भारत में एक प्रथा बहुत लोकप्रिय है. यहां पर पैसे की भाषा लोग ज्यादा समझते हैं. उदाहरण के तौर पर जैसे किसी चीज़ की जरूरत है तो उसे सेल आने पर ही खरीदते हैं, डिस्काउंट के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं. किसी पेनल्टी से बचने के लिए कुछ भी करते हैं. ऐसे में भारतीय सड़कों पर चलने वाले महारथियों को ट्रैफिक और पर्यावरण के नियमों का पालन करने के लिए फाइन का सहारा ही सही है. शायद यही कारण है कि दिल्ली सरकार ने अब प्रदूषण रोकने के लिए एक अनूठी पहल की शुरुआत की और एक तरह से देखा जाए तो इसमें सफल होती भी दिख रही है.
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की आबोहवा सही नहीं है और इसीलिए इमर्जेंसी प्लान लागू किया गया है. इसी प्लान के तहत यूनियन पर्यावरण मिनिस्टर हर्श वर्धन ने 10 दिनों का 'Clean Air Campaign' (1 से 10 नवंबर) लागू किया था. इस कैंपेन में कई टीमें बनाई गईं थीं जो दिल्ली-NCR का मुआयना करेंगी और जहां से भी प्रदूषण फैल रहा होगा उन्हें रोकेंगे और ऐसा करने वाले पर फाइन लगाएंगी. इसी कड़ी में पिछले कुछ दिन के अंदर कुछ नया ही देखने को मिला है.
दो दिन में 80 लाख रुपए का फाइन-
इन टीमों को 465 शिकायतें मिली थीं और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ दो ही दिनों में 80 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया. सिर्फ शनिवार को ही लगभग 42 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया. सबसे ज्यादा शिकायतें अवैध कंस्ट्रक्शन और डिमॉलिशन एक्टिविटीज की ही थीं.
बाकी ट्रैफिक, इंडस्ट्री, कूड़ा जलाने, आग लगने और जनरेटरों के द्वारा होने वाले प्रदूषण की शिकायतें थीं. इनमें से 89 शिकायतें ईमेल और सोशल मीडिया के जरिए मिली थीं और अन्य समीर एप ('Sameer app') के...
भारत में एक प्रथा बहुत लोकप्रिय है. यहां पर पैसे की भाषा लोग ज्यादा समझते हैं. उदाहरण के तौर पर जैसे किसी चीज़ की जरूरत है तो उसे सेल आने पर ही खरीदते हैं, डिस्काउंट के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं. किसी पेनल्टी से बचने के लिए कुछ भी करते हैं. ऐसे में भारतीय सड़कों पर चलने वाले महारथियों को ट्रैफिक और पर्यावरण के नियमों का पालन करने के लिए फाइन का सहारा ही सही है. शायद यही कारण है कि दिल्ली सरकार ने अब प्रदूषण रोकने के लिए एक अनूठी पहल की शुरुआत की और एक तरह से देखा जाए तो इसमें सफल होती भी दिख रही है.
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की आबोहवा सही नहीं है और इसीलिए इमर्जेंसी प्लान लागू किया गया है. इसी प्लान के तहत यूनियन पर्यावरण मिनिस्टर हर्श वर्धन ने 10 दिनों का 'Clean Air Campaign' (1 से 10 नवंबर) लागू किया था. इस कैंपेन में कई टीमें बनाई गईं थीं जो दिल्ली-NCR का मुआयना करेंगी और जहां से भी प्रदूषण फैल रहा होगा उन्हें रोकेंगे और ऐसा करने वाले पर फाइन लगाएंगी. इसी कड़ी में पिछले कुछ दिन के अंदर कुछ नया ही देखने को मिला है.
दो दिन में 80 लाख रुपए का फाइन-
इन टीमों को 465 शिकायतें मिली थीं और सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ दो ही दिनों में 80 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया. सिर्फ शनिवार को ही लगभग 42 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया. सबसे ज्यादा शिकायतें अवैध कंस्ट्रक्शन और डिमॉलिशन एक्टिविटीज की ही थीं.
बाकी ट्रैफिक, इंडस्ट्री, कूड़ा जलाने, आग लगने और जनरेटरों के द्वारा होने वाले प्रदूषण की शिकायतें थीं. इनमें से 89 शिकायतें ईमेल और सोशल मीडिया के जरिए मिली थीं और अन्य समीर एप ('Sameer app') के जरिए. इस एप को सीपीसीबी ने बनाया है ताकि लोग इससे अपनी शिकायतें आसानी से भेज सकें.
करीब 42 टीमें दिल्ली की 312 शिकायतों की साइट्स पर गईं, 21 गुरुग्राम में, दो टीमें फरीदाबाद की 17 शिकायतों को देख रही थीं और अन्य 7 टीमें नोएडा और ग्रेटर नोएडा और गाज़ियाबाद की शिकायतों को देख रही थीं.
ये सिर्फ शनिवार की शिकायतें थीं और शुक्रवार को 38,68,500 रुपए का फाइन और लगाया गया था.
सरकार ने जो इमर्जेंसी प्लान लागू किया है उसमें सबसे किफायती यही लग रहा है. हर बार लोगों से आग्रह किया जाता है कि वो प्रदूषण रोकने में सहायता करें क्योंकि इससे उनकी ही समस्या बढ़ेगी, लेकिन ऐसा होता नहीं है. अभी तो दिवाली आनी बाकी है, लेकिन उसके पहले ही दिल्ली की आबोहवा ऐसी हो गई थी कि उसके कारण सभी को समस्या होने लगी थी.
भले ही किसी से कह दिया जाए कि आप मत जलाएं कचरा, मत फोड़ें पटाखे, लेकिन मानने वाले कितने रहेंगे? प्रदूषण की चिंता कर सरकार चाहें कितने भी नियम बना ले, लेकिन असल में लोग तभी मानेंगे जब उन्हें कोई सज़ा दी जाएगी. वर्ना भारत में तो नियम ना मानने का रिवाज ही है. यहां तो जब तक स्कूल में मुर्गा न बनाया जाए बच्चों को होमवर्क करने का मोटिवेशन नहीं मिलता. ऐसे में सरकार द्वारा फाइन लगाने का तरीका बहुत अच्छा है.
सबसे अच्छी बात ये है कि कम से कम कुछ लोग हैं जो अपने आस-पास के माहौल को खराब नहीं रखना चाहते हैं और इसीलिए प्रदूषण की शिकायत भी करते हैं. अगर ऐसा भी न हो तो सोचिए क्या होगा? हर गली, हर मोहल्ले में अवैध निर्माण होंगे, कचरा जलाया जाएगा जिससे आपको न सिर्फ धुआं झेलना पड़ेगा बल्कि इससे होने वाली समस्याओं को भी झेलना पड़ेगा. अब प्रदूषण की वो स्थिती नहीं रही कि बस मुंह पर कपड़ा बांधकर निकल जाएं और काम हो जाए. अब जो स्थिती पैदा हो गई है वो न सिर्फ कई बीमारियां देंगी बल्कि मुंह पर मास्क पहन कर जाने के बाद भी कई समस्याएं होंगी.
ये वो समय है जब सरकार की इस पहल का समर्थन ज्यादा से ज्यादा लोगों को करना चाहिए और इस तरह की पहल को और आगे बढ़ाना चाहिए. अगर अभी हम सावधान नहीं हुए तो आगे यकीनन समस्या बहुत बढ़ सकती है.
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