कोरोना की दूसरी लहर दिन-प्रति-दिन खतरनाक होती जा रही है. देश में पिछले 24 घंटे के अंदर 4 लाख 3 हजार कोरोना केस सामने आए हैं. पिछले चार दिन से लगातार 4 लाख से ज्यादा केस मिल रहे हैं. बीते चार दिन में औसतन चार हजार लोगों की जान रोज जा रही है. राहत की बात बस इतनी है कि पिछले 24 घंटे में 3 लाख 86 हजार ने कोरोना को मात दी है. यह एक दिन में ठीक होने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है. अभी तक देश में 2 करोड़ 18 लाख ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. इनमें 1.79 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2.38 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है. इन सबके बीच इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कोरोना का पीक कब आएगा? क्योंकि पीक आने के बाद ही केसों की संख्या में गिरावट दर्ज होगी. जैसा कि पहली लहर के दौरान देखने को मिला था.
किसी भी महामारी की लहर के पीक का सीधा और सरल मतलब है उस वक्त विशेष में बहुत ज्यादा केस का मिलना. ये हर जिले या प्रदेश या दुनिया के देशों के लिए अलग अलग हो सकता है. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में दूसरी लहर का पीक लखनऊ या वाराणसी से या राज्य के किसी भी जिले से अलग हो सकता है. इसी तरह देश में दूसरी लहर का पीक छत्तीसगढ़ या महाराष्ट्र या दिल्ली से अलग हो सकता है. पिछले साल सितंबर में देश में 97 हजार से अधिक केस एक दिन में मिलने लगे थे. उस वक्त सितंबर पहली लहर का पीक था. इस साल फरवरी में देश में 8 हजार केस हर दिन मिलने लगे, इस दौरान हर राज्य में केस में कमी आई, जो केस का डिक्लाइन शो करता है. इस तरह एक कर्व बना जिसमें पीक के साथ डिक्लाइन यानी कमी भी नजर आई. वैज्ञानिक इसी तरह महामारी के पीक का अनुमान लगाते हैं.
महामारी के पीक का अनुमान लगाना मुश्किल
वैसे जब तक...
कोरोना की दूसरी लहर दिन-प्रति-दिन खतरनाक होती जा रही है. देश में पिछले 24 घंटे के अंदर 4 लाख 3 हजार कोरोना केस सामने आए हैं. पिछले चार दिन से लगातार 4 लाख से ज्यादा केस मिल रहे हैं. बीते चार दिन में औसतन चार हजार लोगों की जान रोज जा रही है. राहत की बात बस इतनी है कि पिछले 24 घंटे में 3 लाख 86 हजार ने कोरोना को मात दी है. यह एक दिन में ठीक होने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है. अभी तक देश में 2 करोड़ 18 लाख ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. इनमें 1.79 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2.38 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है. इन सबके बीच इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कोरोना का पीक कब आएगा? क्योंकि पीक आने के बाद ही केसों की संख्या में गिरावट दर्ज होगी. जैसा कि पहली लहर के दौरान देखने को मिला था.
किसी भी महामारी की लहर के पीक का सीधा और सरल मतलब है उस वक्त विशेष में बहुत ज्यादा केस का मिलना. ये हर जिले या प्रदेश या दुनिया के देशों के लिए अलग अलग हो सकता है. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में दूसरी लहर का पीक लखनऊ या वाराणसी से या राज्य के किसी भी जिले से अलग हो सकता है. इसी तरह देश में दूसरी लहर का पीक छत्तीसगढ़ या महाराष्ट्र या दिल्ली से अलग हो सकता है. पिछले साल सितंबर में देश में 97 हजार से अधिक केस एक दिन में मिलने लगे थे. उस वक्त सितंबर पहली लहर का पीक था. इस साल फरवरी में देश में 8 हजार केस हर दिन मिलने लगे, इस दौरान हर राज्य में केस में कमी आई, जो केस का डिक्लाइन शो करता है. इस तरह एक कर्व बना जिसमें पीक के साथ डिक्लाइन यानी कमी भी नजर आई. वैज्ञानिक इसी तरह महामारी के पीक का अनुमान लगाते हैं.
महामारी के पीक का अनुमान लगाना मुश्किल
वैसे जब तक आंकड़ों की सही तस्वीर नहीं मिलती तबतक महामारी के पीक को लेकर अनुमान लगाना मुश्किल होता है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीक के लिए जो नया मॉडल अपनाया गया है, उस पर भी अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता. पिछले महीने भी यह मॉडल फेल हो चुका है. एक्सपर्ट कह रहे हैं कि यह आंकड़े कम करके बताए जा रहे हैं. न तो टेस्टिंग बढ़ाई है और न ही मौतों की सही तस्वीर सामने आ रही है. वहीं, देशभर में श्मशान घाटों की तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. इससे पीक को लेकर सारे असेसमेंट जटिल होते जा रहे हैं. हालही में IIT कानपुर के प्रो. मनींद्र अग्रवाल ने एक मॉडल पेश किया है, जिसके आधार पर IIT हैदराबाद के प्रो. एम. विद्यासागर ने कहा कि कुछ ही दिन में पीक आने वाला है. उनके प्रोजेक्शन के मुताबिक, जून के अंत तक हालात फरवरी जैसे होंगे.
इन वजहों से गलत साबित हुए IIT वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों के मुताबिक, जून के अंत तक रोजाना सामने आने वाले केसों की संख्या घटकर 20 हजार तक पहुंच जाएगी. हैरानी की बात ये है कि प्रो. मनींद्र अग्रवाल और प्रो. एम. विद्यासागर की टीम ने ही अप्रैल मध्य तक कोरोना का पीक आने का अनुमान लगाया था, लेकिन तब ये गलत साबित हुए थे. हालांकि, इस पर इनका कहना था कि राज्यों की तरह जारी आंकड़ों में बहुत खामियां हैं. शुरू के आंकड़े सही बताए गए, लेकिन बाद में लगातार इसे छुपाने की कोशिश की गई. कई जगह आंकड़ों की गणना में भी भारी अंतर देखने को मिला. ऐसे में किसी भी टीम के लिए इन आंकड़ों के आधार पर कोई भी अनुमान लगा पाना मुश्किल होता है. फिलहाल नए आंकड़ों के साथ इस टीम का अनुमान है कि मई के मध्य तक देश के सभी राज्यों में कोरोना पीक आ चुका होगा. इसके बाद केस में गिरावट दर्ज होनी शुरू हो जाएगी.
वेस्ट बंगाल में दिखेगा दूसरी लहर का कहर
इससे पहले अपनी स्टडी के आधार पर प्रो. मनींद्र अग्रवाल ने दावा किया था कि उत्तर प्रदेश में कोरोना 20 से 25 अप्रैल के बीच में अपने चरम पर होगा. दिल्ली में 20-25 अप्रैल के दौरान कोरोना संक्रमण चरम पर होगा. झारखंड में भी 25-30 अप्रैल के दौरान कोरोना के चरम पर रहने की संभावना है. राजस्थान में यहां पर भी 25-30 अप्रैल के दौरान कोरोना का पीक समय होगा. ओडिशा में 26-30 अप्रैल तक कोरोना संक्रमण अपनी चरम अवस्था पर होगा. तमिलनाडु में 11 से 20 मई के बीच कोरोना संक्रमण का चरम हो सकता है. आंध्र प्रदेश में 1 से 10 मई के बीच संक्रमण चरम पर होगा. वेस्ट बंगाल में कोरोना संक्रमण अभी प्रारंभिक अवस्था में है. 1-5 मई के दौरान चरम पर पहुंचने की संभावना है. पंजाब में कोरोना वायरस का खतरा चरम पर मंडराता रहा है, लेकिन नियंत्रण करने के उपायों के चलते ग्राफ जल्दी गिरा है.
15 मई को दूसरी लहर के पीक का अनुमान
इधर, IIT कानपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया कि मई के मध्य तक सक्रिय मामलों में 10 लाख से अधिक की वृद्धि हो जाएगी. नया प्रोजेक्शन समय सीमा के साथ-साथ संख्याओं में भी बदलाव करता है. पिछले हफ्ते, शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि 11-15 मई के बीच 33-35 लाख कुल सक्रिय मामलों के साथ महामारी अपने पीक पर हो सकती है. मई के अंत तक इसमें गिरावट आ सकती है. प्रो. मनींद्र अग्रवाल ने बताया कि नए शोध के मुताबिक, सक्रिय संक्रमण के लिए 14-18 मई और नए संक्रमण के लिए 4-8 मई पीक होगा. इस दौरान 3.4 से 4.4 लाख तक नए केस सामने आ सकते हैं और कुल सक्रिय मामलों की संख्या 38 से 48 लाख के बीच में हो सकती है. नया पूर्वानुमान अन्य वैज्ञानिकों के पूर्वानुमानों से मेल खाता है, जिसमें 15 मई के आसपास दूसरी लहर का पीक आने की बात कही जा रही है.
बहुत धीमी रफ्तार से कम होंगे कोरोना केस
ब्राउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के डीन डॉ. आशीष के झा का कहना है कि यह पूरी तरह से संभव है कि भारत में कोविड के मामले अभी या इस सप्ताह के अंत तक अपने पीक पर हो सकते हैं. यह अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होगा. यदि हम महाराष्ट्र को देखते हैं, तो हमें समझ आएगा कि यहां कोरोना का डिक्लाइन है, लेकिन यदि हम पश्चिम बंगाल को देखते हैं, तो यह समझ आएगा कि वहां अभी कोराना का पीक आने वाला है. जहां तक पूरे देश की बात है, तो मई के महीने में हम पीक देख सकते हैं, लेकिन कोरोना केस में बहुत धीरे-धीरे गिरावट आएगी, क्योंकि इसी दौरान कुछ राज्यों में कोरोना अपने शबाब पर होगा. जून महीने में भी अधिक संख्या में कोरोना केस सामने आएंगे. जिस गति से केस की संख्या बढ़ी है, उस गति से कम होने का कोई अनुमान नहीं है. यहां सरकारी नीति अहम कारक है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.