बीते दिनों फेमस कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को जिम में ट्रेडमिल पर वर्क आउट करते वक्त हार्ट अटैक आ गया और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया. अटैक माइल्ड था और समय से दो बार सीपीआर दिए जाने से वे एकबारगी संभल गए. उम्मीद है कि जल्द ही राजू ठीक होंगे और वापसी करेंगे. पिछले कुछ समय में एक के बाद एक कई कलाकारों पर जिम में की गयी एक्सरसाइज भारी पड़ी है. सिद्धार्थ शुक्ला, पुनीत राजकुमार, दीपेश भान कुछ नाम हैं जिन्हें नहीं बचाया जा सका. तीनों ही कलाकारों में एक चीज कॉमन है और वो है अर्ली मिडिल एज. सिद्धार्थ और दीपेश 41 साल के तथा पुनीत 46 साल के थे. तीनों को ही अभी बहुत जीना था लेकिन हार्ट अटैक भारी पड़ गया. राजू श्रीवास्तव 58 वर्ष के हैं और अभी वेंटिलेटर पर हैं. पुनीत, सिद्धार्थ और दीपेश में एक बात और कॉमन थी, तीनों ही हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज भरपूर करते थे शायद एक्टिंग के प्रोफ़ेशन में खुद को चुस्त दुरुस्त रखने की, यंग दिखने की चाहत बड़ी थी. देखा जाए तो जिम में एक्सरसाइज या किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी के दौरान हार्ट अटैक के मामले अब तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
डॉक्टरों का मानना है कि, जिम में एक्सरसाइज करने वाले किसी शख्स का अगर बीपी या कॉलेस्ट्रोल लेवल ठीक है. तो इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि उसे हार्ट में कोई परेशानी नहीं हो सकती. अक्सर आनुवंशिक कारणों से भी दिल की सेहत को खतरा होता है. खराब लाइफ स्टाइल, बढ़ती उम्र भी वजहें होती हैं. कोई हिडन कार्डियक इश्यू भी हो सकता है, दिल की असामान्यता को नजरअंदाज करना भी हो सकता है. और कई बार पोस्ट एंजियोप्लास्टी डॉक्टर की रेग्युलेटेड फिजिकल एक्सरसाइज की सलाह भी इग्नोर हो जाती है.
कई बार अचानक फ़ूड...
बीते दिनों फेमस कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को जिम में ट्रेडमिल पर वर्क आउट करते वक्त हार्ट अटैक आ गया और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया. अटैक माइल्ड था और समय से दो बार सीपीआर दिए जाने से वे एकबारगी संभल गए. उम्मीद है कि जल्द ही राजू ठीक होंगे और वापसी करेंगे. पिछले कुछ समय में एक के बाद एक कई कलाकारों पर जिम में की गयी एक्सरसाइज भारी पड़ी है. सिद्धार्थ शुक्ला, पुनीत राजकुमार, दीपेश भान कुछ नाम हैं जिन्हें नहीं बचाया जा सका. तीनों ही कलाकारों में एक चीज कॉमन है और वो है अर्ली मिडिल एज. सिद्धार्थ और दीपेश 41 साल के तथा पुनीत 46 साल के थे. तीनों को ही अभी बहुत जीना था लेकिन हार्ट अटैक भारी पड़ गया. राजू श्रीवास्तव 58 वर्ष के हैं और अभी वेंटिलेटर पर हैं. पुनीत, सिद्धार्थ और दीपेश में एक बात और कॉमन थी, तीनों ही हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज भरपूर करते थे शायद एक्टिंग के प्रोफ़ेशन में खुद को चुस्त दुरुस्त रखने की, यंग दिखने की चाहत बड़ी थी. देखा जाए तो जिम में एक्सरसाइज या किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी के दौरान हार्ट अटैक के मामले अब तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
डॉक्टरों का मानना है कि, जिम में एक्सरसाइज करने वाले किसी शख्स का अगर बीपी या कॉलेस्ट्रोल लेवल ठीक है. तो इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि उसे हार्ट में कोई परेशानी नहीं हो सकती. अक्सर आनुवंशिक कारणों से भी दिल की सेहत को खतरा होता है. खराब लाइफ स्टाइल, बढ़ती उम्र भी वजहें होती हैं. कोई हिडन कार्डियक इश्यू भी हो सकता है, दिल की असामान्यता को नजरअंदाज करना भी हो सकता है. और कई बार पोस्ट एंजियोप्लास्टी डॉक्टर की रेग्युलेटेड फिजिकल एक्सरसाइज की सलाह भी इग्नोर हो जाती है.
कई बार अचानक फ़ूड हैबिट्स बदलने से भी समस्या हो सकती है और अक्सर ऐसा मुफ्त सलाहों से भी हो सकता है. दरकार फ़ूड हैबिट्स के नियंत्रण की होती है और हम सिरे से वो खाने लगते हैं जो कभी नहीं खाया. दरअसल समझने की जरूरत है कि शरीर की मांग और सीमाएं उम्र के साथ बदलती हैं. हर उम्र के पड़ाव पर अलग तरह के व्यायाम कर खुद को सेहतमंद रखा जा सकता है. सेहतमंद बच्चा ,सेहतमंद युवा, सेहतमंद मिडिल एज या सेहतमंद बुजुर्ग के सेहतमंद बने रहने के क्राइटेरिया अलग अलग होते हैं.
एक युवा 2-3 घंटे जिम में व्यतीत करते हुए जिस तरह की इंटेंसिटी के साथ वर्क आउट मसलन ट्रेडमिल, वेट पुल्लिंग एंड लिफ्टिंग, मसल्स बिल्डिंग आदि कर सकता है. मिडिल एज उस लेवल तक यदि करता है तो स्वयं को रिस्क में डालता है. अध्ययन में बातें सामने आई हैं कि प्रतिदिन आधा घंटा लो इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने से फायदा होता है और कई बीमारियां भी दूर होती हैं. लेकिन कुछ लोग प्रतिदिन 3 से 4 घंटे हाई इंटेंसिटी की एक्सरसाइज करते हैं.
हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने से अचानक हृदय गति रुकने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि अत्यधिक वेट उठाने से भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है. जिम में वर्कआउट करते समय 'उपयुक्त और योग्य' ट्रेनर की मदद ली जानी चाहिए. 'उपयुक्त और योग्य' कहने का औचित्य इसलिए भी है क्योंकि आजकल फिजिकल और जिम ट्रेनर का मतलब सिक्स या एट पैक एब्स वाला बॉडी बिल्डर समझ लिया जाता है जिसे ट्रेनी की फिजिकल कंडीशन को जानकर अपेक्षित शेड्यूल ड्रॉ करनी आती ही नहीं.
वह हर किसी पर वही ट्राई करता है जो उसने खुद को थकाने के लिए किया था. मसलन अधिक वेटों का उठाया जाना. दरअसल मिडिल एज एक्वायर करने के बाद कम इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज ही शरीर के लिए सही है, फायदेमंद भी है. जिम में व्यतीत किया जाने वाला समय भी 50 मिनट तक ही हो, अच्छा है. आपको ब्रिस्क वॉक करनी है ना कि ट्रेडमिल पर दौड़ना है. ट्रेडमिल पर चलना या साइकिलिंग उतनी ही कीजिये जितने में आप कम्फर्टेबल हैं.
डिजिटल डिस्प्ले के पैरामीटर्स बहुधा मिस लीड ही करते हैं. जरूरत रेगुलर होने की है, नियमित व्यायाम करें लेकिन किसी की देखा देखी अपने आप को परेशान करने वाली व हाई इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज से बचें. फिर कुछ लोगों में, शारीरिक गतिविधि में वृद्धि के साथ रक्त में जारी कैटेकोलामाइन नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है. यह हृदय के अराजक संकुचन का कारण बन सकता है, जिससे जीवन को खतरा हो सकता है.
कार्डियक अरेस्ट में मरीज के फिर से जीवित होने और पुनर्जीवित होने की संभावना होती है. हालांकि सडेन कार्डियक डेथ में ऐसी कोई गुंजाइश नहीं होती है. आजकल जिम जाना एक सोशल स्टेटस सिम्बल या फ़ैशन सा बन गया है शहरों में, क़स्बों में! हमें समझना होगा कि ख़राब दिनचर्या और अनियमित जीवन शैली के साइड इफ़ेक्ट सिर्फ़ जिम जाकर अनियंत्रित और असंतुलित वर्क आउट से ख़त्म नहीं हो सकते बल्कि ऐसा करना ऐड टू फ़ायर ही है !
और अंत में दो लाइनें याद आती है - अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप. अति का भला न बरसना, अति का भला न धूप. वर्क आउट को दवा समझने की जरूरत है, मात्रा निर्धारित है और ज्यादा मात्रा में लेने से ये जहर भी बन सकता है. कम या ना लेने से जान जा सकती है. संतुलन जरूरी है. भोजन में भी और जीवन में भी. भोजन में अगर सिर्फ एक नमक का संतुलन बिगड़ जाए तो भोजन का स्वाद बिगड़ जाता है तो फिर जीवन में तो हज़ारों चीज होती हैं और हरेक का संतुलन बनाए रखना जरूरी है.
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