सूचना क्रांति के इस दौर में जानकारियां हासिल करना चुटकियों का खेल है. लेकिन लगता है कि महिलाओं की बड़ी आबादी अभी टीवी के फेर में ही पड़ी हुई हैं. या फिर पुरानी दौर की 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' सरीखी फिल्मों के फेर में या फिर व्रत-त्योहारों या महिलाओं के लिए अप्रगतिशील नैतिक पाठों से भरी किताब गीता प्रेस की किताबों के फेर में. वैसे लगता है कि यह धार्मिक मान्यताओं और टीवी धारावाहिकों के जरिए उन्हें ग्लैमराइज करने की देन ज्यादा है. तभी तो हर साल करवा चौथ की धमक बरकरार रहती है. इस बार भी लीजिए हाजिर है आज करवाचौथ, जब पत्नियां अपने पतियों की लंबी आयु और सलामती के लिए उपवास रख रही हैं. तो ऐसा कर रही पत्नियों! आपको विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह आंकड़ा देख लेना चाहिए.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में पुरुषों का औसत जीवनकाल 2015 में 67 साल रहा है. वहीं भारतीय महिलाओं का औसत जीवनकाल पुरुषों से तीन साल ज्यादा यानि 70 साल है. यानि बुनियादी तौर पर खुद अपने लिए करवाचौथ न होने के बावजूद पत्नियां ज्यादा जी रही हैं. वहीं WHO की लिस्ट के 194 देशों में भारत की रैंक 26 है यानी कई ऐसे देश जहां करवा चौथ नहीं होता वे पुरुषों की आसत आयु भारत से ज्यादा है. ऐसे में करवाचौथ का भला क्या फायदा.
पति की लंबी उम्र की कामना करती महिलाएं |
वहीं पिछले दशकों में भारत में औसत आयु में वृद्धि देख लिजिए. 1960 के मुकाबले 2015 में...
सूचना क्रांति के इस दौर में जानकारियां हासिल करना चुटकियों का खेल है. लेकिन लगता है कि महिलाओं की बड़ी आबादी अभी टीवी के फेर में ही पड़ी हुई हैं. या फिर पुरानी दौर की 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' सरीखी फिल्मों के फेर में या फिर व्रत-त्योहारों या महिलाओं के लिए अप्रगतिशील नैतिक पाठों से भरी किताब गीता प्रेस की किताबों के फेर में. वैसे लगता है कि यह धार्मिक मान्यताओं और टीवी धारावाहिकों के जरिए उन्हें ग्लैमराइज करने की देन ज्यादा है. तभी तो हर साल करवा चौथ की धमक बरकरार रहती है. इस बार भी लीजिए हाजिर है आज करवाचौथ, जब पत्नियां अपने पतियों की लंबी आयु और सलामती के लिए उपवास रख रही हैं. तो ऐसा कर रही पत्नियों! आपको विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह आंकड़ा देख लेना चाहिए.
इसे भी पढ़ें:एक वर्किंग वुमन कैसे रखे करवाचौथ ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में पुरुषों का औसत जीवनकाल 2015 में 67 साल रहा है. वहीं भारतीय महिलाओं का औसत जीवनकाल पुरुषों से तीन साल ज्यादा यानि 70 साल है. यानि बुनियादी तौर पर खुद अपने लिए करवाचौथ न होने के बावजूद पत्नियां ज्यादा जी रही हैं. वहीं WHO की लिस्ट के 194 देशों में भारत की रैंक 26 है यानी कई ऐसे देश जहां करवा चौथ नहीं होता वे पुरुषों की आसत आयु भारत से ज्यादा है. ऐसे में करवाचौथ का भला क्या फायदा.
पति की लंबी उम्र की कामना करती महिलाएं |
वहीं पिछले दशकों में भारत में औसत आयु में वृद्धि देख लिजिए. 1960 के मुकाबले 2015 में पुरुषों के औसत आयु 23.7 साल बढ़ी है लेकिन महिलाओं की औसत आयु ज्यादा (28.6 साल) बढ़ी है. इसी तरह पुरुषों का जीवनकाल वर्ष 2000 से 2015 में 5.5 साल बढ़कर 67 हुआ है, तो महिलाओं का 6.3 साल बढ़कर 70 साल. जाहिर है पुरुषों की औसत आयु महिलाओं के मुकाबले कम बढ़ रही है.
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इसी तरह भारत में मौतों की टॉप 15 वजहों में दिल की गंभीर बीमारियां, फेफड़े और यकृत की बीमारी, आघात, डायरिया-निमोनिया, आत्महत्या, सड़क दुर्घटना, हाइपर टेंशन शामिल हैं. तो हे पत्नियों! करवाचौथ छोड़िए और पतियों की और खुद की सेहतमंद और तनावरहित दिवनचर्या पर ध्यान दीजिए ताकि आप और आपके पति इन खतरों से बचे रहें. करवाचौथ से कुछ न होगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.