मनुष्य और जानवरों का रिश्ता कोई आज का नहीं है और जानवरों में भी कुत्ते और बिल्ली तब से मनुष्य के साथ है जब मनुष्य ने अकेले रहने के बजाय समूह में रहना शुरू किया. कुत्ते- बिल्लियों और मनुष्य के रिश्ते को लेकर सदैव लोगों के बीच बहस हुई हैं और उनमें ये सवाल रखा गया है कि कुत्ते और बिल्लियों में ज्यादा समझ्दार कौन है.
भारतीय परिपेक्ष में हमारे पास इस सवाल के पीछे वजह है और शायद वो वजह हमारा सिनेमा है. सिनेमा में या तो बिल्लियाँ कम दिखीं या फिर उन्हें नायक या नायिका के अलावा विलेन की गोद में बड़े ही सॉफिसटिकेटेड अंदाज में दिखाया गया. जहां ये दीन दुनिया से बेखबर अपने-अपने मालिक की पसंदीदा बन मौज काट रही थीं. बात अगर कुत्तों की हो तो या तो जहां इन्होंने फिल्म "तेरी मेहरबानियां" में अपने असीम कौशल का परिचय देते हुए फिल्म हम आपके हैं कौन में प्रेमी प्रेमिका को मिलाया तो वहीं इनकी सबसे ज्यादा फजीहत सिने जगत के मशहूर सितारे धर्मेन्द्र ने कराई. शायद आपको भी वो धर्मेन्द्र का बात-बात पर मशहूर डायलॉग याद हो- "कुत्ते कमीने मैं तेरा खून पी जाऊँगा"
सिने को समाज नहीं माना जा सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि समाज ही सिनेमा बनाता है तो इस हिसाब से ये माइनॉरिटी हुआ. बेहतर है हम मेजोरिटी पर बात करें. कुत्ते बिल्लियों को लेकर हममे से अधिकांश लोगों का मानना है कि बिल्ली के मुकाबले कुत्ते ज्यादा समझदार होते हैं तो वहीं बिल्ली को पसंद करने वाले लोग कहते हैं कि अकलमंदी के मामले में बिल्ली का किसी से मुकाबला नहीं है. हम आम आदमी हैं हमारे आपके सोचने से कुछ नहीं होता बात तब है जब कहीं से कोई रिसर्च आए और उस रिसर्च में शामिल शोधकर्ता, अपने शोध से हमारी बात का पक्ष...
मनुष्य और जानवरों का रिश्ता कोई आज का नहीं है और जानवरों में भी कुत्ते और बिल्ली तब से मनुष्य के साथ है जब मनुष्य ने अकेले रहने के बजाय समूह में रहना शुरू किया. कुत्ते- बिल्लियों और मनुष्य के रिश्ते को लेकर सदैव लोगों के बीच बहस हुई हैं और उनमें ये सवाल रखा गया है कि कुत्ते और बिल्लियों में ज्यादा समझ्दार कौन है.
भारतीय परिपेक्ष में हमारे पास इस सवाल के पीछे वजह है और शायद वो वजह हमारा सिनेमा है. सिनेमा में या तो बिल्लियाँ कम दिखीं या फिर उन्हें नायक या नायिका के अलावा विलेन की गोद में बड़े ही सॉफिसटिकेटेड अंदाज में दिखाया गया. जहां ये दीन दुनिया से बेखबर अपने-अपने मालिक की पसंदीदा बन मौज काट रही थीं. बात अगर कुत्तों की हो तो या तो जहां इन्होंने फिल्म "तेरी मेहरबानियां" में अपने असीम कौशल का परिचय देते हुए फिल्म हम आपके हैं कौन में प्रेमी प्रेमिका को मिलाया तो वहीं इनकी सबसे ज्यादा फजीहत सिने जगत के मशहूर सितारे धर्मेन्द्र ने कराई. शायद आपको भी वो धर्मेन्द्र का बात-बात पर मशहूर डायलॉग याद हो- "कुत्ते कमीने मैं तेरा खून पी जाऊँगा"
सिने को समाज नहीं माना जा सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि समाज ही सिनेमा बनाता है तो इस हिसाब से ये माइनॉरिटी हुआ. बेहतर है हम मेजोरिटी पर बात करें. कुत्ते बिल्लियों को लेकर हममे से अधिकांश लोगों का मानना है कि बिल्ली के मुकाबले कुत्ते ज्यादा समझदार होते हैं तो वहीं बिल्ली को पसंद करने वाले लोग कहते हैं कि अकलमंदी के मामले में बिल्ली का किसी से मुकाबला नहीं है. हम आम आदमी हैं हमारे आपके सोचने से कुछ नहीं होता बात तब है जब कहीं से कोई रिसर्च आए और उस रिसर्च में शामिल शोधकर्ता, अपने शोध से हमारी बात का पक्ष रखें.
बहरहाल अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं वो उनके लिए बुरी खबर है जिन्हें बिल्लियां अच्छी लगती थीं साथ ही ये खबर उनको शांति और उनके गर्व को और बढ़ा देंगी जिन्हें कुत्ते पसंद थे. अमेरिका के वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक सुजाना हरकुलानों ने कुत्तों और बिल्लियों के व्यवहार पर स्टडी की है. इस स्टडी में सुजाना हरकुलानों ने पाया है कि कुत्ते बिल्लियों से ज्यादा समझदार होते हैं. सुजाना हरकुलानों ने इस समझदारी के पीछे की वजह न्यूरॉन्स को बताया है.
ध्यान रहे कि कुत्तों में 530 मिलियन कॉर्टिकल न्यूरॉन्स होते हैं और बिल्लियों में ये संख्या लगभग 250 मिलियन न्यूरॉन्स होती है. बात अगर इंसानों की हो तो इंसानों में न्यूरॉन्स की ये संख्या 16 मिलियन न्यूरॉन्स है. गौरतलब है कि बिल्लियों और कुत्तों के अलावा शेर और भालू सहित कुछ अन्य प्रजातियों को भी इस शोध में रखा गया था जहां इस शोध का उद्देश्य ये पता लगाना था कि न्यूरॉन्स के कारण, जीव में, भविष्य में क्या- क्या परिवर्तन होते हैं.
इस शोध में ये भी पाया गया है कि बिल्लियों के मुकाबले कुत्तों में ज्यादा शक्ति होती है. भले ही बिल्लियों में ज्यादा फुर्ती हो लेकिन कुत्तों के पास सबसे ज्यादा दिमाग होता है. सुजाना हरकुलानों का मत है कि 'पशुओं में न्यूरॉन्स काफी महत्वपूर्ण होते हैं. खास कर सेरेब्रल कॉर्टेक्स में, जिससे वो अपनी आंतरिक मानसिक अवस्था को निर्धारित करते हैं.'
तो साहब, अब जब शोध ने भी मान लिया है कि बिल्ली के मुकाबले कुत्ते ज्यादा समझदार हैं तो इस बहस पर फुल स्टॉप लगाइए और बिल्ली से मौसी का टाइटल खुद छीनने के बाद, उन चीजों पर फोकस करिए जो हमारे आम जीवन से जुड़ी हैं क्योंकि यदि आपने इस चीजों पर फोकस न किया तो न आप कुत्ता ही पाल पाएंगे और न बिल्ली और तब ये समझदार या क्यूट केवल आपकी सोच में रहेंगे.
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