इन दिनों में मीडिया में सबसे पहले और तेजी से खबर दिखाने की ऐसी होड़ लगी है कि किसी के बयान को सही से पढ़े बिना ही उसकी खबर बना दी जाती है. ऐसा ही हुआ है चीनी भाषा को पाकिस्तान में पढ़ाए जाने के बयान को लेकर. पाकिस्तान की सीनेट खालिदा परवीन के बयान को मीडिया ने सही से पढ़े बिना ही यह खबर दिखाना शुरू कर दिया कि पाकिस्तान में चीनी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की सहमति बन गई है. एक मीडिया ने ये गलती की और बाकी सभी भेड़ चाल की तरह उसके पीछे चल दिए. यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी यही सब चलने लगा.
क्या कहा खालिदा परवीन ने
पाकिस्तान की सीनेट खालिदा परवीन ने भारत और चीन के बीच सीपीईसी (China Pakistan Economic Corridor) के जरिए बढ़ते कोलेबोरेशन को देखते हुए आधिकारिक चीनी भाषा मेंडेरिन (Mandarin) का कोर्स लॉन्च करने की बात कही, ताकि कम्युनिकेशन बैरियर को खत्म किया जा सके. लेकिन मीडिया ने उनका मतलब ये निकाला कि चीनी भाषा को पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा बनाया जा रहा है. खबर सिर्फ टीवी चैनलों पर ही नहीं दिखाई जा रही थी, बल्कि डिजिटल मीडिया और यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी गलत खबर ही फैल रही थी.
कहां से हुई इस गलती की शुरुआत?
इस गलती की शुरुआत पाकिस्तान के ही एक मीडिया चैनल ने की. पाकिस्तानी मीडिया चैनल 'अब तक' ने सबसे पहले इस खबर को दिखाया. बस फिर क्या था. इस मीडिया चैनल के खबर दिखाए जाने के बाद एक के बाद एक अधिकतर मीडिया चैनलों ने इसे दिखाना शुरू कर दिया. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. यहां के भी अधिकतर टीवी चैनलों ने उसी खबर को दिखाया और पाकिस्तान पर निशाना भी साधा कि उसने भारत के दुश्मन चीन की भाषा को अपनी आधिकारिक भाषा बनाने को मंजूरी दे दी है.
आखिर सोशल मीडिया ही आया काम
जहां एक ओर पूरा मीडिया पाकिस्तान में चीनी भाषा को आधिकारिक करने की खबर दिखाने में लगा हुआ था, वहीं सोशल मीडिया पर एक ट्विटर यूजर ने इस गलती को पकड़ लिया. उसने खालिदा परवीन के बयान को दिखाते हुए यह साफ किया कि उन्होंने इसे पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा बनाने की बात नहीं कही है, बल्कि इस आधिकारिक भाषा को पाकिस्तान में पढ़ाए जाने की बात कही है.
अभी भी कई मीडिया चैनल और डिजिटल मीडिया पर भी गलत खबरें ही चलाई जा रही हैं. इस गलत खबर का इस तरह से वायरल हो जाना सभी के लिए एक सबक होना चाहिए कि बिना किसी खबर को क्रॉस चेक किए न चलाया जाए. हालांकि, सबसे आगे रहने के चक्कर में इस तरह की गलतियां होना लाजमी है, लेकिन अगर थोड़ा समय खबर को क्रॉस चेक करने में लगा दिया जाए तो गलत खबर दिखाकर शर्मिंदा होने से बचा जा सकता है.
ये भी पढ़ें-
सिर्फ ट्रंप के नाम से ही करोड़ों में बिक रहे हैं 'ट्रंप टावर' फ्लैट
नीरव मोदी को 'नीरव मोदी' बनाने वाला कौन है...
इन रिकार्ड्स को देखकर कभी शर्मिंदा होता होगा पाकिस्तान?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.