करते थे.
श्रीनाथ मुन्नार के रहने वाले हैं और कहते हैं कि जैसे ही वाई-फाई स्टेशन पर लगा उनके लिए नई संभावनाएं खुल गईं. उन्होंने कभी इससे पहले प्रशनपत्र के सवालों को हल नहीं किया था, लेकिन वाई-फाई लगने के बाद से ही वो 20-40 mbps की स्पीड में अपना काम करने लगे और ऑनलाइन एग्जाम फॉर्म से लेकर फ्री पढ़ने की सामग्री तक सब कुछ उनके स्मार्टफोन में ही उपलब्ध हो गया.
अगर श्रीनाथ इंटरव्यू में भी पास हो जाते हैं तो वो गांवों के लिए फील्ड असिस्टेंट के पद पर काम कर सकेंगे. श्रीनाथ कहते हैं कि कुली की तरह काम करते करते वो पढ़ना नहीं छोड़ेंगे क्योंकि उनका घर इसी पर निर्भर करता है. अगर वो ज्यादा से ज्यादा एग्जाम दे पाए तो उन्हें एक अच्छी नौकरी मिल जाएगी.
श्रीनाथ ने हाल ही में रेलवे की परीक्षा भी दी थी जिसमें 62000 नौकरियां निकली थीं. उनका सपना क्या है? वो सिर्फ ऐसी कोई नौकरी पाना चाहते हैं कि वो अपने गांव की दिशा बदल सकें.
यात्रियों को फ्री वाई-फाई की सुविधा 2016 से मिल रही है और तब से लेकर अब तक सरकारी स्कीम के तहत कम से कम 685 रेलवे स्टेशन पर वाई-फाई का इस्तेमाल शुरू हो गया है. ज़रा खुद सोचिए 685 रेलवे स्टेशन और लाखों यात्री साल भर से ऊपर का समय और ये पहली ऐसी खबर है जिसमें ऐसा लगता है कि लोग कम से कम किसी अच्छी सुविधा का सही इस्तेमाल कर रहे हैं.
गाहे-बगाहे ऐसे कुछ ही लोग मिलते हैं जो सुविधा का सही इस्तेमाल करते हैं. वैसे तो जहां देखिए वहां हमारे देश में लोग फ्री के सामान का गलत इस्तेमाल कुछ ज्यादा ही करते हैं. ये वो लोग हैं जो कहीं होटल में भी जाते हैं तो साबुन और शैंपू जो फ्री मिलता है उसे उठाकर ले आते हैं. कम से कम ऐसे लोगों के बीच एक अच्छी खबर सुनकर अच्छा लगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.