कुशीनगर के सरकारी अस्पताल (Kushinagar district hospital) में एक घायल मरीज बेड की जगह जमीन पर पड़ा है. एक्सीडेंट के बाद उसे काफी चोटें आई हैं और शरीर से खून निकल रहा है. इसी बीच एक कुत्ता वहां घूम रहा है. हमें यह कहते हुए बड़ा अजीब लग रहा है कि कुत्ता फर्श पर पड़े घायल के खून को चाट रहा है. इसका वीडियो वायरल हो रहा है. वार्ड में ना तो वहां कोई डॉक्टर है और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी. ऐसा लग रहा है कि वह कुत्ता की इलाज करने वाला है. बता दें कि यूपी का कुशीनगर जिला गोरखपुर के पास पड़ता है. सही है अब हर अस्पताल की किस्मत मोरबी जैसी तो नहीं होती, जो रातों-रात रौशन हो जाए.
मतलब एक तरफ योगी सरकार राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को हाईटैक की कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ डॉक्टर, स्टाफ और कर्मचारी 11 बजे तक भी अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं. जबकि ओपीडी का समय सुबह 8 बजे से ही शुरु हो जाता है. अब जब अस्पताल में कोई डॉक्टर और कर्मचारी ही नहीं रहेगा तो मरीज को कौन पूछेगा? किसी गरीब के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वह प्राइवेट हॉस्पिटल का खर्चा उठा सके.
हमारे यहां का यह हाल है कि जब कोई मंत्री शहर में आने वाला रहता है तो सड़कें साफ हो जाती हैं. मोहल्ले में कूढ़ादान लग जाता है. लोग चाहते हैं कि नेता-मत्री की रैली हो जाए, कम से कम इसी बहाने शहर की सफाई तो हो जाएगी. नेता जी सरकारी स्कूल विजिट करेंगे तो उसकी काया पलट जाएगी. तो क्या अब अस्पतालों की हालत सुधरने के लिए उस शहर में किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जाए? मतलब बड़ी संख्या में लोग घायल होंगे फिर वे अस्पताल...
कुशीनगर के सरकारी अस्पताल (Kushinagar district hospital) में एक घायल मरीज बेड की जगह जमीन पर पड़ा है. एक्सीडेंट के बाद उसे काफी चोटें आई हैं और शरीर से खून निकल रहा है. इसी बीच एक कुत्ता वहां घूम रहा है. हमें यह कहते हुए बड़ा अजीब लग रहा है कि कुत्ता फर्श पर पड़े घायल के खून को चाट रहा है. इसका वीडियो वायरल हो रहा है. वार्ड में ना तो वहां कोई डॉक्टर है और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी. ऐसा लग रहा है कि वह कुत्ता की इलाज करने वाला है. बता दें कि यूपी का कुशीनगर जिला गोरखपुर के पास पड़ता है. सही है अब हर अस्पताल की किस्मत मोरबी जैसी तो नहीं होती, जो रातों-रात रौशन हो जाए.
मतलब एक तरफ योगी सरकार राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को हाईटैक की कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ डॉक्टर, स्टाफ और कर्मचारी 11 बजे तक भी अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं. जबकि ओपीडी का समय सुबह 8 बजे से ही शुरु हो जाता है. अब जब अस्पताल में कोई डॉक्टर और कर्मचारी ही नहीं रहेगा तो मरीज को कौन पूछेगा? किसी गरीब के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वह प्राइवेट हॉस्पिटल का खर्चा उठा सके.
हमारे यहां का यह हाल है कि जब कोई मंत्री शहर में आने वाला रहता है तो सड़कें साफ हो जाती हैं. मोहल्ले में कूढ़ादान लग जाता है. लोग चाहते हैं कि नेता-मत्री की रैली हो जाए, कम से कम इसी बहाने शहर की सफाई तो हो जाएगी. नेता जी सरकारी स्कूल विजिट करेंगे तो उसकी काया पलट जाएगी. तो क्या अब अस्पतालों की हालत सुधरने के लिए उस शहर में किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जाए? मतलब बड़ी संख्या में लोग घायल होंगे फिर वे अस्पताल जाएंगे और जब प्रधानमंत्रा और मुख्यमंत्री अस्पताल जाने वाले होंगे तब उसे चकाचक कर दिया जाएगा. ठीक उसी तरह जिस तरह गुजरात के मोरबी में चर्चित केबल ब्रिज टूटने से सैकड़ों लोगों की जान चली गई और कई लोग अस्पताल पहुंच गए.
वीडियो देखिए लग ही नहीं रहा है कि यह कोई सरकारी अस्पताल है...
इस बुरे समय में एक काम अच्छा हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी घायलों का हाल जानने के लिए मोरबी के सिविल अस्पताल में दौरा करने पहुंच गए. फिर क्या दिन रात एक करके अस्पताल को एकदम चमका दिया गया. रात भर में मरम्मत हो गया, रंगाई हो गई, फर्श साफ हो गया, बेडशीट बदल दी गईं, टेबल पर पानी भरा साफ जग रखा गया. ऊपर से अस्पताल में कर्मचारियों की चहल कदमी शुरु हो गई. अब हर हॉस्पिटल की किस्मत मोरबी जैसी थोड़ी है जो उस शहर में बड़ा हादसा हो जाए और मंत्री दौरा करने पहुंच जाएं...
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