बेटियां (daughter) क्या होती हैं? यह एहसास शब्दों में बताना आसान नहीं है. कहने को तो लोग बड़ी ही आसानी से बोल देते हैं कि बेटियां पराया धन होती हैं लेकिन शादी के बाद भी बेटियों का एक हिस्सा हमेशा के लिए अपने घर में ही रह जाता है. जब बेटी छोटी रहती है तभी से उन्हें जिम्मेदारी का एहसास करवा दिया जाता है.
कोई भी बेटियों को एक गिसाल पानी लाने के लिए कह देता है. बेटों को कोई भी चाय बनाने को नहीं कहता. बेटियां घर का काम भी करने लग जाती हैं. वहीं बेटे खेल-कूद में मस्त रहते हैं. बहन भले ही छोटी हो लेकिन वह भाई का ख्याल रखने लगती है. गावों में तो अभी भी बेटियों को इतनी सुविधा नहीं मिलतीं, वे पढ़ाई कर रही होती हैं तभी उनकी शादी करके उन्हें ससुराल भेज दिया जाता है.
बेटियां शादी के बाद विदाई के समय जिस तरह पिता के गले लिपट कर रोती हैं, यह देखकर दूसरों की आंखों से भी आंसू बहने लगते हैं. यह हमेशा से कहा जाता है कि बेटियां पिता के ज्यादा करीब होती हैं. यह बात साइंस ने भी माना है. इसलिए तो वे अपने पति में भी पिता की परछाईं खोजती हैं. बेटियां भले छोटी हों लेकिन वे अपने पिता की चिंता ऐसे करती हैं जैसे उनकी मां हों...वे पिता से इमोशनली ज्यादा अटैच होती हैं.
बेटियों के पक्ष में फैसला देते हुए कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने कहा भी था कि बेटे तब तक अपने होते हैं जब तक इनकी शादी नहीं होतीं, लेकिन बेटियां शादी के बाद भी अपनी ही होती हैं.
पिता दिन भर काम करते हैं, कभी तो वे बिना खाना खाए ही काम पर चले जाते हैं. मां बच्चों के लिए रात भर अगर जगती है तो पिता को भी कहां नींद आती है? मां बड़ी आसानी से रो देती है, अपनी बात कहकर मन हल्का कर लेती है लेकिन एक पिता मन ही मन चिंता करता...
बेटियां (daughter) क्या होती हैं? यह एहसास शब्दों में बताना आसान नहीं है. कहने को तो लोग बड़ी ही आसानी से बोल देते हैं कि बेटियां पराया धन होती हैं लेकिन शादी के बाद भी बेटियों का एक हिस्सा हमेशा के लिए अपने घर में ही रह जाता है. जब बेटी छोटी रहती है तभी से उन्हें जिम्मेदारी का एहसास करवा दिया जाता है.
कोई भी बेटियों को एक गिसाल पानी लाने के लिए कह देता है. बेटों को कोई भी चाय बनाने को नहीं कहता. बेटियां घर का काम भी करने लग जाती हैं. वहीं बेटे खेल-कूद में मस्त रहते हैं. बहन भले ही छोटी हो लेकिन वह भाई का ख्याल रखने लगती है. गावों में तो अभी भी बेटियों को इतनी सुविधा नहीं मिलतीं, वे पढ़ाई कर रही होती हैं तभी उनकी शादी करके उन्हें ससुराल भेज दिया जाता है.
बेटियां शादी के बाद विदाई के समय जिस तरह पिता के गले लिपट कर रोती हैं, यह देखकर दूसरों की आंखों से भी आंसू बहने लगते हैं. यह हमेशा से कहा जाता है कि बेटियां पिता के ज्यादा करीब होती हैं. यह बात साइंस ने भी माना है. इसलिए तो वे अपने पति में भी पिता की परछाईं खोजती हैं. बेटियां भले छोटी हों लेकिन वे अपने पिता की चिंता ऐसे करती हैं जैसे उनकी मां हों...वे पिता से इमोशनली ज्यादा अटैच होती हैं.
बेटियों के पक्ष में फैसला देते हुए कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने कहा भी था कि बेटे तब तक अपने होते हैं जब तक इनकी शादी नहीं होतीं, लेकिन बेटियां शादी के बाद भी अपनी ही होती हैं.
पिता दिन भर काम करते हैं, कभी तो वे बिना खाना खाए ही काम पर चले जाते हैं. मां बच्चों के लिए रात भर अगर जगती है तो पिता को भी कहां नींद आती है? मां बड़ी आसानी से रो देती है, अपनी बात कहकर मन हल्का कर लेती है लेकिन एक पिता मन ही मन चिंता करता है लेकिन बाहर से मुस्कुराता रहता है. वह दुखी भी रहता है तो भी सबके सामने पहाड़ की तरह हिम्मत दिखाता है. वह पुरुष है इसका मतलह यह नहीं है कि उसके सीने में दिल नहीं है. बच्चे सिर्फ मां की नहीं पिता की भी जान होते हैं.
मां की तो तुलना किसी से नहीं की जा सकती लेकिन जो एक पिता करता है वह इतना भी आसान नहीं है कि हम उसे इगनोर ही कर दें. पिता की इस भावना को बेटियां पता नहीं कैसे समझ जाती हैं. यही बात इस छोटी सी बच्ची ने बड़ी ही मासूमियत और सच्चे दिल से बताई है. रोती हुई इस बच्ची को देखकर आज पूरा इंटरनेट भावुक हो गया है. बच्ची के जरिए यह समझा जा सकता है कि बेटियां क्यों इतनी प्यारी होती हैं?
एक बेटी जो पिता के जाने पर उनके कपड़े से लिपटकर रोती है
पिंकी को आज भी याद है जब वह छोटी थी. उसके पापा की पोस्टिंग दूसरे स्टेट में थी. वे घर आते तब तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता और जब उनके वापसी का समय होता तो वह उदास हो जाती थी. वह चाहती थी कि कैसे भी करके वह पापा को दूर न जाने दे. कई बार वे उसकी जिद पर 2, 4 दिन अधिक रूक भी जाते लेकिन आखिरकार उन्हें जाना ही पड़ता था.
जब पिंकी के पापा जाते तो वह उन्हें जोर से पकड़कर रोने लगती. कई बार वह हैंगर में लटक रहे उनके कपड़ों को गले लगाकर खूब रोती और उनसे बातें करती. आज भी जब वे पोस्टिंग पर जाते हैं तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाती है. वह मां से भी बहुत प्यार करती है लेकिन जितनी भावुक पिता के लिए है उतना किसी के लिए नहीं.
अब समझ आता है कि रोते तो पापा भी थे लेकिन वे पीछे मुड़कर देखते नहीं थे क्योंकि पिंकी का रोना उनसे सहा नहीं जाता. एक बार वे अधिक बीमार पड़ गए. अस्पताल में वे थे और जान पिंकी की निकल रही थी. ये बातें इसलिए हम बता रहे हैं क्योंकि एक बेटी होने के नाते मैं भी समझ सकती हूं कि एक लड़की अपने पिता के लिए क्या महसूस करती है. यह ऐसा एहसास है जिसे शब्दों में नहीं लिखा जा सकता. भले ही समय बदल रहा है. लोग बेटा-बेटी में अंतर नहीं कर रहे हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जिसे बदलने की जरूरत है.
असल में बेटियां ऐसी ही होती हैं
सोशल मीडिया पर एक छोटी सी बच्ची का वीडियो वायरल हो रहा है. यह वीडियो इतना इमोशनल है कि शायद आपकी आंखों में भी आंसू आ जाए क्योंकि मैं तो रो चुकी हूं. वीडियो में बेटी अपने पापा की चिंता कर रही है और रो रही है कि पापा कितना काम करते हैं और खाना नहीं खाते हैं. वे भूखे रहते हैं, क्या इंसान खाना नहीं खाएगा. इस वीडियो को देखने के बाद लोग कह रहे हैं कि बेटियों को बोझ समझने वाले को ये वीडियो जरूर देखना चाहिए. वीडियो को शेयर करने वाले ने लिखा है कि इसे देखते ही मैं मेरे आंसुओं को रोक नहीं पाया. पता नहीं यह कहां रिकॉर्ड किया गया था या यह नन्हीं परी कौन है? बेटियां सबसे अच्छी होती हैं! संघर्ष, सहानुभूति और चिंता और प्यार!
मुझे पापा की टेंशन होती है
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि बच्ची स्कूल ड्रेस में है और वह रो रही है. इस बच्ची से उसकी मां पूछ रही है कि क्यों रो रही है? मैंने तो अभी आपको डांटा भी नहीं. यह सुनकर बेटी चुप ही रहती है. मां फिर से यही सवाल पूछती है तो बच्ची बोलती है कि पहले आप रिकॉर्डिंग बंद करो, तो ही मैं बताउंगी. मां कहती है कि पहले बताओ फिर रिकॉर्डिंग बंद करूंगी. इसके बाद रोते हुए बच्ची कहता है कि मुझे पापा की बहुत याद आती है...' इतना कहते ही उसकी आंखों से आंसू गिरने लगता है. लोग इसे देखने के बाद कह रहे हैं कि बेटियां ऐसी होती है, इस बच्ची ने तो दिन बना दिया...लोग इस वीडियो को लगातार शेयर कर रहे हैं.
आप खुद देखिए-
इस बेटी की वीडियो देखने के बाद आप कह उठेंगे कि बेटी हो तो ऐसी...सच में पापा की इतनी फिक्र बेटियां ही कर सकती हैं. आप इस बच्ची की भावना के बारे में क्या कहेंगे?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.