केंद्र सरकार की ओर से अगस्त से दिसंबर के बीच 216 करोड़ एंटी कोविड वैक्सीन (Anti Covid Vaccine) की डोज उपलब्ध कराने की बात कही गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी दावा किया है कि साल के अंत तक सभी लोगों का टीकाकरण (Vaccination) कर दिया जाएगा. लेकिन, भारत फिलहाल एंटी कोविड वैक्सीन की भारी कमी का सामना कर रहा है. बीते रविवार यानी 23 मई को एंटी कोविड वैक्सीन की 10.5 लाख से कम डोज लोगों को दी गई है. हालांकि, रविवार को टीकाकरण में गिरावट कोई नई बात नहीं है. लेकिन, जब भी वैक्सीन की जनता द्वारा मांग बढ़ती है और सरकारों द्वारा टीकाकरण पर ज्यादा फोकस किया जाता है, वैक्सीन की कमी उजागर होने लगती है.
दिल्ली में 18 से 44 साल की उम्र के लोगों का टीकाकरण रोक दिया गया है. वैक्सीन लगवाने के पात्र लोगों की संख्या से ज्यादा भीड़ इकट्ठा होने के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में झड़पों की खबरें भी सामने आ रही हैं.
देश के अलग-अलग राज्यों ने अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों से वैक्सीन पाने के लिए ग्लोबल टेंडर्स भी मांगे हैं, लेकिन इसे लेकर अभी किसी वैक्सीन निर्माता कंपनी ने कोई प्रतिक्रिया या रुचि नहीं दिखाई है. कुछ वैक्सीन निर्मातओं ने तो सीधे तौर पर घोषणा कर दी है कि वो केवल केंद्र सरकार के साथ ही वैक्सीन के लिए समझौता करेंगी. भारत सरकार के विदेश मंत्री एस जयशंकर देश और पड़ोसी देशों के लिए वैक्सीन का एजेंडा लेकर अमेरिका की यात्रा पर हैं.
वैक्सीन पाने की इन सब कोशिशों के बीच दिलचस्प बात यह है कि भारत में लोगों के टीकाकरण का औसत देश में एंटी कोविड वैक्सीन के घरेलू उत्पादन की...
केंद्र सरकार की ओर से अगस्त से दिसंबर के बीच 216 करोड़ एंटी कोविड वैक्सीन (Anti Covid Vaccine) की डोज उपलब्ध कराने की बात कही गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी दावा किया है कि साल के अंत तक सभी लोगों का टीकाकरण (Vaccination) कर दिया जाएगा. लेकिन, भारत फिलहाल एंटी कोविड वैक्सीन की भारी कमी का सामना कर रहा है. बीते रविवार यानी 23 मई को एंटी कोविड वैक्सीन की 10.5 लाख से कम डोज लोगों को दी गई है. हालांकि, रविवार को टीकाकरण में गिरावट कोई नई बात नहीं है. लेकिन, जब भी वैक्सीन की जनता द्वारा मांग बढ़ती है और सरकारों द्वारा टीकाकरण पर ज्यादा फोकस किया जाता है, वैक्सीन की कमी उजागर होने लगती है.
दिल्ली में 18 से 44 साल की उम्र के लोगों का टीकाकरण रोक दिया गया है. वैक्सीन लगवाने के पात्र लोगों की संख्या से ज्यादा भीड़ इकट्ठा होने के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में झड़पों की खबरें भी सामने आ रही हैं.
देश के अलग-अलग राज्यों ने अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों से वैक्सीन पाने के लिए ग्लोबल टेंडर्स भी मांगे हैं, लेकिन इसे लेकर अभी किसी वैक्सीन निर्माता कंपनी ने कोई प्रतिक्रिया या रुचि नहीं दिखाई है. कुछ वैक्सीन निर्मातओं ने तो सीधे तौर पर घोषणा कर दी है कि वो केवल केंद्र सरकार के साथ ही वैक्सीन के लिए समझौता करेंगी. भारत सरकार के विदेश मंत्री एस जयशंकर देश और पड़ोसी देशों के लिए वैक्सीन का एजेंडा लेकर अमेरिका की यात्रा पर हैं.
वैक्सीन पाने की इन सब कोशिशों के बीच दिलचस्प बात यह है कि भारत में लोगों के टीकाकरण का औसत देश में एंटी कोविड वैक्सीन के घरेलू उत्पादन की तुलना में काफी कम नजर आता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में आबादी के लिहाज से वैक्सीन की मांग बहुत बड़ी है, लेकिन टीकाकरण की गति सरकार द्वारा घोषित किए गए उत्पादन और आपूर्ति क्षमता की तुलना में काफी धीमी है.
मई महीने की शुरुआत में जब सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 टीकाकरण पर सरकार से जवाब मांगा, तो केंद्र सरकार की ओर से एक हलफनामा दायर किया गया था. इस हलफनामे में कहा गया था कि भारत में हर महीने वैक्सीन की 8.5 करोड़ डोज का उत्पादन किया जा रहा है.
केंद्र सरकार के हलफनामे के अनुसार, ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को कोविशील्ड के रूप में बनाने वाला सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) एक महीने में लगभग 6.5 करोड़ खुराक का उत्पादन कर रहा है. स्वदेशी एंटी कोविड वैक्सीन कोवैक्सीन का उत्पदान करने वाली भारत बायोटेक कंपनी हर महीने 2 करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन कर रही है.
भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन बना रही इन कंपनियों ने व्यक्तिगत रूप से भी वैक्सीन की उतनी ही डोज का उत्पादन करने की घोषणा की है, जितना केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बताया गया है. SII का कहना है कि वह एक महीने में वैक्सीन की 6-7 करोड़ डोज का उत्पादन करती है. भारत बायोटेक ने कहा है कि उसे अप्रैल में वैक्सीन की 2 करोड़ डोज का उत्पादन करना था और मई में वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाकर 3 करोड़ डोज करना था.
इसका सीधा और साफ सा मतलब है कि भारत की दो एंटी कोविड वैक्सीन (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) की मौजूदा उत्पादन क्षमता एक महीने में 8.5 करोड़ डोज से कम नहीं है. एक महीने को अगर 30 या 31 दिनों के तौर पर देखा जाए, तो यह एंटी कोविड वैक्सीन के प्रति दिन के 27.5-28.5 लाख डोज के औसत उत्पादन और आपूर्ति में तब्दील हो जाता है.
कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए फिलहाल भारत ने कोविड-19 वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगाई हुई है. केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कई पड़ोसी और पहले ही भारत से वैक्सीन ले चुके देशों ने शिकायत भी दर्ज कराई है. दरअसल, इस फैसले की वजह से इन देशों में टीकाकरण की योजना खटाई में पड़ गई है.
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद भी भारत में 1 मई से 23 मई के बीच वैक्सीन की 4.1 करोड़ डोज ही दी गई हैं. covid19india.org से मिले आंकड़ों के अनुसार, भारत में 30 अप्रैल तक 15,49,89,635 लोगों (पहली और दूसरी डोज पाने वाले) को वैक्सीन दी गई थी. वहीं, 23 मई तक लोगों को दी गई वैक्सीन डोज की कुल संख्या 19, 60,51,962 हो गई है.
इस आंकड़े के हिसाब से मई में एक दिन में औसत 17.85 लाख वैक्सीन की डोज दी जा रही हैं. इस औसत से भारत में 31 मई तक वैक्सीन की 1.42 करोड़ डोज और दी जा सकती हैं. भारत में मई महीने में टीकाकरण की औसत गति के हिसाब से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मई में कुल 5.5 करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण होगा. टीकाकरण की यह संख्या एंटी कोविड वैक्सीन की घोषित उत्पादन क्षमता से काफी कम है. भारत में टीकाकरण और एंटी कोविड वैक्सीन के डोज के उत्पादन में अंतर लगभग 3 करोड़ डोज का है. आखिर बची हुई ये वैक्सीन की डोज रहस्मयी तरीके से कहां गायब हो रही हैं.
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