बहू थोड़ा धीरे बोलो पड़ोसी सुनेंगे तो क्या कहेंगे? थोड़ा धीरे हंसा करो घर के बाहर तक तुम्हारे खीखी की आवाज जाती है. लोग क्या कहेंगे. मानो जैसे बहू का काम सिर्फ हां में हां मिलाना है वह भी आवाज किए बिना. बहू ना हुई रोबोट हो गई जिसका कंट्रोल किसी और के हाथ में होता है.
बहू अगर स्मार्ट है, पढ़ी लिखी है और अपनी बात रखना जानती है तो उसके बारे में कहा जाता है कि बड़ी तेज है बेचकर खा जाएगी. बहू दिन भर घर का सारा काम करे तो अच्छी और जैसे ही अपने बारे में कोई बात रख दे तो कहा जाता है कि अपने ईशारे पर सबको नचाएगी. ऊपर से अगर बहू बाहर जाकर नौकरी करती हो तब तो उसे औऱ भी टेढ़ी नजरों से देखा जाता है.
ज्यादा बोलने वाली बहू के बारे में तो ये बातें तो अक्सर सुनने के मिल जाती है कि-
बहू बड़ी तेज है
बहू बड़ू चंठ है
बहू बड़ी चालू है
बहू बड़ी वो है
बहू बड़ी बतक्कड़ है
बहू ओवर स्मार्ट है
बहू पति को गुलाम बनाकर रखेगी
बहू के साथ तुम्हारी बन नहीं पाएगी
बहू किसी की चलने नहीं देगी
कुल मिलाकर किसी को भी ज्यादा बोलने वाली बहू नहीं चाहिए होती है. आप ही बताइए जो महिला सुबह 6 बजे से काम करेगी. सबका नाश्ते-खाने का ध्यान रखेगी. सबका ख्याल रखेगी. बच्चो के पीछे भागेगी. उसका काम बिना बोले कैसे हो जाएगा? मगर अफसोस की बात यह है कि ज्यादा बोलने वाली बहू को कोई सीरियस...
बहू थोड़ा धीरे बोलो पड़ोसी सुनेंगे तो क्या कहेंगे? थोड़ा धीरे हंसा करो घर के बाहर तक तुम्हारे खीखी की आवाज जाती है. लोग क्या कहेंगे. मानो जैसे बहू का काम सिर्फ हां में हां मिलाना है वह भी आवाज किए बिना. बहू ना हुई रोबोट हो गई जिसका कंट्रोल किसी और के हाथ में होता है.
बहू अगर स्मार्ट है, पढ़ी लिखी है और अपनी बात रखना जानती है तो उसके बारे में कहा जाता है कि बड़ी तेज है बेचकर खा जाएगी. बहू दिन भर घर का सारा काम करे तो अच्छी और जैसे ही अपने बारे में कोई बात रख दे तो कहा जाता है कि अपने ईशारे पर सबको नचाएगी. ऊपर से अगर बहू बाहर जाकर नौकरी करती हो तब तो उसे औऱ भी टेढ़ी नजरों से देखा जाता है.
ज्यादा बोलने वाली बहू के बारे में तो ये बातें तो अक्सर सुनने के मिल जाती है कि-
बहू बड़ी तेज है
बहू बड़ू चंठ है
बहू बड़ी चालू है
बहू बड़ी वो है
बहू बड़ी बतक्कड़ है
बहू ओवर स्मार्ट है
बहू पति को गुलाम बनाकर रखेगी
बहू के साथ तुम्हारी बन नहीं पाएगी
बहू किसी की चलने नहीं देगी
कुल मिलाकर किसी को भी ज्यादा बोलने वाली बहू नहीं चाहिए होती है. आप ही बताइए जो महिला सुबह 6 बजे से काम करेगी. सबका नाश्ते-खाने का ध्यान रखेगी. सबका ख्याल रखेगी. बच्चो के पीछे भागेगी. उसका काम बिना बोले कैसे हो जाएगा? मगर अफसोस की बात यह है कि ज्यादा बोलने वाली बहू को कोई सीरियस नहीं लेता है. उसकी बातों के टाल दिया जाता है. बड़ी बोलने वाली बोलकर उसे ताना मारा जाता है. उसके सामने दूसरे घर की बहुओं का उदाहरण दिया जाता है. वह अपने हक और अधिकारों की बात करे तो उसे चालू करार दिया जाता है.
बहू भी शादी से पहले किसी के घर की बेटी होती है. जो शादी के बाद सपनों का अरमान लिए अपने ससुराल में कदम रखती है. मगर उसे तब चोट लगती है जब उसकी बुद्धिमानी को चालाकी का नाम दे दिया जाता है. जब उसके तेज होने को गाली बना दिया जाता है. उससे उम्मीद की जाती है कि वह हर बात में अपनी राय ना दे. उसे तब दुख लगता है जब उसके गुण को अवगुण करार दिया जाता है. सोचिए समाज को बोलने वाली महिलाओं से कितनी दिक्कत है कि उसके लिए 10 नाम रख दिए जाते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.