आजकल जिसे देखो वही फेमिनिज्म का फंडा लेकर कूद पड़ता है. फेमिनिज्म के नारे लगाना और इसकी बातें करना आज के टाइम में एक फैशन स्टेटमेंट बन गया है. हद तो ये है कि ज्यादातर लोगों को फेमिनिज्म का मतलब भी नहीं मालूम होता लेकिन फिर भी वो फेमिनिज्म के नारे लगाने से बाज नहीं आते. और यही वो लोग होते हैं जो हर किसी के ऊपर फेमिनिज्म का अपना राग दूसरों पर थोपते हैं. तो जिन लोगों को अभी भी नहीं पता कि फेमिनिज्म आखिर किस चिड़िया का नाम है उनकी मदद हम कर देते हैं.
फेमिनिज्म का अर्थ होता है स्त्री या पुरुष की पहचान से परे महिलाओं के लिए समानता के अधिकारों की बात करना है. उसकी वकालत करना. न कि ब्रा जलाना या पुरुषों से नफरत करना. लेकिन फिर भी कुछ फेमिनिस्ट हैं जिन्हें रोकना जरूरी है. क्योंकि वे लोग निश्चित तौर पर वो नहीं होते जो वो दिखाते हैं. फिर चाहे वो पुरुष हों या महिलाएं. कंफ्यूज हो गए?
चलिए आपकी कंफ्यूजन दूर किए देते हैं और बताते हैं उन पांच तरह के फेमिनिस्टों के बारे में जिनसे सभी को सतर्क रहना चाहिए.
1- वो जो बेटी के जन्म के बाद फेमिनिज्म का नारा लगाते हैं-
महिलाओं का सम्मान करने, उन्हें बराबर समझने के लिए किसी को बेटी का पिता होने का इंतजार नहीं करना चाहिए. बेटी का बाप बनने के बाद ही अगर आपको ये एहसास होता है कि लड़कियां भी इंसान होती हैं तो आप पाखंड कर रहे हैं. इस तरह का 'दिव्य ज्ञान' न सिर्फ सतही और स्वार्थपरक होता है बल्कि ये कुछ समय के लिए ही रहता है. आप दिल से और दिमाग से अभी भी पितृसत्तातमक सोच के ही होते हैं. अब सिर्फ आपने फेमिनिज्म का चोला ओढ़ लिया होता है.
अब या तो आप महिलाओं से नफरत करने वाले होते हैं या फिर फेमिनिस्ट. बीच की कोई...
आजकल जिसे देखो वही फेमिनिज्म का फंडा लेकर कूद पड़ता है. फेमिनिज्म के नारे लगाना और इसकी बातें करना आज के टाइम में एक फैशन स्टेटमेंट बन गया है. हद तो ये है कि ज्यादातर लोगों को फेमिनिज्म का मतलब भी नहीं मालूम होता लेकिन फिर भी वो फेमिनिज्म के नारे लगाने से बाज नहीं आते. और यही वो लोग होते हैं जो हर किसी के ऊपर फेमिनिज्म का अपना राग दूसरों पर थोपते हैं. तो जिन लोगों को अभी भी नहीं पता कि फेमिनिज्म आखिर किस चिड़िया का नाम है उनकी मदद हम कर देते हैं.
फेमिनिज्म का अर्थ होता है स्त्री या पुरुष की पहचान से परे महिलाओं के लिए समानता के अधिकारों की बात करना है. उसकी वकालत करना. न कि ब्रा जलाना या पुरुषों से नफरत करना. लेकिन फिर भी कुछ फेमिनिस्ट हैं जिन्हें रोकना जरूरी है. क्योंकि वे लोग निश्चित तौर पर वो नहीं होते जो वो दिखाते हैं. फिर चाहे वो पुरुष हों या महिलाएं. कंफ्यूज हो गए?
चलिए आपकी कंफ्यूजन दूर किए देते हैं और बताते हैं उन पांच तरह के फेमिनिस्टों के बारे में जिनसे सभी को सतर्क रहना चाहिए.
1- वो जो बेटी के जन्म के बाद फेमिनिज्म का नारा लगाते हैं-
महिलाओं का सम्मान करने, उन्हें बराबर समझने के लिए किसी को बेटी का पिता होने का इंतजार नहीं करना चाहिए. बेटी का बाप बनने के बाद ही अगर आपको ये एहसास होता है कि लड़कियां भी इंसान होती हैं तो आप पाखंड कर रहे हैं. इस तरह का 'दिव्य ज्ञान' न सिर्फ सतही और स्वार्थपरक होता है बल्कि ये कुछ समय के लिए ही रहता है. आप दिल से और दिमाग से अभी भी पितृसत्तातमक सोच के ही होते हैं. अब सिर्फ आपने फेमिनिज्म का चोला ओढ़ लिया होता है.
अब या तो आप महिलाओं से नफरत करने वाले होते हैं या फिर फेमिनिस्ट. बीच की कोई विचारधारा नहीं होती.
2- वो 'फेमिनिस्ट' जो लड़कियों को अपने पसंद के कपड़े पहनने की वकालत करते हैं लेकिन हिरोइनों के बिकनी पहनने पर लाल-पीले हो जाते हैं-
ये फेमिनिस्टों की सबसे ज्यादा पाई जाने वाली प्रजाति होती है. साथ ही यही लोग सबसे ज्यादा इरिटेट भी करते हैं. वो (स्त्री/ पुरुष) दावा करते हैं कि महिलाओं को अपनी पसंद के कपड़े पहनने के अधिकार का वो समर्थन करते हैं. लेकिन अगर हिरोईनों के बिकनी पहनने पर उतने घोर ऐतराज होता है. जैसे ही वो किसी हिरोईन को बिकनी जैसे असंस्कारी कपड़े पहने देखते हैं उनके अंदर का संस्कार भाव जाग जाता है. और वो पूरी दुनिया को नैतिकता और संस्कार का पाठ पढ़ाना शुरु कर देते हैं.
3- वो लोग जो हमेशा ये बताते रहते हैं कि महिलाओं बगैर मेकअप के ही अच्छी लगती हैं-
ऐसे फेमिनिस्टों में ज्यादातर पुरुष ही होते हैं. ये हमेशा इस बात को साबित करने में लगे रहते हैं कि महिलाएं अपने प्राकृतिक लुक में ही सुंदर लगती हैं. मतलब कि बिना मेकअप के ही महिलाओं की असली सुंदरता दिखती है. क्योंकि उनके हिसाब से ये एक ऐसी चीज है जिससे महिलाओं को आजाद होने की जरुरत है. लेकिन ऐसा क्यों होता है? तो इसलिए क्योंकि ये 'फेमिनिस्ट' मेकअप वाले चेहरों को पसंद नहीं करते.
अब अगर हम कहें कि लोगों से उनकी राय किसने मांगी तो बवाल हो जाएगा!
4- वो फेमिनिस्ट जो हमेशा ये बताते रहते हैं कि उनके सेक्सिस्ट दोस्त क्या सोच रखते हैं-
देखिए बात बिल्कुल सीधी सी है. आप फेमिनिस्ट तभी हो सकते हैं जब आप बराबरी में विश्वास करते हों. चाहे स्त्री हो या फिर पुरुष उनकी समानता में आपकी आस्था हो. इसमें किसी भी तरह के अगर-मगर की जगह न हो. है ना? इसलिए अगर कोई फेमिनिस्ट दोस्त ये बताता/बताती है कि उनके सेक्सिस्ट मित्र लड़कियों के प्रति कैसे विचार रखते हैं तो आप उनसे एक सीधा सा सवाल करें कि क्या उन्होंने इस मुद्दे पर अपने दोस्त का विरोध किया? अगर नहीं किया तो फिर सच्चाई ये है कि वो फेमिनिस्ट नहीं हैं. वो सिर्फ फेमिनिस्ट होने का दिखावा करते हैं. उनसे दूर रहने में ही भलाई है.
5- वैसे लोग जो सिर्फ किसी को इंप्रेस करने के लिए फेमिनिज्म का चोगा पहने घूमते हैं-
आप उनसे टिंडर पर मिलते हैं. उसके बायो में लिखा है- फेमिनिस्ट. बस आपने राईट स्वाइप कर लिया क्योंकि अपने जैसे सोच वाले के साथ होना कौन नहीं चाहता. लेकिन जैसे ही आप उससे मिलने-जुलने लगते हैं. बातचीत का दायरा शारीरिक संबंधों में बदल जाता है. तभी उनका असली चेहरा नजर आता है. उनका फेमिनिज्म सिर्फ आपको बिस्तर तक लाने के लिए था!
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.