• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
Ichowk
Ad
होम
समाज

कौवे अपने दोस्‍त और दुश्मन दोनों को नहीं भूलते, जानिए विज्ञान क्‍या कहता है...

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 03 सितम्बर, 2019 02:45 PM
  • 03 सितम्बर, 2019 02:45 PM
offline
कौवे अपने दुश्मन को नहीं भूलते. ये बात भले ही बहुत से लोगों को मजाक लगती हो, लेकिन विज्ञान कौवों के बर्ताव के बारे में जो बताता है, वह हैरान करने वाला है. कौवे वाकई कुछ नहीं भूलते और अपने दुश्मन को माफ तो बिल्कुल नहीं करते हैं.

कौवे अपने दुश्मन को ना भूलते हैं, ना ही माफ करते हैं. सुनने में भले ही ये थोड़ा अजीब लगे, लेकिन मध्य प्रदेश के शिवपुरी में रहने वाले शिवा केवट की कहानी हर किसी को हैरान करने के लिए काफी है. शिवा पिछले 3 सालों में काफी मुश्किल दौर से गुजर रहा है. ये परेशानी रुपए-पैसे या परिवार की नहीं, बल्कि कौवे हैं. जी हां, पिछले 3 सालों से जब भी शिवा अपने घर के बाहर कदम रखते हैं, कौवों का एक झुंड उन पर हमला बोल देता है. यही वजह है कि वह हमेशा घर से निकलते वक्त अपने साथ एक डंडा लेकर निकलते हैं. हालांकि, डंडा होने की वजह से भले ही कोई कौवा उन पर हमला ना कर पाए, लेकिन कोशिश जरूर करता है. शिवा तो अपने पड़ोसियों के लिए हंसी-मजाक का पात्र बन चुके हैं, लेकिन वही जानते हैं कि उन पर क्या बीत रही है.

ये सब शुरू हुआ 3 साल पहले, जब शिवा के हाथों में ही कौवे के एक बच्चे ने दम तोड़ा. दरअसल, शिवा के अनुसार वह तो उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उस कौवे के बच्चे के परिवार वालों को लगा कि शिवा ने ही उसकी जान ली है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार अब उस बच्चे की मौत का बदला लेने के लिए कौवे हर रोज शिवा पर हमला करते हैं. यहां तक कि शिवा के सिर और हाथों पर कौवों की चोंच मारने के कई निशान भी हैं. 3 साल से चल रही ये कहानी कब खत्म होगी, शिवा को बस उस दिन का इंतजार है. लेकिन एक बात तो साफ है कि कौवे ना तो अपने दुश्मन को भूलते हैं ना ही माफ करते हैं, वरना 3 सालों बाद तो वह शिवा को भूल भी चुके होते या कम से कम माफ तो कर ही देते.

कौवों से जुड़ी ये बात भले ही बहुत से लोगों को मजाक लगती हो, लेकिन विज्ञान कौवों के बर्ताव के बारे में जो बताता है, वह हैरान करने वाला है. कौवे वाकई कुछ नहीं भूलते और अपने दुश्मन को माफ तो बिल्कुल नहीं करते हैं. यहां तक कि इन कौवों की अपनी एक अलग ही...

कौवे अपने दुश्मन को ना भूलते हैं, ना ही माफ करते हैं. सुनने में भले ही ये थोड़ा अजीब लगे, लेकिन मध्य प्रदेश के शिवपुरी में रहने वाले शिवा केवट की कहानी हर किसी को हैरान करने के लिए काफी है. शिवा पिछले 3 सालों में काफी मुश्किल दौर से गुजर रहा है. ये परेशानी रुपए-पैसे या परिवार की नहीं, बल्कि कौवे हैं. जी हां, पिछले 3 सालों से जब भी शिवा अपने घर के बाहर कदम रखते हैं, कौवों का एक झुंड उन पर हमला बोल देता है. यही वजह है कि वह हमेशा घर से निकलते वक्त अपने साथ एक डंडा लेकर निकलते हैं. हालांकि, डंडा होने की वजह से भले ही कोई कौवा उन पर हमला ना कर पाए, लेकिन कोशिश जरूर करता है. शिवा तो अपने पड़ोसियों के लिए हंसी-मजाक का पात्र बन चुके हैं, लेकिन वही जानते हैं कि उन पर क्या बीत रही है.

ये सब शुरू हुआ 3 साल पहले, जब शिवा के हाथों में ही कौवे के एक बच्चे ने दम तोड़ा. दरअसल, शिवा के अनुसार वह तो उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उस कौवे के बच्चे के परिवार वालों को लगा कि शिवा ने ही उसकी जान ली है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार अब उस बच्चे की मौत का बदला लेने के लिए कौवे हर रोज शिवा पर हमला करते हैं. यहां तक कि शिवा के सिर और हाथों पर कौवों की चोंच मारने के कई निशान भी हैं. 3 साल से चल रही ये कहानी कब खत्म होगी, शिवा को बस उस दिन का इंतजार है. लेकिन एक बात तो साफ है कि कौवे ना तो अपने दुश्मन को भूलते हैं ना ही माफ करते हैं, वरना 3 सालों बाद तो वह शिवा को भूल भी चुके होते या कम से कम माफ तो कर ही देते.

कौवों से जुड़ी ये बात भले ही बहुत से लोगों को मजाक लगती हो, लेकिन विज्ञान कौवों के बर्ताव के बारे में जो बताता है, वह हैरान करने वाला है. कौवे वाकई कुछ नहीं भूलते और अपने दुश्मन को माफ तो बिल्कुल नहीं करते हैं. यहां तक कि इन कौवों की अपनी एक अलग ही अदालत भी होती है.

पिछले 3 सालों से जब भी शिवा अपने घर के बाहर कदम रखते हैं, कौवों का एक झुंड उन पर हमला बोल देता है.

न भूलते हैं, न माफ करते हैं कौवे

कौवे बहुत ही समझदार जीव होते हैं. उनकी याद्दाश्त काफी तेज होती है और साथ ही वह ये भी अच्छे से समझते हैं कि कौन उनका दोस्त है कौन उनका दुश्मन. वह उस शख्स को कभी नहीं भूलते हैं, जो उन्हें नुकसान पहुंचाना चाहता है और उसे देखते ही अलग तरह का बर्ताव करने लगते हैं. यहां तक कि वह अपनी खास आवाज से अन्य कौवों को भी ये जानकारी भेजते हैं कि आखिर कौन कौवों का दोस्त है और कौन दुश्मन. यानी वह अपने परिवार वालों और दोस्तों को इस बात के लिए सावधान करते हैं कि किस शख्स से दूर रहने की जरूरत है और किसके पास आने से कोई खतरा नहीं है. अमेरिका के सीएटल में हुई एक स्टडी से तो यही बात सामने आई है.

सीएटल में हुई स्टडी से ये साफ होता है कि कौवे लोगों के चेहरों को पहचान सकते हैं और याद रखते हैं. वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वाइल्डलाइफ बायोलोजिस्ट जॉन एम मार्जलफ (John M. Marzluff) बताते हैं कि उन्होंने कौवों पर करीब 20 साल तक रिसर्च किया. उन्होंने कौवों द्वारा लोगों को पहचाने जाने का टेस्ट करने के लिए अपने दो स्टूडेंट्स के साथ मिलकर एक टेस्ट किया. इसमें उन्होंने रबर का एक मास्क पहना. एक मास्क को उन्हें 'खतरनाक' की कैटेगरी में रखा और दूसरे को 'सामान्य' की कैटेगरी में. इसके बाद खतरनाक मास्क वाले रिसर्चर ने करीब 7 कौवों को पकड़ा.

रिसर्चर्स ने हैट और मास्क के जरिए कौवों की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की.

करीब महीने भर बाद खतरनाक मार्क वाले रिसर्चर उसी रास्ते से दोबारा गुजरे, लेकिन किसी भी कौवे को परेशान नहीं किया. इस बार भी 53 में से करीब 47 कौवे उन्हें देखकर चिल्लाए. यहां तक कि जब खतरनाक मास्क वाले शख्स ने हैट पहन लिया या मास्क उल्टा पहन लिया, तो भी कौवों ने उसे पहचान लिया. वहीं दूसरी ओर, जब सामान्य कैटेगरी वाले मास्क को पहनकर शख्स उन्हीं रास्तों से गुजरा तो उसे लिए कौवों का रिएक्शन सामान्य था. सबसे अहम बात ये है कि वक्त गुजरने के साथ-साथ खतरनाक मास्क वाले रिसर्चर के लिए कौवों का गुस्सा लगातार बढ़ता गया. यानी ये तो तय है कि वह भूले नहीं, ना ही उसे माफ करने को तैयार दिखे.

अच्छे दोस्त भी होते हैं कौवे

अगर कोई कौवा अपने दुश्मन को नहीं भूलता, तो ये भी जान लीजिए कि कौवे अच्छे दोस्त भी होते हैं. मार्जलफ बताते हैं कि एक बंदर और एक कौवे का दिमाग लगभग एक जैसा ही होता है. वह तो कौवों को उड़ने वाला बंदर कहते हैं. सीटल में ही एक बच्चे ने अपने घर के पीछे बहुत से कौवों से दोस्ती की हुई है. वह उन्हें खाना देता है और बदले में उसके कौवे दोस्त छोटी-मोटी चीजें उसके दरवाजे पर छोड़ जाते हैं. बच्चा इन चीजों को कौवों का गिफ्ट कहता है. मार्जलफ की थ्योरी बच्चे की कहानी से भी मेल खाती है.

कौवों की अपनी खुद की अदालत भी होती है !

कौवों का अपना एक कोर्ट भी होता है, जिसमें वह बाहर से घुसे कौवे को सजा देते हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर कोई बाहरी कौवा किसी कौवे के झुंड में घुसने की कोशिश करता है या झुंड के किसी कौवे को परेशान करने की कोशिश करता है, तो कौवे उसे मार देते हैं. जो भी बाहरी कौवा कौवे के झुंड के किसी सदस्य को परेशान करता है या उनका खाना चुराता है, उसे अपने किए की सजा कौवों के ही कोर्ट में मिल जाती है. खैर, कोर्ट होना कोई साइंटिफिक बात नहीं है. घर में घुसने वाले घुसपैठिए को तो हर कोई मार भगाता ही है.

ये भी पढ़ें-

घास खाते शेर को देखकर चौंकिए मत, ये समझिए वो घास खा क्यों रहा है

ट्रैफिक नियम अब न माने तो कभी नहीं मान पाएंगे लोग

इन बच्चों का टेलेंट दुनिया को दिखाने के लिए सोशल मीडिया का शुक्रिया!

Loading video
Loading video
Loading video
Loading video

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲