फिल्म स्टार कनिका कपूर (Kanika kapoor) को जब कोरोना (Corona) हुआ था तब हमने उसे महानालायक कहा था, और अब जब महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) कोरोना संक्रिमित हुए हैं तब हम सब उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआएं कर रहे हैं. इन चार-पांच महीनों में कोरोना पर हमारी समझ के रंग बदलते रहे हैं. गाली से दुआओं के इस छोटे से कोरोना काल में चर्चाओं का दौर दिलचस्प रहा. लॉकडाउन (Lockdown) में दारू की इजाजत मिलने से लेकर रामदेव की दवा की चर्चायें हों या थाली-ताली और दिया जलाने के दिन हों, इन बुरे दिनों में भी दिलचस्प माहौल भी बना रहा. शायद इसलिए ही मजाक में कहा जाता है भारत का आम नागरिक सांड का भी दूध दुहना जानता है.
अब भारत से इस महामारी ने लम्बा रिश्ता क़ायम कर लिया है.
लाठियां मारो तब भी ना जाये, कुछ इस तरह का बिन बुलाये बेग़ैरत मेहमान सा बन गया है कोरोना. इस वैश्विक महामारी के शुरुआती दौर मार्च-अप्रैल में लग रहा था कि भारत में इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं होगा. उन दिनों दुनिया के नज़रिए में हम सेफ ज़ोन मे थे. लेकिन दुर्भाग्य कि अब भारत विश्व के सबसे अधिक संक्रमित देशों में टॉप थ्री में पहुंच रहा है.
इससे बचने के तमाम रास्ते इख्तियार किए जा रहे हैं लेकिन इस खतरनाक वायरस को लेकर हमारी सोच का सांचा बदलता रहा. कोरोना पर चर्चाएं भी कभी हमें डराती हैं, कभी रुलातीं हैं, तो कभी हंसाती भी है. सोशल मीडिया पर कोरोना चुटकुले भी खूब हिट हुए हैं.
ये सच है कि शुरु में इसकी आहट भर से दिल दहल जाता था पर अब जब ये तेज़ी से फैल रहा है तब हमारे अंदर इसका डर धीरे-धीरे कुछ कम भी होता जा रहा है. इस मर्ज में मुब्तिला...
फिल्म स्टार कनिका कपूर (Kanika kapoor) को जब कोरोना (Corona) हुआ था तब हमने उसे महानालायक कहा था, और अब जब महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) कोरोना संक्रिमित हुए हैं तब हम सब उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआएं कर रहे हैं. इन चार-पांच महीनों में कोरोना पर हमारी समझ के रंग बदलते रहे हैं. गाली से दुआओं के इस छोटे से कोरोना काल में चर्चाओं का दौर दिलचस्प रहा. लॉकडाउन (Lockdown) में दारू की इजाजत मिलने से लेकर रामदेव की दवा की चर्चायें हों या थाली-ताली और दिया जलाने के दिन हों, इन बुरे दिनों में भी दिलचस्प माहौल भी बना रहा. शायद इसलिए ही मजाक में कहा जाता है भारत का आम नागरिक सांड का भी दूध दुहना जानता है.
अब भारत से इस महामारी ने लम्बा रिश्ता क़ायम कर लिया है.
लाठियां मारो तब भी ना जाये, कुछ इस तरह का बिन बुलाये बेग़ैरत मेहमान सा बन गया है कोरोना. इस वैश्विक महामारी के शुरुआती दौर मार्च-अप्रैल में लग रहा था कि भारत में इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं होगा. उन दिनों दुनिया के नज़रिए में हम सेफ ज़ोन मे थे. लेकिन दुर्भाग्य कि अब भारत विश्व के सबसे अधिक संक्रमित देशों में टॉप थ्री में पहुंच रहा है.
इससे बचने के तमाम रास्ते इख्तियार किए जा रहे हैं लेकिन इस खतरनाक वायरस को लेकर हमारी सोच का सांचा बदलता रहा. कोरोना पर चर्चाएं भी कभी हमें डराती हैं, कभी रुलातीं हैं, तो कभी हंसाती भी है. सोशल मीडिया पर कोरोना चुटकुले भी खूब हिट हुए हैं.
ये सच है कि शुरु में इसकी आहट भर से दिल दहल जाता था पर अब जब ये तेज़ी से फैल रहा है तब हमारे अंदर इसका डर धीरे-धीरे कुछ कम भी होता जा रहा है. इस मर्ज में मुब्तिला लोगों के ठीक होने की बढ़ती रफ्तार से इत्मिनान हुआ है तो तेजी से बढ़ रही इसमें मरने वालों की तादाद देखकर डर भी लग रहा है.
कोविड 19 उर्फ कोरोना अद्भुत है इसे समझने का हमारा नजरिया रंग-बिरंगा है
मार्च में होली के बाद कोरोना का हल्ला शुरू हुआ. इस दौरान जो भी संक्रमित पाया गया उसे हम खलनायक मान रहे थे, और अब जब सदी के महानायक जैसी हस्तियां कोरोना का शिकार हो रही हैं तो हम फिक्रमंद होकर उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआएं मांग रहे हैं. ये क़तई भी नहीं मान रहे हैं कि बच्चन परिवार ने लापरवाही करके इस खतरनाक संकमण को दावत दी होगी.
कोरोना पीड़ितों को गालियों से लेकर दुआएं देने के सिलसिले में खास और आम, या किसी जाति-धर्म का भेदभाव की बात करना भी ठीक नहीं. कोरोना की तरह नफरत से भरे लोग जाति-धर्म नहीं देखते, किसी पर भी नफरत का इजहार कर सकते हैं.
फिल्म जगत की ही स्टार गायिका कनिका को जब कोरोना संक्रमित होने की जब पुष्टि हुई तो उसपर सभी हमलावर हो गये. सरकार समाज और जनता ने आरोप लगाया कि इसकी गैर जिम्मेदाराना हरकत से कोरोना फैला है. दिल्ली स्थित मरकज की तब्लीगी जमात पर तो इससे भी कड़े आरोप लगे.
सरकारों ने भी कनिका और मरकज पर गंभीर आरोप लगाये, एफआईआर दर्ज हुईं. लेकिन कुछ ही समय के बाद सारे आरोप और शिकायतें ठंडे बस्ते में पहुंच गयीं. मरकज के मुखिया मौलाना साद को आज तक पुलिस हाजिर तक नहीं कर पायी. कनिका कपूर पर एफआईआर भी टांय..टांय फुस्स हो गयी.
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