'बीमारी' (Disease) और 'मौत' (Death) ये दो हकीकत हैं. इन्हें चाहता तो कोई नहीं है, लेकिन ये किसी को भी बिन बताए आ जाते हैं. यह हमेशा से है और हमेशा रहने वाली चीज़ें हैं. मनुष्य जब तक हैं तब तक बीमारी भी है और मौत भी है. इनसे छुटकारा नहीं पाया जा सकता है. लेकिन इन दिनों देश के हालात ऐसे हो गए हैं कि जहां कोरोना वायरस (Coronavirus) तेज़ी के साथ देश भर में फैलता जा रहा है. तो वहीं देश के कई राज्यों में लोग बुरी तरह इसके चपेट में आ चुके हैं. स्थिति गंभीर है. ऐसे समय में मौत और अन्य बीमारी न ही आएं तो बेहतर है. पूरा देश इन दिनों अपने-अपने घरों में कैद है और मौत के डर की वजह से ही कैद है. घर से बाहर निकलना एक खतरा है, सरकार ने पूरे देश में लॅाकडाउन (Lockdown) का ऐलान कर रखा है और इसे सख्ती के साथ सफल भी बना रही है. ताकि आप महफूज़ रह सकें. आपका परिवार सुरक्षित रह सके. ये बात देश के सभी नागरिकों को समझ आ चुकी है. शहर के शहर वीरान हैं. सड़कों पर सन्नाटा है. रेल के पहिये से लेकर हवाई जहाज तक सबकुछ थम गया है. बाज़ार सुनसान पड़े हैं.
इस युग के लोगों ने ऐसा सन्नाटा पहले कभी नहीं देखा था. ऐसा मंज़र पहली बार सामने आया है. देश की अर्थव्यस्था को भी चोट पहुंच रही है. हालात संभालने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों से तस्वीरें निकलकर सामने आ रही हैं. कुछ तस्वीरों में इंसानियत दिख रही है और कुछ में मानवता को शर्मसार किया जा रहा है.
कहीं लोग मजबूरों को राशन की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं. तो कहीं अस्पतालों में काम करने वाले लोगों को उनके घरों में नहीं आने के लिए कहा जा रहा है. वक्त है गुज़र जाएगा. ये इम्तिहान की घड़ी है लेकिन जैसी-जैसी तस्वीरें देखने को मिल रही है वह चौंकाने और झकझोर देने के लिए काफी है.
कोरोना वायरस का इलाज तब ही संभव है जब हम छोटी से छोटी सावधानियों को नजरअंदाज न करें
उत्तर प्रदेश का एक जिला है बुलंदशहरहाल. यहां से एक तस्वीर निकल कर सामने आयी थी. यहां एक परिवार में बुज़ुर्ग की मौत हो गई लॅाकडाउन के चलते रिश्तेदार अंतिम क्रियाक्रम के लिए नहीं पहुंच सके, जैसे-तैसे करके अन्य समुदाय के चंद लोग इकठ्ठा हुए और उस बुज़ुर्ग का अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन सोचने की बात यह है कि मरने वाले का मरना भी ऐसे वक्त में उसके परिवार वालों के लिए भी एक मौत ही है.
बहुत मुश्किल है ऐसे वक्त में किसी के लिए अंतिम क्रियाक्रम को अंजाम देना. हालात क्या क्या नहीं दिखला देते हैं इंसान को, और इंसान कितना विवश हो जाता है. ऐसे वक्त में, शायद ही किसी ने सोचा रहा हो कि इस सदी में भी एक ऐसा वक्त आएगा जब उसे महीनों तक अपने आपको घरों में कैद करके रखना होगा.
कोरोना वायरस ने पूरे दुनिया भर को हिला करके रख दिया है. दुनिया भर में दस लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. दुनिया जिन जिन देशों के स्वास्थ्य विभाग का लोहा मानती थी उन देशों में भी मौत अपना कहर बरपा रही है. बड़े-बड़े देशों की कमर टूट चुकी है. हालात खस्ताहाल हैं. ऐसे में हर देश इस कोरोना नामक महामारी से बचने की जुगत ढूंढ रहा है.
कोई भी देश हो सब अपने-अपने नागरिकों की जान बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. उन्हीं देशों की सूची में भारत भी है. भारत में कोरोना वायरस और तेज़ी के साथ फैल सकता है. यहां की आबादी बेहद घनी है और यहां की संस्कृति भी बहुत मायने रखती है. लोग घुल-मिलकर रहते हैं इसलिए आंशका जताई जा रही है कि अगर कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत सरकार ने ज़रा सी भी चूक की तो बेहद नाज़ुक स्थिति होगी और हालात बेकाबू हो जाएंगें.
देश के प्रधानमंत्री ने अपना पूरा ध्यान कोरोना वायरस को रोकने में लगा रखा है. वह लगातार कोरोना वायरस के आंकड़ों पर नज़र बनाए हुए हैं, देश के लोगों को समय समय पर सम्बोधित भी कर रहे हैं. और स्वास्थ्य विभाग एवं राज्य सरकारों के साथ संपर्क भी बनाए हुए हैं. भारत सरकार, राज्य सरकारें, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा सभी इस वक्त युद्धस्तर पर कार्य करके इस महामारी को संभालने में जुटे हुए हैं.
कोरोना वायरस को रोकने के लिए यह ज़रूरी है कि इस वक्त यही प्राथमिकता भी होनी चाहिए. लेकिन ऐसे वक्त में अगर कोई किसी अन्य बीमारी का शिकार हो जाता है तो मामला गंभीर हो जाता है. सरकारी अस्पतालों को इस वक्त सिर्फ कोरोना से लड़ने के लिए कह दिया गया है और निजी अस्पताल कोई भी नया मरीज़ लेने को तैयार नहीं हैं.
कोरोना वायरस के लक्षण और वायरल या फ्लू जैसी बीमारियों के लक्षणों में ज़्यादा फर्क नही है.ऐसे में अस्पतालों में काम करने वाले स्टाफ हों या डॅाक्टर सभी डरे हुए हैं. बिना सुरक्षा कवच के वो मरीज़ को देखने से भी परहेज कर रहे हैं. निजी अस्पतालों में कार्यरत कुछ डॅाक्टर तो खुद की तबीयत खराब होने का बहाना करके घरों में कैद हो गए हैं. हालांकि ऐसे वक्त में भी कुछ डॅाक्टर मसीहा बनकर अस्पतालों में बैठ रहे हैं. लेकिन दहशत उनमें भी साफ देखने को मिल रही है.
मरीज़ को एक दूरी से देखा जा रहा है और उनके लक्षणों के आधार पर दवा दे दी जा रही है. डॅाक्टरों का यह एहतियात बरतना ज़रूरी है उन्हें हरगिज़ किसी भी तरह का खतरा नहीं लेना चाहिए. ऐसे में दिल तो यही कहता है कि जब तक ऐसे हालात बने हुए हैं तब तक किसी भी परिवार के लिए मौत और बीमारी यह दोनों ही एक बहुत बड़ी मुसीबत से कम नही होगी.
मौत से खुद को रोक पाना तो मुमकिन नहीं है. लेकिन एहतियात बरत कर बीमारियों से ज़रूर बचा जा सकता है. इसलिए ज़रूरी है कि आप स्वस्थ रहें अगर आप स्वस्थ रहेंगे तो अपने घरों में रहेंगें आपको अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगें. लेकिन अगर आप अस्वस्थ रहेंगें तो आपको अस्पतालों का रुख करना पड़ेगा परेशानियां तो झेलनी ही होगी. साथ में अगर अस्पतालों में भी किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए तो कोरोना वायरस का असर आप पर अधिक होगा.
आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस उनके लिए बेहद घातक हो सकता है जो पहले से बीमार हैं. जो लोग स्वस्थ हैं कोरोना उनके लिए भी खतरनाक है लेकिन जो लोग अस्वस्थ हैं कोरोना वायरस उनके लिए खतरनाक नहीं बल्कि जानलेवा भी है. कोरोना वायरस से बचने के लिए आपका स्वस्थ रहना भी बहुत ज़रुरी है इसलिए लोग एहतियात बरतें, स्वस्थ रहें, और घरों से बिल्कुल भी मत निकलें.
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