वित्त मंत्री सीतारमण ने देश का बजट (Budget 2023) पेश कर दिया है. हर तरफ इसके चर्चे हो रहे हैं. लोगों की इस पर मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. अब आप इसे 10 में से कितने नंबर देते हैं यह आपकी मर्जी है मगर जिस तरह बजट में महिलाओं, किसानों और मीडिल क्लास का ध्यान रखा गया है इसे कुछ नेता चुनावी बजट जरूर कर रहे हैं. अभी तक सलाना 5 लाख इनकम होने पर कोई टैक्स नहीं देना होता था अब न्यू टैक्स रिजीम में इसे सात लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है. ये तो हो गई ज्ञान की बातें अब असलियत पर आते हैं.
का है कि वित्त के मामले में आपना हाथ जरा टाइट है. बड़ी मुश्किल से इतना ही समझ पाए थे. असल में बजट में जो दिखता है वो होता नहीं है, औऱ जो होता है वह दिखता नहीं है. कहने को तो 7 लाख पर टैक्स नहीं है, मगर उसमें भी कंडीशन अप्लाई है. चलिए अब मुद्दे की बात करते हैं.
मुन्ना भाई एमबीबीएस में एक डायलॉग है, तू समझ ले मुझे बाद में सीखा देना. यही हाल बजट समझने वाले हमारे जैसे कुछ लोगों का है. इस फिल्म एक सीन में जब टीचर दूसरें बच्चों के साथ मुन्ना को पढ़ा रहा होता है तो उसे सिलेबस का कुछ भी समझ नहीं आता है. सबकुछ उसके सिर के ऊपर से निकल जाता है. दिमाग में कुछ घुसता नहीं है. यह बजट भी आम लोगों के लिए ऐसा ही है.
मोबाइल फोन सस्ता हो जाए, सिगरेट मंहगी हो जाए, इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, उन्हें तो सीधा-सीधा समझना होता है कि हमें टैक्स देना पड़ेगा कि नहीं. सरकार हम लोगों को कुछ मुफ्त में दे रही है कि नहीं. नौकरी दे रही है कि नहीं. अनाज मिलेगा की नहीं. रसोई गैस सस्ता हुआ?
ये वित्त की बातें हमारी समझ से परे हैं. हां बजट वाले दिन कॉमर्स औऱ वित्त विशेषज्ञों के भाव जरूर बढ़ जाते हैं. ऐसा...
वित्त मंत्री सीतारमण ने देश का बजट (Budget 2023) पेश कर दिया है. हर तरफ इसके चर्चे हो रहे हैं. लोगों की इस पर मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है. अब आप इसे 10 में से कितने नंबर देते हैं यह आपकी मर्जी है मगर जिस तरह बजट में महिलाओं, किसानों और मीडिल क्लास का ध्यान रखा गया है इसे कुछ नेता चुनावी बजट जरूर कर रहे हैं. अभी तक सलाना 5 लाख इनकम होने पर कोई टैक्स नहीं देना होता था अब न्यू टैक्स रिजीम में इसे सात लाख करने का प्रस्ताव रखा गया है. ये तो हो गई ज्ञान की बातें अब असलियत पर आते हैं.
का है कि वित्त के मामले में आपना हाथ जरा टाइट है. बड़ी मुश्किल से इतना ही समझ पाए थे. असल में बजट में जो दिखता है वो होता नहीं है, औऱ जो होता है वह दिखता नहीं है. कहने को तो 7 लाख पर टैक्स नहीं है, मगर उसमें भी कंडीशन अप्लाई है. चलिए अब मुद्दे की बात करते हैं.
मुन्ना भाई एमबीबीएस में एक डायलॉग है, तू समझ ले मुझे बाद में सीखा देना. यही हाल बजट समझने वाले हमारे जैसे कुछ लोगों का है. इस फिल्म एक सीन में जब टीचर दूसरें बच्चों के साथ मुन्ना को पढ़ा रहा होता है तो उसे सिलेबस का कुछ भी समझ नहीं आता है. सबकुछ उसके सिर के ऊपर से निकल जाता है. दिमाग में कुछ घुसता नहीं है. यह बजट भी आम लोगों के लिए ऐसा ही है.
मोबाइल फोन सस्ता हो जाए, सिगरेट मंहगी हो जाए, इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, उन्हें तो सीधा-सीधा समझना होता है कि हमें टैक्स देना पड़ेगा कि नहीं. सरकार हम लोगों को कुछ मुफ्त में दे रही है कि नहीं. नौकरी दे रही है कि नहीं. अनाज मिलेगा की नहीं. रसोई गैस सस्ता हुआ?
ये वित्त की बातें हमारी समझ से परे हैं. हां बजट वाले दिन कॉमर्स औऱ वित्त विशेषज्ञों के भाव जरूर बढ़ जाते हैं. ऐसा लगता है कि बजट उनके लिए ही लाया गया है. वही सबको समझाते हैं.
बाकी हमारे जैसे कुछ लोगों को अभी समझने में वक्त लगेगा कि ये बजट कैसा रहा? कई लोग दूसरों लोगों के फोन कर पूछ रहे हैं कि इस बजट से क्या फायदा हुआ औऱ क्या नुकसान. आपको समझ में आय़ा तो बहुत अच्छी बात है बाकी जो लोग नहीं समझ सके हैं वो जैसे-तैसे करके आने वाले एक हफ्ते में समझ ही जाएंगे. काहें कि कुछ लोगों को बजट के आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता. उनके लिए सब एक जैसा ही है. वे बस इतना जानते हैं कि आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.