पुलिस की वर्दी पहनी यह लेडी कांस्टेबल (Lady Constable) रात के समय में पुलिस थाने के बाहर अपनी ड्यूटी पर तैनात है. तभी उसे कोई व्यक्ति पुलिस थाने की तरफ आता हुआ दिखाई देता है. वह तत्काल उसे ललकारती हुई आवाज में रूकने को कहती है. मगर वह आगे बढ़ आता है.
वह पूछती है "ठहरो, कौन हो?" इतने में जब उसे जवाब नहीं मिलता तो फौरन उस व्यक्ति पर राइफल तान देती है. इसके बाद वह शख्स महिला सिपाही के थोड़ा पास जाकर कहता है फिर उसे कंप्लेन लिखवानी है, इतना सुनने के बाद महिला सिपाही उसे अंदर जाने देती है. शायद उसे समझ में आ जाता है कि जिस पर उसने राइफल तानी थी वह कोई और नहीं बल्कि एसपी हैं, जो औचक निरीक्षण के लिए थाने पहुंचे हैं.
यह घटना बिहार के पूर्वी चंपारण का है. जहां आए दिन आपराधिक घटनाएं घटती रहती हैं. वहां की पुलिस व्यवस्था पर अक्सर लोग सवाल उठाते हैं. इसका हल निकालने के लिए जिले के एसपी डॉ. कुमार आशीष सिविल ड्रेस में एक साधारण इंसान की तरह लखौरा थाना पहुंच गए. जहां महिला सिपाही आकृति कुमारी ड्यूटी पर तैनात थी.
थाने में सादे कपड़े में एसपी को घुसते हुए शख्स को महिला सिपाही आकृति कुमारी शुरुआत में पहचाना नहीं पाई, वह एक्टिव हो गई और एक बहादुर सिपाही की निडर होकर उन्हें रोकने लगी. उसे लगा कोई बदमाश थाने में घुसने की फिराक में है.
इसके बाद एसपी आकृति की बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा से काफी प्रभावित हुए और ईनाम के रूप में 500 रूपए देने की घोषणा की. अब भले ही वे एसपी हैं तो क्या हुआ महिला सिपाही तो अपनी ड्यूटी निभा रही थी. इसलिए उसने बंदूक दिखाने की गुस्ताखी की.
जहां हम ऑफिस में एसी रूम...
पुलिस की वर्दी पहनी यह लेडी कांस्टेबल (Lady Constable) रात के समय में पुलिस थाने के बाहर अपनी ड्यूटी पर तैनात है. तभी उसे कोई व्यक्ति पुलिस थाने की तरफ आता हुआ दिखाई देता है. वह तत्काल उसे ललकारती हुई आवाज में रूकने को कहती है. मगर वह आगे बढ़ आता है.
वह पूछती है "ठहरो, कौन हो?" इतने में जब उसे जवाब नहीं मिलता तो फौरन उस व्यक्ति पर राइफल तान देती है. इसके बाद वह शख्स महिला सिपाही के थोड़ा पास जाकर कहता है फिर उसे कंप्लेन लिखवानी है, इतना सुनने के बाद महिला सिपाही उसे अंदर जाने देती है. शायद उसे समझ में आ जाता है कि जिस पर उसने राइफल तानी थी वह कोई और नहीं बल्कि एसपी हैं, जो औचक निरीक्षण के लिए थाने पहुंचे हैं.
यह घटना बिहार के पूर्वी चंपारण का है. जहां आए दिन आपराधिक घटनाएं घटती रहती हैं. वहां की पुलिस व्यवस्था पर अक्सर लोग सवाल उठाते हैं. इसका हल निकालने के लिए जिले के एसपी डॉ. कुमार आशीष सिविल ड्रेस में एक साधारण इंसान की तरह लखौरा थाना पहुंच गए. जहां महिला सिपाही आकृति कुमारी ड्यूटी पर तैनात थी.
थाने में सादे कपड़े में एसपी को घुसते हुए शख्स को महिला सिपाही आकृति कुमारी शुरुआत में पहचाना नहीं पाई, वह एक्टिव हो गई और एक बहादुर सिपाही की निडर होकर उन्हें रोकने लगी. उसे लगा कोई बदमाश थाने में घुसने की फिराक में है.
इसके बाद एसपी आकृति की बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा से काफी प्रभावित हुए और ईनाम के रूप में 500 रूपए देने की घोषणा की. अब भले ही वे एसपी हैं तो क्या हुआ महिला सिपाही तो अपनी ड्यूटी निभा रही थी. इसलिए उसने बंदूक दिखाने की गुस्ताखी की.
जहां हम ऑफिस में एसी रूम में काम करने से कतराते हैं, काम ना करने के बहाने बनाते हैं, वहीं यह महिला सिपाही रात के समय में बिना थके, बिना डरे बंदूक पकड़े खड़ी थी. उसे जब खतरा महसूस हुआ तो सक्रियता दिखाई. वह ईमानदारी से अपना काम कर रही थी. वह चाहती तो अनजान शख्स को रात में देखकर डर के भाग सकती थी. बंदूक तानने की बजाय किसी पुरुष सिपाही को आवाज लगा सकती थी, लेकिन वह अपना कर्तव्य निभाना जानती है. वह जानती है कि पुलिस की वर्दी उसने फैशन शो के लिए नहीं पहनी है, बल्कि अपराधियों का सबक सिखाने के लिए पहनी है. इसे पहनने के कुछ मायने हैं. अगर वह डर कर अपने कदम पीछे कर लेती को उसमें और डरपोक आम महिला में क्या फर्क रह जाता...
हालांकि इस वीडियो के सामने आने के बाद कई लोगों को यह फिल्मी सीन लग रहा है. कुछ लोग इस वीडियो पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि वीडियो कौन बना रहा था. कई लोगों ने आरोप लगाए हैं कि यह एक प्रायोजित वीडियो है, जिसमें पुलिस वालों ने एक्टिंग किया है...वैसे इस वीडियो को देखने के बाद आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
मान लीजिए अगर यह वीडियो सच है तो लोगों के आरोप सुन उस महिला सिपाही पर क्या बीती होगी. जो भी वह तो अपना कर्तव्य निभा रही थी, अपना काम कर रही थी. ऐसे में उसका हौसला बढ़ाने की जगह उसे ट्रोल करना क्या सही है? किसी पर उंगली उठाने से पहले अच्छी तरह यह कंफर्म कर लेना चाहिए कि हम जो बोल रहे हैं उसमें कितनी सच्चाई है?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.