ऑटो में लगा शीशा यानी रियर व्यू मिरर (Auto Rear View Mirror) महिलाओं को किस हद तर डरा सकता है? इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मुंबई के एनजीओ वॉचडॉग फाउंडेशन ने सीएम एकनाथ शिंदे और राज्य के परिवहन अधिकारियों से इसे हटाने की मांग की है.
एनजीओ ने अपनी शिकायत में कहा है कि ऑटो में यात्रा करने के दौरान ड्राइवर महिलाओं खासकर लड़कियों को काफी देर तक घूरते हैं जिससे वे असहज महसूस करती हैं. इससे सड़क दुर्घटना भी हो सकता है क्योंकि ड्राइवर का ध्यान भटकता है. वैसे भी ऑटो में रियर व्यू मिरर की जरूरत नहीं होती, क्योंकि ऑटो के दोनों तरफ बड़े-बड़े शीशे लगे रहते हैं. इन साइड मिरर की सहायता से ड्राइवर अपनी तरफ आती गाड़ियों को आसानी से देख सकते हैं.
मान लीजिए एनजीओ की मांग पर ऑटो में लगा शीशा हट भी जाता है तो फिर कैब में लगे रियर व्यू मिरर का क्या? कैब में लड़कियां देख लेती हैं कि कैब का ड्राइवर कहां से पीछे देख सकता है फिर वे उस हिसाब से साइड में सरक कर बैठती हैं. कई बार कैब में छेड़खानी की घटनाएं सामने आती हैं. अभी पिछले महीने की ही घटना ले लीजिए जब दिल्ली में एक कैब ड्राइवर को ब्रिटिश लड़की के सामने कथित तौर पर हस्तमैथुन (Masturbate) करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
असल में लड़की अपनी दोस्त के साथ दिल्ली एयरपोर्ट से साउथ दिल्ली के एक होटल जा रही थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों लड़कियों ने जब ड्राइवर की हरकत पर आपत्ति जताई तो वह उनके साथ बदतमीजी करना करने लगा और उल्टा धमकी देने लगा कि इस घटना का जिक्र वो किसी और से न करें.
इसी तरह कनॉट प्लेस से एक लड़की और उसकी छोटी बहन ने घर जाने के लिए ऑटो वाले को बुलाया. दोनों में ऑटो में बैठी ही थीं...
ऑटो में लगा शीशा यानी रियर व्यू मिरर (Auto Rear View Mirror) महिलाओं को किस हद तर डरा सकता है? इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मुंबई के एनजीओ वॉचडॉग फाउंडेशन ने सीएम एकनाथ शिंदे और राज्य के परिवहन अधिकारियों से इसे हटाने की मांग की है.
एनजीओ ने अपनी शिकायत में कहा है कि ऑटो में यात्रा करने के दौरान ड्राइवर महिलाओं खासकर लड़कियों को काफी देर तक घूरते हैं जिससे वे असहज महसूस करती हैं. इससे सड़क दुर्घटना भी हो सकता है क्योंकि ड्राइवर का ध्यान भटकता है. वैसे भी ऑटो में रियर व्यू मिरर की जरूरत नहीं होती, क्योंकि ऑटो के दोनों तरफ बड़े-बड़े शीशे लगे रहते हैं. इन साइड मिरर की सहायता से ड्राइवर अपनी तरफ आती गाड़ियों को आसानी से देख सकते हैं.
मान लीजिए एनजीओ की मांग पर ऑटो में लगा शीशा हट भी जाता है तो फिर कैब में लगे रियर व्यू मिरर का क्या? कैब में लड़कियां देख लेती हैं कि कैब का ड्राइवर कहां से पीछे देख सकता है फिर वे उस हिसाब से साइड में सरक कर बैठती हैं. कई बार कैब में छेड़खानी की घटनाएं सामने आती हैं. अभी पिछले महीने की ही घटना ले लीजिए जब दिल्ली में एक कैब ड्राइवर को ब्रिटिश लड़की के सामने कथित तौर पर हस्तमैथुन (Masturbate) करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
असल में लड़की अपनी दोस्त के साथ दिल्ली एयरपोर्ट से साउथ दिल्ली के एक होटल जा रही थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों लड़कियों ने जब ड्राइवर की हरकत पर आपत्ति जताई तो वह उनके साथ बदतमीजी करना करने लगा और उल्टा धमकी देने लगा कि इस घटना का जिक्र वो किसी और से न करें.
इसी तरह कनॉट प्लेस से एक लड़की और उसकी छोटी बहन ने घर जाने के लिए ऑटो वाले को बुलाया. दोनों में ऑटो में बैठी ही थीं कि वह रियर व्यू मिरर के जरिए छोटी बहन को घूरने लगा. इस पर जब उन्होंने गाड़ी चलाने को कहा तो वह उल्टा-सीधा बोलने लगा. लड़कियों की शोर सुनकर आस-पास के लोग इकट्ठे हो गए और ऑटो वाले को लताड़ लगाई.
असल में आए दिन इस तरह छेड़खानी की घटनाएं सामने आती रहती है. कुछ ड्राइवर रियर व्यू मिरर से पीछे सीट पर बैठी महिला को देखते हैं. फिर आई कौन्टैक्ट करते हैं और फिर बात करने की कोशिश करते हैं. अब महिलाएं घरेलू हों या कामकाजी उन्हें अकेले ट्रेवल तो करना ही पड़ता है. कई लड़कियां ऑटो ड्राइवर के घूकने के खिलाफ कुछ बोल नहीं पाती हैं. वे सकुचा जाती हैं. वे डरती हैं कि कहीं मैंने इसे कुछ बोला और ये कुछ गलत कर दे तो? अकेली यात्रा करने वाली लड़की अब सुनसान रास्ते में ऑटो ड्राइवर से पंगा लेने से पहले सोचेगी की नहीं सोचेगी?
ऑटो में रियर व्यू मिरर लगाने की जरूरत तो है नहीं, तो क्या यह शीशा खासकर लड़कियों को घूरने के लिए लगाया जाता है? हम तो बस पूछ रहे हैं. बाकी अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं का कोई ना कोई ऑटो से जुड़ा अनुभव तो जरूर रहा होगा. कई लड़कियों तो बोल देती हैं कि भइया सामने देखकर गाड़ी चलाओ...मगर कई मन ही मन कुढ़ के रह जाती हैं.
14 सेकेंड से ज्यादा देर तक घूरना वैसे भी अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन कई बार महिलाएं सारी बातों को जानते हुए भी जानबूझकर इगनोर कर देती हैं, क्योंकि उनके पास इसके सिवा को रास्ता नहीं होता है. उन्हें पता रहता है कि मामला बढ़ने पर उन्हें शार्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा. जब ऑटो ड्राइवर उन्हें घूरता है तो वे अपनी नजरें नीचे कर लेती है. इधर-उधर देखने लगती हैं. वे ऐसे रिएक्ट करती हैं कि उन्हें खुद को घूरे जाने का पता ही नहीं है, वे कई बार मोबाइल पर देखने लगती हैं. वे अपने कपड़े ठीक करने लगती हैं. वे झुककर दुबक कर बैठने की कोशिश करती हैं.
ड्राइवर उन्हें रास्ते भर बार-बार घूरता रहता है और वे खुद को छिपाने की कोशिश करती रहती हैं. भले ही ऑटो से शीशा हट जाए मगर जब तक ड्राइवर्स का स्वभाव नहीं बदलेगा शीशा हटाने का कोई फायदा नहीं होगा...
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