भारत में कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर में बरपा कहर काफी हद तक कम हो चुका है. लेकिन, अभी भी रोजाना 40 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. केंद्र सरकार की ओर से चेतावनी जारी होने के बावजूद पहाड़ों और टूरिस्ट प्लेस पर जुट रही लोगों की भारी भीड़ देखकर नहीं लगता है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर (Covid 19 third wave) की चिंता का असर किसी पर पड़ रहा है. वहीं, दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट (Covid 19 Variant) सामने आने लगे हैं. कोई वेरिएंट वैक्सीन से मिल रही एंटीबॉडीज को चकमा दे रहा है. तो कोई भयावहता में पिछले वेरिएंट (Corona Variant) से भी चार कदम आगे है. दुनिया के तमाम वैज्ञानिक कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट को समझने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, अब डेल्टा प्लस, लैम्बडा, कप्पा और एप्सिलोन ने दुनिया के कई देशों में कहर बरपाना शुरू कर दिया है. आइए जानते हैं इन वेरिएंट्स से जुरी हुई सभी जानकारियां.
डेल्टा वेरिएंट/Delta Variant
भारत में कहर बरपाने वाली कोरोना की दूसरी लहर आने के पीछे डेल्टा वेरिएंट यानी बी.1.617.2 स्ट्रेन सबसे बड़ी वजह के रूप में सामने आया है. कोविड 19 महामारी के दौरान भारत में मिले इस डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के कारण ही सर्वाधिक मौतें हुई हैं. कोरोना के इस वेरिएंट से संक्रमित मरीज में कोविड 19 के आम लक्षणों (बुखार, खांसी, सिरदर्द और गले में खराश) के साथ सूंघने की क्षमता कम होना या खत्म जाना जैसे लक्षण भी सामने आ रहे हैं. डेल्टा वेरिएंट के लक्षणों में बदलाव और म्यूटेशन का कारण भारत में तेजी से हो रहा टीकाकरण भी माना जा रहा है. डेल्टा वेरिएंट की संक्रमण दर काफी ज्यादा है और ये बहुत तेजी से फैलता है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सामने आए कोरोना संक्रमण के मामलों में ज्यादातर डेल्टा वेरिएंट के ही थे. दुनिया के कई देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामलों में तेजी से उछाल आया है. इजरायल में कोरोना संक्रमण के 90 फीसदी मामले डेल्टा...
भारत में कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर में बरपा कहर काफी हद तक कम हो चुका है. लेकिन, अभी भी रोजाना 40 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. केंद्र सरकार की ओर से चेतावनी जारी होने के बावजूद पहाड़ों और टूरिस्ट प्लेस पर जुट रही लोगों की भारी भीड़ देखकर नहीं लगता है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर (Covid 19 third wave) की चिंता का असर किसी पर पड़ रहा है. वहीं, दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट (Covid 19 Variant) सामने आने लगे हैं. कोई वेरिएंट वैक्सीन से मिल रही एंटीबॉडीज को चकमा दे रहा है. तो कोई भयावहता में पिछले वेरिएंट (Corona Variant) से भी चार कदम आगे है. दुनिया के तमाम वैज्ञानिक कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट को समझने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, अब डेल्टा प्लस, लैम्बडा, कप्पा और एप्सिलोन ने दुनिया के कई देशों में कहर बरपाना शुरू कर दिया है. आइए जानते हैं इन वेरिएंट्स से जुरी हुई सभी जानकारियां.
डेल्टा वेरिएंट/Delta Variant
भारत में कहर बरपाने वाली कोरोना की दूसरी लहर आने के पीछे डेल्टा वेरिएंट यानी बी.1.617.2 स्ट्रेन सबसे बड़ी वजह के रूप में सामने आया है. कोविड 19 महामारी के दौरान भारत में मिले इस डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) के कारण ही सर्वाधिक मौतें हुई हैं. कोरोना के इस वेरिएंट से संक्रमित मरीज में कोविड 19 के आम लक्षणों (बुखार, खांसी, सिरदर्द और गले में खराश) के साथ सूंघने की क्षमता कम होना या खत्म जाना जैसे लक्षण भी सामने आ रहे हैं. डेल्टा वेरिएंट के लक्षणों में बदलाव और म्यूटेशन का कारण भारत में तेजी से हो रहा टीकाकरण भी माना जा रहा है. डेल्टा वेरिएंट की संक्रमण दर काफी ज्यादा है और ये बहुत तेजी से फैलता है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सामने आए कोरोना संक्रमण के मामलों में ज्यादातर डेल्टा वेरिएंट के ही थे. दुनिया के कई देशों में डेल्टा वेरिएंट के मामलों में तेजी से उछाल आया है. इजरायल में कोरोना संक्रमण के 90 फीसदी मामले डेल्टा वेरिएंट के पाए गए हैं. कोरोना वायरस के डेल्टा स्ट्रेन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' की श्रेणी में शामिल किया है. कोरोना वायरस का डेल्टा स्ट्रेन काफी घातक है.
डेल्टा प्लस वेरिएंट/Delta Plus Variant
कोरोना वायरस का बी.1.617.2 स्ट्रेन म्यूटेशन के बाद डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) के रूप में विकसित हुआ है. डेल्टा प्लस वेरिएंट में हुए इस म्यूटेशन को K417N कहा जा रहा है. दरअसल, कोई भी वायरस स्पाइक प्रोटीन की मदद से ही शरीर में प्रवेश करता है. वायरस में म्यूटेशन के दौरान स्पाइक प्रोटीन की संरचना बदल जाती है. डेल्टा प्लस वेरिएंट के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आए थे. शोध करने वालों का मानना है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट आंशिक रूप से शरीर के इम्यून सिस्टम को चकमा देने मे कामयाब हो सकता है. WHO ने इस स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट' की श्रेणी में रखा हुआ है. डेल्टा प्लस वेरिएंट ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विटजरलैंड, पोलैंड, जापान, नेपाल, चीन और रूस समेत नौ देशों में मिल चुका है. हालांकि, डेल्टा प्लस वेरिएंट को अपने पिछले अवतार डेल्टा की तरह ज्यादा घातक नहीं माना जा रहा है. इसके बावजूद ये चिंताजनक कहा जा सकता है.
कप्पा वेरिएंट/Kappa Variant
बी.1.617.1 यानी कप्पा वेरिएंट (Kappa Variant) को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 'वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट' की श्रेणी में रखा है. भारत में पहली बार अक्टूबर 2020 में पाए गए कप्पा वेरिएंट को डेल्टा जितना खतरनाक नहीं माना गया है. WHO की 'वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट' की श्रेणी से निकल कर 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' बनने में डेल्टा वेरिएंट को केवल एक महीना ही लगा. लेकिन, कप्पा वेरिएंट संबे समय से 'वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट' की श्रेणी में बना हुआ है. डेल्टा की तरह कप्पा वेरिएंट में भी दो म्यूटेशंस EE484Q और L452R सामने आए है. यूपी में कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान कप्पा वेरिएंट के दो मामले सामने आए थे. कप्पा वेरिएंट के बारे में कहा जा रहा है कि ये डेल्टा वेरिएंट के जितना खतरनाक नहीं है.
लैम्बडा वेरिएंट/Lambda Variant
दुनिया भर में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस के वेरिएंट की लिस्ट में लैम्बडा वेरिएंट (Lambda Variant) का नाम भी जुड़ गया है. कोरोना वायरस के इस वेरिएंट को काफी खतरनाक माना जा रहा है. लैम्बडा वेरिएंट की तेजी से फैलने की क्षमता और ज्यादा म्यूटेशन को देखते हुए भारत सरकार इस पर नजर बनाए हुए है. विशेषज्ञों का कहना है कि लैम्बडा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 7 म्यूटेशन पाए गए हैं. जिसकी वजह से ये वेरिएंट ज्यादा घातक और संक्रामक है. लैम्बडा वेरिएंट को फिलहाल 'वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट' की श्रेणी में रखा गया है. राहत की खबर ये है कि भारत में अभी तक लैम्बडा वेरिएंट का एक भी मामला सामने नहीं आया है. 30 से ज्यादा देशों में लैम्बडा वेरिएंट से संक्रमण के मामले सामने आए हैं.
एप्सिलोन वेरिएंट/Epsilon Variant
हाल ही में एक मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस का एप्सिलोन वेरिएंट (Epsilon Variant) एंटी कोविड वैक्सीन से मिले एंटीबॉडीज और कोरोना से उबरने पर बनी एंटीबॉडीज को भी चकमा दे सकता है. बताया जा रहा है कि अमेरिका के कैलिफोर्निया में बीते साल पहली बार पाए गए एप्सिलोन वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में तीन म्यूटेशन हुए हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये वेरिएंट मोनोक्लोनल और लैब में तैयार एंटीबॉडीज को भी धोखा दे सकता है. एप्सिलोन वेरिएंट अब तक 34 देशों में पाया जा चुका है. एप्सिलोन वेरिएंट को CAL.20C के नाम से भी जाना जाता है. शरीर में एंटीबॉडीज को चकमा दे सकने वाले इस वेरिएंट को डेल्टा से भी खतरनाक माना गया है.
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