मानवीय लालच और मूर्खता की कोई हद नहीं है. यह किसी समाज के लिए कितना घातक हो सकता है इसका हैरान करने वाला एक उदाहरण सामने आया है. इंडोनेशिया की आबादी मात्र 27 करोड़ है, लेकिन महामारी की वजह 16 लाख संक्रमण के मामले और 46 हजार मौतें हुई. इस हालत की बड़ी वजह स्वैब टेस्टिंग में करप्शन है. नतीजा यह है कि आबादी के लिहाज से इंडोनेशिया महामारी में एशिया के सबसे तबाह देशों में शामिल हो गया है.
इंडोनेशिया की खराब हालत का अंदाजा ऐसे भी लगा सकते हैं कि 2011 की जनगणना के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ से ज्यादा है. मगर महामारी की दूसरी लहर के बावजूद 14,873 मौतें (covid19india.org के मुताबिक़) हुई हैं. इंडोनेशिया की खराब हालत के पीछे की वजहों को जानकर लालच और मानवीय मूर्खता की कोशिशों पर घिन आती है. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि महज कुछ लोग पैसे कमाने के लिए असंख्य लोगों का जीवन तक दांव पर लगा देंगे.
दरअसल, दुनियाभर के साथ जब इंडोनेशिया में कोरोना के मामले लगातार बढ़ने लगे तो वहां की सरकार ने महामारी रोकने के लिए पिछले साल कुछ सख्त ट्रैवल नियम बनाए थे. कोशिश थी कि संक्रमण को एक सीमा तक फ़ैलने से रोका जा सकता है. नियम के तहत देश-विदेश के हवाई यात्रियों को बोर्डिंग से पहले एंटीजन नॉजल स्वैब टेस्टिंग अनिवार्य थी. हालांकि सावधानी के लिहाज से बनाई गई प्रक्रिया इंडोनेशिया की दिग्गज फार्मा कंपनी "कीमिया फार्म" के कुछ कर्मचारियों की लालच का शिकार बन गई. कर्मचारियों ने पैसों के लालच में रैपिड एंटीजन नॉजल स्वैब किट (nasal swab kit) को दोबारा इस्तेमाल करने लगे. एक ही किट को धो धोकर लोगों के सैंपल लिए जाते रहे. और इसका नतीजा खतरनाक हो गया.
एक तरफ इंडोनेशिया संक्रमण के नए मामलों और बेतहाशा मौतों से लगातार जूझ रहा था और दूसरी तरफ नॉर्थ सुमात्रा के कुआलानमऊ...
मानवीय लालच और मूर्खता की कोई हद नहीं है. यह किसी समाज के लिए कितना घातक हो सकता है इसका हैरान करने वाला एक उदाहरण सामने आया है. इंडोनेशिया की आबादी मात्र 27 करोड़ है, लेकिन महामारी की वजह 16 लाख संक्रमण के मामले और 46 हजार मौतें हुई. इस हालत की बड़ी वजह स्वैब टेस्टिंग में करप्शन है. नतीजा यह है कि आबादी के लिहाज से इंडोनेशिया महामारी में एशिया के सबसे तबाह देशों में शामिल हो गया है.
इंडोनेशिया की खराब हालत का अंदाजा ऐसे भी लगा सकते हैं कि 2011 की जनगणना के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश की आबादी 20 करोड़ से ज्यादा है. मगर महामारी की दूसरी लहर के बावजूद 14,873 मौतें (covid19india.org के मुताबिक़) हुई हैं. इंडोनेशिया की खराब हालत के पीछे की वजहों को जानकर लालच और मानवीय मूर्खता की कोशिशों पर घिन आती है. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि महज कुछ लोग पैसे कमाने के लिए असंख्य लोगों का जीवन तक दांव पर लगा देंगे.
दरअसल, दुनियाभर के साथ जब इंडोनेशिया में कोरोना के मामले लगातार बढ़ने लगे तो वहां की सरकार ने महामारी रोकने के लिए पिछले साल कुछ सख्त ट्रैवल नियम बनाए थे. कोशिश थी कि संक्रमण को एक सीमा तक फ़ैलने से रोका जा सकता है. नियम के तहत देश-विदेश के हवाई यात्रियों को बोर्डिंग से पहले एंटीजन नॉजल स्वैब टेस्टिंग अनिवार्य थी. हालांकि सावधानी के लिहाज से बनाई गई प्रक्रिया इंडोनेशिया की दिग्गज फार्मा कंपनी "कीमिया फार्म" के कुछ कर्मचारियों की लालच का शिकार बन गई. कर्मचारियों ने पैसों के लालच में रैपिड एंटीजन नॉजल स्वैब किट (nasal swab kit) को दोबारा इस्तेमाल करने लगे. एक ही किट को धो धोकर लोगों के सैंपल लिए जाते रहे. और इसका नतीजा खतरनाक हो गया.
एक तरफ इंडोनेशिया संक्रमण के नए मामलों और बेतहाशा मौतों से लगातार जूझ रहा था और दूसरी तरफ नॉर्थ सुमात्रा के कुआलानमऊ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 17 दिसंबर 2020 से स्वैब की रीयूजिंग शुरू हो गई थी. इसका खुलासा 27 अप्रैल को हुआ. हर दिन 50 से 100 टेस्ट के आधार पर माना जा रहा है कि करीब चार महीनों में 10 हजार यात्री नॉजल स्वैब के गोरखधंधे से प्रभावित हुए. कीमिया फार्मा के पांच कर्मचारियों को पकड़ कर आपराधिक आरोप लगाए गए हैं. आरोपियों में एक रीजनल बिजनेस मैनेजर भी शामिल है. उधर, प्रभावित यात्रियों ने कंपनी पर नुकसान के लिए कई करोड़ का हर्जाना ठोका है.
इंडोनेशिया ने शुरुआत में जो एहतियात बरते थे, उससे वो संक्रमण के मामलों को थाम सकता था, लेकिन मूर्खता और भ्रष्टाचार की हवस में अंधे लोगों की वजह से ना जाने कितने लाख लोग संक्रमण से प्रभावित हुए होंगे. चंद पैसों के लालच में जो जनहानि हुई होगी उसकी कल्पना भर रूह कंपा देती है.
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