रमज़ान (Ramadan ) का आखिरी हफ़्ते है उसके बाद ईद (Eid ) का जश्न. ईद का शुमार मुसलमानों (Muslims ) के सबसे बड़े और अहम त्योहारों में है. जब त्योहार बड़ा होगा तो ज़ाहिर है तैयारियां भी बड़ी होंगी. मगर कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरा देश अपने घरों में रहने को बाध्य है इसलिए त्योहार का रंग फीका है. सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) ही बीमारी से बचने का एकमात्र जरिया है इसलिए सरकार ने सभी धार्मिक अनुष्ठानों पर पाबंदी लगा रखी है. अब सरकार कोई फैसला करें उस पर आलोचना ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता. ईद का भी मामला कुछ ऐसा ही है. मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग है जो सरकार के विरोध में सामने आया है और जिसका यही कहना है कि वो त्योहार मनाएगा. ध्यान रहे कि यही वह वर्ग था जिसे पहले अपनी इबादत को लेकर समस्या थी. हम तमाम ऐसी तस्वीरें देख चुके हैं जिनमें केंद्र और राज्य सरकारों के मना करने के बावजूद लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ते दिखे. अब एक बार फिर ये लोग बाजारों में है और नियम कानूनों की परवाह किए बगैर जमकर ईद की शॉपिंग कर रहे हैं. जैसे हालात हैं कहा जा सकता है कि मुसलमानों के बीच पहले झगड़ा इबादत का था और अब बस ईद की खरीदारी को लेकर है.
बात ईद की हुई है तो हमारे लिए भी यह बताना बहुत जरूरी है कि सऊदी अरब, तुर्की जैसे तमाम मुल्क हैं जिन्होंने ईद के दौरान कर्फ्यू की घोषणा की है. साफ है कि यह मुल्क नहीं चाहते कि इनके निवासी भावना में बहकर कोरोना जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आएं.
वहीं बात अगर भारत की हो यह मामला दूसरा है मुस्लिम समुदाय के लोगों की ठीक ठाक आबादी ऐसी है जिन्हें लगता है कि सरकार, कोरोना के इस दौर में त्योहारों पर पाबंदी लगाकर उनके धार्मिक अधिकारों का हनन कर रही है. अब इसे सरकार...
रमज़ान (Ramadan ) का आखिरी हफ़्ते है उसके बाद ईद (Eid ) का जश्न. ईद का शुमार मुसलमानों (Muslims ) के सबसे बड़े और अहम त्योहारों में है. जब त्योहार बड़ा होगा तो ज़ाहिर है तैयारियां भी बड़ी होंगी. मगर कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरा देश अपने घरों में रहने को बाध्य है इसलिए त्योहार का रंग फीका है. सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) ही बीमारी से बचने का एकमात्र जरिया है इसलिए सरकार ने सभी धार्मिक अनुष्ठानों पर पाबंदी लगा रखी है. अब सरकार कोई फैसला करें उस पर आलोचना ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता. ईद का भी मामला कुछ ऐसा ही है. मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग है जो सरकार के विरोध में सामने आया है और जिसका यही कहना है कि वो त्योहार मनाएगा. ध्यान रहे कि यही वह वर्ग था जिसे पहले अपनी इबादत को लेकर समस्या थी. हम तमाम ऐसी तस्वीरें देख चुके हैं जिनमें केंद्र और राज्य सरकारों के मना करने के बावजूद लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ते दिखे. अब एक बार फिर ये लोग बाजारों में है और नियम कानूनों की परवाह किए बगैर जमकर ईद की शॉपिंग कर रहे हैं. जैसे हालात हैं कहा जा सकता है कि मुसलमानों के बीच पहले झगड़ा इबादत का था और अब बस ईद की खरीदारी को लेकर है.
बात ईद की हुई है तो हमारे लिए भी यह बताना बहुत जरूरी है कि सऊदी अरब, तुर्की जैसे तमाम मुल्क हैं जिन्होंने ईद के दौरान कर्फ्यू की घोषणा की है. साफ है कि यह मुल्क नहीं चाहते कि इनके निवासी भावना में बहकर कोरोना जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आएं.
वहीं बात अगर भारत की हो यह मामला दूसरा है मुस्लिम समुदाय के लोगों की ठीक ठाक आबादी ऐसी है जिन्हें लगता है कि सरकार, कोरोना के इस दौर में त्योहारों पर पाबंदी लगाकर उनके धार्मिक अधिकारों का हनन कर रही है. अब इसे सरकार का विरोध कहें या धार्मिक आज़ादी के नाम पर खोखले ईगो को संतुष्ट करने की भूख ये लोग नियमों की अनदेखी कर बाजारों में भरे पड़े हैं और जमकर ईद की शॉपिंग कर रहे हैं.
मामला कितना गंभीर है इसे हम उस वीडियो से समझ सकते हैं जो इंटरनेट पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. @lubnaurifat नाम की यूजर द्वारा पोस्ट किये गए इस वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि कुछ महिला और पुरुष अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ शॉपिंग कर रहे हैं तभी एक व्यक्ति दुकान में आकर उन्हें समझाने की कोशिश करता है मगर लोग कहां मानने वाले। साफ़ दिख रहा है कि लोग उस व्यक्ति की बातों को अनसुना कर रहे हैं.
एक समझदार व्यक्ति का इस तरह दुकान में आना और लोगों को नसीहत करना @lubnaurifat जैसे लोगों को बिलकुल भी रास नहीं आया है. इनका कहना है कि आखिर किस फतवे में ये कहा गया है कि कोरोना के इस मुश्किल समय में व्यक्ति ईद नहीं मना सकता। शॉपिंग नहीं कर सकता.
इस थ्रेड पर जैसी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं उनमें लोग दो हिस्सों में बंटे हैं एक हिस्सा वो है जो @lubnaurifat के साथ है तो वहीं दूसरा वर्ग वो है जो नहीं चाहता कि लोग ईद मनाएं. ये वर्ग प्रायः यही कहता नजर आ रहा है कि बीमारी किसी एक समुदाय पर नहीं बल्कि पूरे देश पर आई है और हमें हर सूरत में देश की सरकार का साथ देना चाहिए.
साफ़ है कि ईद न मनाने के फैसले से लोग उन कट्टरपंथियों के मुंह पर तमाचा जड़ रहे हैं जो इस मुद्दे पर लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं.
लोगों के रवैये से साफ़ है कि वो ईद को लेकर देश की सरकार के साथ हैं और नहीं चाहते कि धर्म के नाम पर कोरोना फैले.
बहरहाल, दुकान के अंदर आकर लोगों को डांटते उस मुस्लिम व्यक्ति की बातों का कितना असर लोगों पर होगा? लोग त्योहार मनाएंगे या नहीं? इन सब सवालों के जवाब वक़्त देगा. मगर बात चूंकि ईद की हुई है तो भारत के मुसलमानों को सऊदी अरब से प्रेरणा लेनी चाहिए जहां ईद के मद्देनजर कर्फ्यू की घोषणा कर दी गयी है.
सऊदी हुकूमत जानती है कि फ़िलहाल उन्हें कोरोना से लड़ना है. अगर आज ये कोरोना से बच गए तो कल ईद और बकरीद भी मना पाएंगे और नए कपड़े भी ले पाएंगे. काश भारत के मुसलमान इसी बात की सीख सऊदी से लें और वो सावधानियां बरतें जो उनके साथ साथ कइयों की ज़िन्दगी बचाने की क्षमता रखती है.
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