क्या उत्तर क्या दक्षिण देश भर से भयंकर बारिश और उस बारिश के कारण मची तबाही की खबरें आ रही हैं. बताया जा रहा है कि जगह-जगह बांध टूट रहे हैं, लोग बाढ़ में फंसे हैं. अपने चारों तरफ ज़िन्दगी तलाश रहे इन लोगों को प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभाव में एक्शन लेते हुए निकाला जा रहा है. सेना के हेलिकॉप्टरों द्वारा राहत और बचाव अभियान जारी है. आगे कुछ और बात करने से पहले आइये एक नजर डाल लें उन खबरों पर, जिनका आधार बारिश है. देश के उत्तरी हिस्से और पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश का प्रकोप जारी है. मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश समेत 10 राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी दी है.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से दो दिन में 17 लोगों की जान चली गई. बारिश का स्वरुप कितना भयंकर है इसे हम उत्तराखंड में हुए भूस्खलन से भी समझ सकते हैं जिसमें 24 लोगों कि मौत हुई है. भरी बारिश के मद्देनजर मौसम विभाग ने चेतावनी दी है. मौसम विभाग के मुताबिक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की आशंका है. बात आंकड़ों कि हो तो मानसून की शुरुआत से लेकर अब तक देशभर में 626 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है और बताया ये जा रहा है की यह सामान्य 612 मिमी से करीब 2% ज्यादा है.
इतनी बातें बहुत हैं ये बताने के लिए कि भारी बारिश के चलते होने वाली तबाही अभी और कुछ दिन जारी रहेगी. जैसा हमारा स्वाभाव है हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे और ये कहेंगे की जान माल का इतना नुकसान सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकी इस बार बारिश खूब हुई. चूंकि इस बारिश के चलते होने वाली दुर्घटनाओं के जिम्मेदार हम खुद...
क्या उत्तर क्या दक्षिण देश भर से भयंकर बारिश और उस बारिश के कारण मची तबाही की खबरें आ रही हैं. बताया जा रहा है कि जगह-जगह बांध टूट रहे हैं, लोग बाढ़ में फंसे हैं. अपने चारों तरफ ज़िन्दगी तलाश रहे इन लोगों को प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभाव में एक्शन लेते हुए निकाला जा रहा है. सेना के हेलिकॉप्टरों द्वारा राहत और बचाव अभियान जारी है. आगे कुछ और बात करने से पहले आइये एक नजर डाल लें उन खबरों पर, जिनका आधार बारिश है. देश के उत्तरी हिस्से और पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश का प्रकोप जारी है. मौसम विभाग ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश समेत 10 राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी दी है.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से दो दिन में 17 लोगों की जान चली गई. बारिश का स्वरुप कितना भयंकर है इसे हम उत्तराखंड में हुए भूस्खलन से भी समझ सकते हैं जिसमें 24 लोगों कि मौत हुई है. भरी बारिश के मद्देनजर मौसम विभाग ने चेतावनी दी है. मौसम विभाग के मुताबिक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की आशंका है. बात आंकड़ों कि हो तो मानसून की शुरुआत से लेकर अब तक देशभर में 626 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है और बताया ये जा रहा है की यह सामान्य 612 मिमी से करीब 2% ज्यादा है.
इतनी बातें बहुत हैं ये बताने के लिए कि भारी बारिश के चलते होने वाली तबाही अभी और कुछ दिन जारी रहेगी. जैसा हमारा स्वाभाव है हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे और ये कहेंगे की जान माल का इतना नुकसान सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकी इस बार बारिश खूब हुई. चूंकि इस बारिश के चलते होने वाली दुर्घटनाओं के जिम्मेदार हम खुद हैं तो हम ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते. हो सकता है कि ये बातें आपको आहत कर दें. मगर सत्य यही है कि भारी बारिश के कारण जो हम यहां-वहां, इधर-उधर फंसे हैं वो हमारे ही कर्मों का भोग है.
हो सकता है कि इन बातों के बाद हमें असंवेदनशील करार दे दिया जाए. मगर सत्य यही है कि आज जैसी भी स्थिति है उसका कारण हम खुद हैं और सिवाए सेना के हेलीकॉप्टरों के इंतजार के हम कुछ कर नहीं सकते हैं. बात समझने के लिए पहले हमें ये समझना होगा की देश के जिन हिस्सों में भी बारिश हुई और उस बारिश की वजह से वहां बाढ़ आई ये वो स्थान हैं जहां से कोई न कोई नदी निकलती थी. जहां से पानी का निकास होता था.
बढ़ती हुई आबादी के कारण आज हमारे पास रहने के लिए जगह नहीं है. हम उन जगहों पर रह रहे हैं जहां से नदी गुजरती है. जाहिर सी बात है जब नदी में पानी होगा तो वो बहेगा और उन घरों को अपनी चपेट में लेगा जो उसके मार्ग में बाधा डालेंगे. इस पूरे क्रम को देखें और यदि इसका अवलोकन करें तो मिलता है कि इसमें बारिश का दोष तो कहीं से भी नहीं है और पूरी की पूरी गलती हमारी है.
हम खुद अपने साथ घटित हो रही चीजों के लिए कितने लापरवाह हैं, इसे एक उदहारण से समझ सकते हैं. आने वाले दिनों में देश के कुछ हिस्सों विशेषकर मध्य प्रदेश में, जहां से नर्मदा निकलती है, वहां फिर भयंकर बारिश होने कि चेतावनी है. इस विषय पर खुद मौसम विभाग ने हाई अलर्ट जारी किया है. मगर सवाल ये है की क्या मध्यप्रदेश की जनता या ये कहें की वो लोग जो नर्मदा या किसी अन्य नदी के रास्ते पर रहते हैं इससे कुछ प्रेरणा लेंगे ?
सीधा जवाब है नहीं. ये लोग बारिश होते फिर उसे बाढ़ में तब्दील होते देखेंगे. सेना या एनडीआरएफ से मिलने वाले रहत और बचाव की प्रतीक्षा करेंगे मगर उस स्थान को बिलकुल नहीं छोड़ेंगे जहां ये अभी रह रहे हैं. साफ़ है अगर कल कोई दुर्घटना होती है तो हमें बारिश, पानी और बाढ़ के कंधों पर बोझ डालने का कोई अधिकार नहीं है.
होनी चाहिए लोगों के अलावा अधिकारियों पर कार्रवाई
ये सुनने में अजीब/असंवेदनशील लगेगा मगर सच यही है की ऐसी आपदाओं पर यदि जान माल की हानि होती है तो कार्रवाई उन लोगों पर होनी चाहिए जो उन स्थानों पर रह रहे हैं. जिनके आस पास हमेशा ही प्राकृतिक आपदाओं का खतरा मंडराता है. साथ ही उन अधिकारियों पर भी एक्शन लिया जाना चाहिए जो लोगों को ऐसे निर्माण करने की अनुमति दे रहे हैं. कह सकते हैं की इस पूरी प्रक्रिया में एक भ्रष्टाचार है और उस भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फंसकर हम खुद कुल्हाड़ी पर पैर मार रहे हैं.
अन्य प्राकृतिक आपदाओं से अलग है बाढ़
यदि कहीं भूकंप आता है तो उसका पता हमें तब चलता है जब भूकंप आ रहा होता है. इसके ठीक विपरीत बात अगर बारिश या फिर बाढ़ के सन्दर्भ में हो तो बारिश होने वाली है या नहीं इसकी जानकारी हमारे पास रहती है. बारिश के सन्दर्भ में अलर्ट हमें पहले ही मिल जाते हैं. अब जब स्थिति ऐसी हो या फिर ये हमें पता हो कि भविष्य में तेज बारिश हो सकती है तो और अगर हम इस चेतवानी को नजरंदाज कर रहे हैं तो इसमें पूरा का पूरा दोष हमारा है.
समस्या का निदान खुद करना होगा
बात स्पष्ट है. यदि ये समस्या हो रही है तो हमें समाधान खुद निकालना होगा. ये सोचना कि हमारी मदद के लिए कोई और आएगा अपने आप में एक बड़ी मूर्खता है. यदि हम वाकई इस समस्या के लिए गंभीर हैं तो कदम हमें खुद उठाना होगा और साथ ही प्रकृति के साथ संतुलन और सामंजस्य स्थापित करना होगा.
बहरहाल, जो होना है हो चुका है. मगर जो होने वाला है उसे संभाला जा सकता है. प्रकृति हमें इज्जत तब देगी, हमारी सुरक्षा तब करेगी जब हम उसकी इज्जत करेंगे. यदि हम उसके साथ खिलवाड़ करेंगे तो परिणाम वही होगा जो आज हमारे सामने है जिसमें देश भर से मौतों और लोगों के एक दूसरे से बिछड़ने की खबरें आ रही हैं.
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