14 साल की सेल्वी के संबंध अपनी मां से अच्छे नहीं थे. लेकिन भाई-बहन एक दूसरे पर जान छिड़कते थे. एक दिन सेल्वी को भाई ने बताया कि उसकी शादी तय कर दी गई है. सेल्वी के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसने बहुत मिन्नतें की, रोई, गिड़गिड़ाई की उसकी शादी अभी न की जाए. पर लड़कियों की बातें सुनने के लिए नहीं होती. और उनकी तो न में ही हां छुपी होती है. तो सेल्वी की भी शादी हो गई.
लेकिन इसके बाद की जिंदगी सेल्वी के लिए भयानक साबित हुई. सेल्वी को घरेलु हिंसा, गालियां और रेप का सामना करना पड़ा. यहां तक की एक दिन तो उसके पति ने उसे किसी और मर्द के साथ सोने के लिए मजबूर किया ताकि उसके जरिए वो कुछ पैसे कमा सके. बस फिर क्या था, रोज की इस जिल्लत, जहालत भरी जिंदगी से उबकर सेल्वी ने जान देने का फैसला कर लिया. बीच सड़क पर खड़ी होकर वो किसी बस के आने का इंतजार कर रही थी ताकि उसके नीचे आकर वो अपनी जान दे सके. लेकिन जब बस आई तो सेल्वी उसके नीचे न आकर, उस बस में सवार हो गई और उस नर्क भरी जिंदगी से दूर चली गई.
सेल्वी की कहानी यहां से शुरु होती है. 2017 में कनाडा की प्रतिष्ठित डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार एलिसा पालोस्ची की प्रख्यात डॉक्यूमेंट्री driving with selvi आई. लोगों ने इस डॉक्यूमेंट्री की खुब तारीफ की. एलिसा और सेल्वी की मुलाकात साल 2004 में हुई थी. इस साल एलिसा भारत घूमने आई थी. इसी दौरान मानव तस्करी का शिकार हुए लोगों के पुनर्वासन के लिए काम करने वाली संस्था उडानाडी में सेल्वी से एलिसा की मुलाकात हुई. समय के साथ दोनों के बीच दोस्ती और गाढ़ी होती गई और इसके बाद एलिसा ने अगले 10 साल में सेल्वी पर डॉक्यूमेंट्री बनाई.
सेल्वी की इस लोकप्रियता के पीछे उसकी मुस्कान है. जो उसने समय के थपेड़ों और मुश्किलों के आगे घुटने के...
14 साल की सेल्वी के संबंध अपनी मां से अच्छे नहीं थे. लेकिन भाई-बहन एक दूसरे पर जान छिड़कते थे. एक दिन सेल्वी को भाई ने बताया कि उसकी शादी तय कर दी गई है. सेल्वी के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसने बहुत मिन्नतें की, रोई, गिड़गिड़ाई की उसकी शादी अभी न की जाए. पर लड़कियों की बातें सुनने के लिए नहीं होती. और उनकी तो न में ही हां छुपी होती है. तो सेल्वी की भी शादी हो गई.
लेकिन इसके बाद की जिंदगी सेल्वी के लिए भयानक साबित हुई. सेल्वी को घरेलु हिंसा, गालियां और रेप का सामना करना पड़ा. यहां तक की एक दिन तो उसके पति ने उसे किसी और मर्द के साथ सोने के लिए मजबूर किया ताकि उसके जरिए वो कुछ पैसे कमा सके. बस फिर क्या था, रोज की इस जिल्लत, जहालत भरी जिंदगी से उबकर सेल्वी ने जान देने का फैसला कर लिया. बीच सड़क पर खड़ी होकर वो किसी बस के आने का इंतजार कर रही थी ताकि उसके नीचे आकर वो अपनी जान दे सके. लेकिन जब बस आई तो सेल्वी उसके नीचे न आकर, उस बस में सवार हो गई और उस नर्क भरी जिंदगी से दूर चली गई.
सेल्वी की कहानी यहां से शुरु होती है. 2017 में कनाडा की प्रतिष्ठित डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार एलिसा पालोस्ची की प्रख्यात डॉक्यूमेंट्री driving with selvi आई. लोगों ने इस डॉक्यूमेंट्री की खुब तारीफ की. एलिसा और सेल्वी की मुलाकात साल 2004 में हुई थी. इस साल एलिसा भारत घूमने आई थी. इसी दौरान मानव तस्करी का शिकार हुए लोगों के पुनर्वासन के लिए काम करने वाली संस्था उडानाडी में सेल्वी से एलिसा की मुलाकात हुई. समय के साथ दोनों के बीच दोस्ती और गाढ़ी होती गई और इसके बाद एलिसा ने अगले 10 साल में सेल्वी पर डॉक्यूमेंट्री बनाई.
सेल्वी की इस लोकप्रियता के पीछे उसकी मुस्कान है. जो उसने समय के थपेड़ों और मुश्किलों के आगे घुटने के बजाए मजबूती से खड़ी हुई और अपनी मुस्कान कायम रखी. वो दक्षिण भारत की महिला टैक्सी ड्राइवर बनी और आज उसकी अपनी टैक्सी कंपनी है. सेल्वी ने दोबारा शादी कर ली है और अब उसकी एक प्यारी सी बेटी है.
सेल्वी का जीवन सफर कठिनाइयों और उतार-चढ़ाव से भरा था. अब वो चाहती है कि बाकि की लड़कियां उसकी कहानी से ये सीख लें कि तनावपूर्ण शादी से जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं. वो कहती हैं- "जैसे ही मुझे पता चला कि मेरी तरह की लड़कियों तक मेरी कहानी पहुंचेगी तो मानो मुझे जीने का एक नया मौका मिल गया. जब मैं बड़ी हुई तो मेरे साथ कोई नहीं था. लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं कई लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन सकती हूं."
हमारे देश में बाल विवाह ऐसी सामाजिक बुराई जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही. एलिस ने इस बुराई को बड़ी ही बारीकी से दिखाया है. डॉक्यूमेंट्री के निर्माता अब कई एनजीओ और शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस बात को पहुंचाने में लगे हैं. ये 'Driving with Selvi' कैंपेन का भी हिस्सा है जिसके तहत् भारत में बाल विवाह की समस्या से निदान पाने की कोशिश की जाती है.
ये भी पढ़ें-
ओड़िशा के बलराम मुखी से पूछिए कितना बदला भारत...
हम सब किसी न किसी रेप स्टोरी का हिस्सा हैं
जरूरत से ज्यादा 'अच्छा' पति भी खतरनाक हो सकता है
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.