पश्चिमी यूपी की एक घटना बड़ी प्रसिद्ध है. हुआ कुछ यूं की हेयर डाई की खपत उस इलाके में अचानक से बढ़ गई. पूरे इलाके में स्टॉक के स्टॉक पलक झपकते ही खत्म होने लगे. लोग हैरान परेशान की आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि डाई की डिमांड बढ़ गई. बहुत खोजबीन के बाद आखिरकार जब इसका राज खुला तो लोग हंस हंस कर पागल हो गए. और आजतक उस कहानी को दोहराते हैं. पता चला की लोग पशुओं के मेले में अपनी भैंसें जब जाते तो पहले उन्हें डाई लगा देता ताकि वो जवान दिखें! चौंक गए न. लेकिन ये कोरी गप्प नहीं बल्कि सच्चाई है.
ऐसा ही कुछ नजारा सऊदी अरब में भी देखने को मिला. वहां ऊंटों की प्रदर्शनी होती है. इस प्रदर्शनी में ऊंट रेसट्रैक पर चलते हैं और सामने बैठें जज उनके होठ, गाल, सिर और घुटनों पर पैनी नजर रखते हैं. इनमें से सबसे आकर्षक ऊंट को विजेता घोषित किया जाता है. ऐसी ही एक प्रदर्शनी में एक दर्जन से ज्यादा प्रतिभागी ऊंटों को अयोग्य करार दे दिया गया. इसका कारण बताउंगी तो हंसेंगे तो नहीं?
चलिए बता देती हूं. ऊंटों की इस सौंदर्य प्रतियोगिता में उनके मालिकों पर आरोप लगा कि उन्होंने बोटोक्स का प्रयोग किया है. ताकि उनके ऊंट ज्यादा हैंडसम लगें! चीफ जज ने शो में कहा कि- 'ऊंट सऊदी अरब की पहचान हैं. पहले इन्हें जरुरत के लिए इस्तेमाल किया जाता था और देखभाल की जाती थी. पर अब इन्हें शौक के लिए रखा जाता है.'
सऊदी अरब में बहुत कुछ बदल रहा है. जल्दी ही यहां पहला मूवी थियेटर खुलने वाला है. जल्दी ही यहां की महिलाओं को गाड़ी ड्राइव करने की इजाजत मिल जाएगी. मतलब ये की सऊदी प्रशासन अब अपनी छवि बदलने की जद्दोजहद में लगा है. और इसके लिए ऊंटों से ज्यादा जरुरी कुछ भी नहीं है. सदियों से यहां ऊंटों का इस्तेमाल खाने, ट्रांसपोर्ट, लड़ाई...
पश्चिमी यूपी की एक घटना बड़ी प्रसिद्ध है. हुआ कुछ यूं की हेयर डाई की खपत उस इलाके में अचानक से बढ़ गई. पूरे इलाके में स्टॉक के स्टॉक पलक झपकते ही खत्म होने लगे. लोग हैरान परेशान की आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि डाई की डिमांड बढ़ गई. बहुत खोजबीन के बाद आखिरकार जब इसका राज खुला तो लोग हंस हंस कर पागल हो गए. और आजतक उस कहानी को दोहराते हैं. पता चला की लोग पशुओं के मेले में अपनी भैंसें जब जाते तो पहले उन्हें डाई लगा देता ताकि वो जवान दिखें! चौंक गए न. लेकिन ये कोरी गप्प नहीं बल्कि सच्चाई है.
ऐसा ही कुछ नजारा सऊदी अरब में भी देखने को मिला. वहां ऊंटों की प्रदर्शनी होती है. इस प्रदर्शनी में ऊंट रेसट्रैक पर चलते हैं और सामने बैठें जज उनके होठ, गाल, सिर और घुटनों पर पैनी नजर रखते हैं. इनमें से सबसे आकर्षक ऊंट को विजेता घोषित किया जाता है. ऐसी ही एक प्रदर्शनी में एक दर्जन से ज्यादा प्रतिभागी ऊंटों को अयोग्य करार दे दिया गया. इसका कारण बताउंगी तो हंसेंगे तो नहीं?
चलिए बता देती हूं. ऊंटों की इस सौंदर्य प्रतियोगिता में उनके मालिकों पर आरोप लगा कि उन्होंने बोटोक्स का प्रयोग किया है. ताकि उनके ऊंट ज्यादा हैंडसम लगें! चीफ जज ने शो में कहा कि- 'ऊंट सऊदी अरब की पहचान हैं. पहले इन्हें जरुरत के लिए इस्तेमाल किया जाता था और देखभाल की जाती थी. पर अब इन्हें शौक के लिए रखा जाता है.'
सऊदी अरब में बहुत कुछ बदल रहा है. जल्दी ही यहां पहला मूवी थियेटर खुलने वाला है. जल्दी ही यहां की महिलाओं को गाड़ी ड्राइव करने की इजाजत मिल जाएगी. मतलब ये की सऊदी प्रशासन अब अपनी छवि बदलने की जद्दोजहद में लगा है. और इसके लिए ऊंटों से ज्यादा जरुरी कुछ भी नहीं है. सदियों से यहां ऊंटों का इस्तेमाल खाने, ट्रांसपोर्ट, लड़ाई इत्यादि के लिए किया जाता था.
यही कारण है कि सऊदी सरकार ने एक महीने तक चलने वाले ऊंटों के त्योहार को पारंपरिक तौर पर दूर रेगिस्तान में करने के बजाए राजधानी के बाहर कराने का निश्चय किया. एक पहाड़ पर सरकार ने परमानेंट वेन्यू भी बना दिया है जहां रेस और शो कंप्टीशन मिलकर 57 मीलियन डॉलर तक की कमाई कर जाते हैं. यही नहीं यहां टॉप के ऊंटों की बिक्री भी होती है जिनकी कीमत करोड़ों में होती है.
तो इन दोनों कहानियों का लब्बो लुबाब ये कि हमेशा लीक पर चलना जरुरी नहीं. कभी कभी सरहदें तोड़कर देखिए कैसे कैसे करामात सामने आते हैं. एक कहावत है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है. ये दोनों कहानियां इसका परफेक्ट उदाहरण हैं. जरुरत बस कुछ अलग सोचने की और उसे सच कर दिखाने के जज्बे की है.
ये भी पढ़ें-
सऊदी में सिनेमा ! तो क्या सऊदी बदल रहा है?
शी जिनपिंग की राह चल पड़े साउदी के शहज़ादे.. अब होगा ये..
मिलिए सऊदी अरब की सबसे सशक्त 'महिला' से...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.