ये इश्क़ नहीं आसां इतना ही समझ लीजे इक आग का दरिया है और डूब के जाना है...जब जिगर मुरादाबादी ने ये लाइनें लिखीं होंगी, तब उन्होंने प्रेमियों के दर्द को किस गहराई तक समझा होगा? इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है.
एक हैं डिंपल चीमा और दूसरी हैं शहनाज गिल. दुनियां के लिए जिनका प्यार उस जमाने से लेकर इस जमाने तक हमेशा के लिए अमर हो गया. हमें तो डिंपल चीमा के बारे में पता ही नहीं था. ना कभी वे लाइमलाइट में रहीं और ना ही कभी किसी से सरेआम उनका जिक्र किया. हमें तो उनके बारे में तब पता चला जब हमनें शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर बनी फिल्म ‘शेरशाह’ देखी.
जब लोगों ने फिल्म देखी तो कैप्टन विक्रम की मंगेतर डिंपल चीमा का किरदार उनके दिल में उतर गया. लोगों को एक प्रेम कहानी का पता चला जिसमें ना कोई शर्त है, ना कोई स्वार्थ है और ना ही कोई लालच. लोगों को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई किसी से ऐसे भी प्यार कर सकता है.
लोगों के मन में उनके लिए सम्मान बढ़ गया. इसके बाद लोगों ने उस लड़की को खोजना शुरु किया जिसे कैप्टन विक्रम इतना प्यार करते थे. पता चला कि डिंपल ने अभी तक शादी नहीं की. वे अपने कैप्टन की यादों के सहारे ही जिंदगी बिता रही हैं. वो दोनों कॉलेज में साथ थे. दोस्ती हुआ और फिर प्यार, पहले तो डिंपल के घरवाले दोनों के रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुए थे लेकिन इनके प्यार के आगे वे झुक गए और शादी के लिए राजी हो गए.
विक्रम कारगिल युद्द से लौटने के बाद डिंपल से शादी करने वाले थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. दोनों ने एक-दूसरे से प्यार तो किया लेकिन साथ में सिर्फ 40 दिन ही बीता पाए. अब डिंपल के इस दर्द के बारे में आपसे क्या कहें, जिनकी जिंदगी आज भी...
ये इश्क़ नहीं आसां इतना ही समझ लीजे इक आग का दरिया है और डूब के जाना है...जब जिगर मुरादाबादी ने ये लाइनें लिखीं होंगी, तब उन्होंने प्रेमियों के दर्द को किस गहराई तक समझा होगा? इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है.
एक हैं डिंपल चीमा और दूसरी हैं शहनाज गिल. दुनियां के लिए जिनका प्यार उस जमाने से लेकर इस जमाने तक हमेशा के लिए अमर हो गया. हमें तो डिंपल चीमा के बारे में पता ही नहीं था. ना कभी वे लाइमलाइट में रहीं और ना ही कभी किसी से सरेआम उनका जिक्र किया. हमें तो उनके बारे में तब पता चला जब हमनें शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर बनी फिल्म ‘शेरशाह’ देखी.
जब लोगों ने फिल्म देखी तो कैप्टन विक्रम की मंगेतर डिंपल चीमा का किरदार उनके दिल में उतर गया. लोगों को एक प्रेम कहानी का पता चला जिसमें ना कोई शर्त है, ना कोई स्वार्थ है और ना ही कोई लालच. लोगों को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई किसी से ऐसे भी प्यार कर सकता है.
लोगों के मन में उनके लिए सम्मान बढ़ गया. इसके बाद लोगों ने उस लड़की को खोजना शुरु किया जिसे कैप्टन विक्रम इतना प्यार करते थे. पता चला कि डिंपल ने अभी तक शादी नहीं की. वे अपने कैप्टन की यादों के सहारे ही जिंदगी बिता रही हैं. वो दोनों कॉलेज में साथ थे. दोस्ती हुआ और फिर प्यार, पहले तो डिंपल के घरवाले दोनों के रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुए थे लेकिन इनके प्यार के आगे वे झुक गए और शादी के लिए राजी हो गए.
विक्रम कारगिल युद्द से लौटने के बाद डिंपल से शादी करने वाले थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. दोनों ने एक-दूसरे से प्यार तो किया लेकिन साथ में सिर्फ 40 दिन ही बीता पाए. अब डिंपल के इस दर्द के बारे में आपसे क्या कहें, जिनकी जिंदगी आज भी विक्रम पत्रा के इर्द-गिर्द ही घूमती है.
दरअसल, कारगिल युद्ध से पहले एक मुलाकात में बातचीत के दौरान कैप्टन ने डिंपल की मांग भर दी थी. वहीं एक मंदिर में उनका दुप्ट्टा पकड़कर पीछे-पीछे चलकर परिक्रमा पूरी की थी. उस वक्त कैप्टन ने डिंपल से कहा था कि लो मिसेज बत्रा हमारी शादी हो गई. डिंपल कहती हैं कि ‘हमारी शादी लगभग-लगभग हो ही गई थी. वो मेरी जिंदगी का सबसे खास पल था.’
लोगों को जब डिंपल चीमा और कैप्टन विक्रम की प्रेम कहानी का पता चला तो उन्हें हैरानी हो गई कि कोई ऐसे भी प्यार कर सकता है. लोग उनकी प्रेम कहानी को आदर्श मानते हैं. लोगों ने जब डिंपल के किरदार को फिल्म में देखा तो भावुक हो गए. आज भी विक्रम बत्रा उनके साथ ना होकर भी उनके साथ ही रहते हैं. कुछ लोगों ने यह भी कहा कि डिंपल एक विधवा की तरह जिंदगी जी रही हैं.
कैप्टन के शहीद होने के बाद भी शादी ना करने वाली डिम्पल चीमा का कहना है कि उन्हें अपने प्यार पर गर्व है. ऐसा लगता है कि वे कहीं दूर जंग पर हैं. ‘ऐसा कोई दिन नहीं जब मुझे यह लगे कि वो मेरे साथ नहीं है. जबकि ऐसा महसूस होता है कि हम अलग हुए ही नहीं है.’ सोचिए किसी के ना होने पर भी उसकी यादों के साथ उसे प्यार करना क्या आसान होता होगा?
डिम्पल कहती हैं कि ‘जब लोग विक्रम की उपलब्धियों के बारे में बात करते हैं तो मुझे बहुत गर्व होता है लेकिन दिल के एक कोने में इस बात का अफसोस हमेशा होता है कि काश वो रहते और अपनी वीरतापूर्ण कहानियों को सुनते. मुझे पता है, मेरा दिल जानता है कि हम फिर से मिलने जा रहे हैं, बस समय की बात है'.
डिम्पल एक स्कूल में पढ़ाती हैं और गर्व से कहती हैं कि हां मैं कैप्टन विक्रम बत्रा से प्यार करती थी, करती हूं और करती रहूंगी. अब तो इनकी प्रेम कहानी के बारे में देश का हर बच्चा जानता है.
यह तो उस जमाने की प्रेम कहानी की बात हो गई लेकिन प्यार चाहें पुराने जमाने का हो या नए जमाने का, प्यार तो प्यार ही होता है. कई लोग कहते हैं कि आजकल के बच्चे क्या जाने कि प्यार क्या होता है? प्यार तो हमारे जमाने में किया जाता था. जबकि अगर प्यार सच्चा हो तो आज भी तकलीफ में कुछ अंतर नहीं आया. यह एक अलग बात है कि कुछ कहानियां हमारे सामने आ जाती हैं तो कुछ गुमनाम हो जाती हैं.
प्यार किसी भी जमाने का क्यों ना हो दर्द देने में कोई कसर नहीं छोड़ता. अब शहनाज और सिद्धार्थ शुक्ला की ही प्रेम कहानी ले लीजिए. प्यार के रिश्ते को गर्लफ्रेंड और ब्वॉयफ्रेंड का नाम देना जरूरी नहीं है. प्यार का रिश्ता तो इस नाम से भी और ज्यादा गहरा होता है.
वरना कई लोग तो साथ में रहते हैं, एक-दूसरे को गर्लफ्रेंड, ब्वॉयफ्रेंड बुलाते हैं लेकिन उनमें प्यार होता भी नहीं है. प्यार को भला बांधकर कौन रख सकत है? शहनाज तो सिद्धार्थ शुक्ला को अपना परिवार मानती थीं. वो उनके बेहद करीब थीं. सिद्धार्थ उन्हें बहुत पसंद करते थे. शहनाज ने एक बार कहा था कि हमारा रिश्ता गर्लफ्रेंड- ब्वॉयफ्रेंड से बढ़कर है. वे तो एक-दूसरे को छोड़कर भाग जाते हैं, हमारा रिश्ता हमेशा रहेगा.
सिद्धार्थ ने शहनाज की बाहों में दम तोड़ा था. जब उनके अंतिम संस्कार में शहनाज पहुंची तो उनका चेहरा सूजा हुआ था, आंखें पूरी लाल, जिनसे लगातार आंसू निकल रहे थे. वे बार-बार सिद्धार्थ को जगाने की कोशिश कर रही थीं. उनका नाम उनकी जुबां पर था, मेरा बच्चा सिद्धार्थ...जिसके सारे सपने एक पलल में चूर हो गए, जिसकी दुनियां बदल गई, उसकी तकलीफ हम बयां भी नहीं कर सकते.
फैंस दोनों को प्यार से सिडनाज (Sidnaaz) बुलाते थे. दिल का दौरा पड़ने की वजह से सिद्धार्थ ने भले ही शहनाज को अकेला छोड़ दिया लेकिन यह उन दोनों के बीच का प्यार ही है जो फैंस ने कहा कि सिडनाज थे और हमेशा रहेंगे. यह उन दोनों के प्यार की गहराई ही है जो शहनाज ने सिद्धार्थ के अंतिम संस्कार की रस्में निभाईं. यह उन दोनों के प्यार का सम्मान है जो शहनाज पिता और भाई ने अपनी कलाई पर उनके लिए टैटू बनवाया. शहनाज के भाई शहबाज ने तो सिद्धार्थ के चेहरा ही बनवा लिया, उसके नीचे शहनाज भी लिखा है.
बस इतना समझ जाइए कि जमाने के साथ दर्द मिटाने का तरीका भले ही बदल सकता है लेकिन तकलीफ नहीं. कई जगह ऐसी खबरें आईं कि सिद्धार्थ और शहनाज की मंगनी हो चुकी थी और उनकी शादी होने वाली थी. शायद सच्चा प्यार मिलना इसलिए ही मुश्किल होता है. शहनाज अभी भी ठीक नहीं है. वे ना खाती हैं, ना बोलती हैं, चुपचाप पड़ी रहती हैं.
सिद्धार्थ की मां उनका ख्याल रखती हैं. यह इस जमाने का प्यार है, तकलीफ कहां कम होती है? लोगों को अब शहनाज की चिंता सता रही हैं. लोग कहते हैं कि अब शहनाज के अंदर ही हम सिद्धार्थ को देखते हैं.
उस जमाने से लेकर इस जमाने की ये दोनों प्रेम कहानियां हमेशा के लिए अमर हो गईं. बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिनकी प्रेम कहानी दुनियां के लिए मिसाल बनती है. हम डिंपल चीमा से शहनाज की तुलना नहीं कर रहे लेकिन कहीं ना कहीं इनका गम एक जैसा है...ना जानें ऐसे कितने लोगों का दर्द शायद ऐसा ही हो, क्योंकि इश्क आज भी सच में आग का दरिया ही है!
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