''ये जो अपराधी और माफिया हैं, आखिर ये किसके द्वारा पाले गए हैं? क्या ये सच नहीं है कि जिसके खिलाफ केस दर्ज है, उसे सपा ने सांसद बनाया था? आप अपराधी को पालेंगे और उसके बाद तमाशा बनाते हैं. हम इस माफिया को मिट्टी में मिला देंगे''...उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उमेश पाल हत्यकांड के बाद जब 'मिट्टी में मिला देने' वाला बयान विधानसभा में दिया तो पूरा सदन गूंज उठा. सूबे में संगठित और पेशेवर अपराध के खिलाफ योगी की जो परिबद्धता है, वो उनके इस बयान में दिख रही थी. उसी का असर है कि आज जब आतंक के पर्याय रहे बाहुबली नेता अतीक अहमद को अहमदाबाद से प्रयागराज लाया जा रहा तो हर किसी की निगाहें उस ओर हैं. क्योंकि लोगों को लग रहा है कि सड़क यात्रा के दौरान माफिया के साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती है, जैसे कि कानपुर के विकास दुबे के साथ हुई थी.
दुनिया के छोड़िए खुद अतीक अहमद डरा हुआ है. सुनने में आया है कि उसने गुजरात के साबरमती जेल से बाहर निकलने से इंकार कर दिया था. यहां तक कि उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन ने पुलिस के दो आला अफसरों पर साजिश का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि पुलिस कमिश्नर प्रयागराज रमित शर्मा और एडीजी अमिताभ यश ने उसके पति अतीक की सुपारी ली है. ये लोग कभी भी अतीक की हत्या करा सकते हैं. ये वही लोग है, जो दिनदहाड़े किसी को अगवा कर लेते थे. इनके गुर्गे सरेराह किसी पर गोलियां बरसा देते थे. किसी की खाली जमीन देखी तो उस पर कब्जा कर लेते थे. उसे छोड़ने के एवज में मोटी रकम वसूलते थे. उमेश पाल की हत्या भी तो अतीक के इशारे पर उसके बेटों और गुर्गों ने दिनदहाड़े ही किया था, वो भी तब जब योगी सरकार लगातार सूबे के माफिया और गुंडों को नेस्तनाबूत करने में लगी हुई है.
''ये जो अपराधी और माफिया हैं, आखिर ये किसके द्वारा पाले गए हैं? क्या ये सच नहीं है कि जिसके खिलाफ केस दर्ज है, उसे सपा ने सांसद बनाया था? आप अपराधी को पालेंगे और उसके बाद तमाशा बनाते हैं. हम इस माफिया को मिट्टी में मिला देंगे''...उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उमेश पाल हत्यकांड के बाद जब 'मिट्टी में मिला देने' वाला बयान विधानसभा में दिया तो पूरा सदन गूंज उठा. सूबे में संगठित और पेशेवर अपराध के खिलाफ योगी की जो परिबद्धता है, वो उनके इस बयान में दिख रही थी. उसी का असर है कि आज जब आतंक के पर्याय रहे बाहुबली नेता अतीक अहमद को अहमदाबाद से प्रयागराज लाया जा रहा तो हर किसी की निगाहें उस ओर हैं. क्योंकि लोगों को लग रहा है कि सड़क यात्रा के दौरान माफिया के साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती है, जैसे कि कानपुर के विकास दुबे के साथ हुई थी.
दुनिया के छोड़िए खुद अतीक अहमद डरा हुआ है. सुनने में आया है कि उसने गुजरात के साबरमती जेल से बाहर निकलने से इंकार कर दिया था. यहां तक कि उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन ने पुलिस के दो आला अफसरों पर साजिश का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि पुलिस कमिश्नर प्रयागराज रमित शर्मा और एडीजी अमिताभ यश ने उसके पति अतीक की सुपारी ली है. ये लोग कभी भी अतीक की हत्या करा सकते हैं. ये वही लोग है, जो दिनदहाड़े किसी को अगवा कर लेते थे. इनके गुर्गे सरेराह किसी पर गोलियां बरसा देते थे. किसी की खाली जमीन देखी तो उस पर कब्जा कर लेते थे. उसे छोड़ने के एवज में मोटी रकम वसूलते थे. उमेश पाल की हत्या भी तो अतीक के इशारे पर उसके बेटों और गुर्गों ने दिनदहाड़े ही किया था, वो भी तब जब योगी सरकार लगातार सूबे के माफिया और गुंडों को नेस्तनाबूत करने में लगी हुई है.
योगी सरकार आतंकियों के लिए 'आतंक' बन चुकी है. वरना एक वक्त था जब यूपी के हर जिले में एक बाहुबली नेता होता था. उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता था. कई बार वो खुद राजनीति में होता था. सत्ता के करीब में रहकर पुलिस और प्रशासन को अपनी जेब में रखता था. उसके बाद जहां जो चाहे वो करता था. अतीक अहमद के अलावा मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, विजय मिश्रा, धनंजय सिंह, हरिशंकर तिवारी, डीपी यादव और अमरमणि त्रिपाठी का नाम भला कौन नहीं जानता है. ये सभी सफेद पोशाक में काले कारनामों को अंजाम दिया करते थे. इनमें किसी की छवि रॉबिन हुड की थी, तो कोई दुर्दांत अपराधी था, लेकिन हर कोई कानून को अपने हाथ में लेकर जो चाहता वो करता था. इनके संरक्षण में पलने वाले अपराधियों ने आतंक का राज स्थापित किया हुआ था. सरकार भी इनके आगे बेबस नजर आती थी, क्योंकि इनके हाथ में वोट होता था.
लेकिन यूपी में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहला बीड़ा क्राइम कंट्रोल का उठाया. उन्होंने अपराध को रोकने के लिए यूपी पुलिस को एनकाउंटर की खुली छूट दे दी. इसके बाद एक के बाद एक एनकाउंटर किए जाने लगे. हालत ये हो गई कि कई बड़े अपराधी राज्य छोड़कर भाग गए. जो बचे उन्होंने थानों में जाकर सरेंडर करना शुरू कर दिया. पुलिस ने 10 हजार से ज्यादा कार्रवाई की है. एडीजी एलओ प्रशांत कुमार की माने तो 20 मार्च 2017 से अब तक 10713 पुलिस कार्रवाई की गई हैं. 23,032 लोग गिरफ्तार किए गए. पुलिस कार्रवाई के दौरान करीब 4900 आरोपी घायल हुए हैं, जबकि करीब 178 पुलिस एनकाउंटर में मारे गए हैं. इसमें प्रयागराज कांड में एनकाउंटर किए गए 2 लोग शामिल हैं. हालांकि, इन कार्रवाईयों के दौरान पुलिसकर्मियों को भी अपनी जान देनी पड़ी है. इस दौरान करीब 1,425 पुलिसकर्मी घायल, जबकि 15 शहीद हुए हैं.
यूपी सरकार ने एनकाउंटर के साथ इन अपराधियों की संपत्ति जब्त करने या ध्वस्त करने का काम भी शुरू कर दिया. उनको आर्थिक चोट देकर पूरी तरह से अचलस्त कर दिया गया. इस क्रम में मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा और अतीक अहमद की करोड़ों और अरबों की संपत्ति नष्ट कर दी गई. लखनऊ और प्रयागराज जैसे बड़े शहरों में मौजूद इनकी कई मंजिला इमारतों गिरा दी गई. अपराधियों के खिलाफ कई तरफा वार किए गए. उन्हें या तो एनकाउंटर में मारा गया या फिर जेल भेजने के बाद उनके घर पर बुलडोजर चला दिया गया. यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ बुलडोजर बाबा के नाम से भी मशहूर हो गए. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव उनके बुलडोजर की बहुत चर्चा रही. उनके जीतने में क्राइम कंट्रोल की नीति ने बड़ी भूमिका निभाई है. फिलहाल यूपी में संगठित अपराध अपने खात्मे की ओर है. अतीक जैसे बचे हुए लोग अपने आखिरी दिन गिन रहे हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि यूपी पुलिस अतीक अहमद को लेकर अहमदाबाद से निकल चुकी है. उसे रविवार शाम 5 बजकर 44 मिनट पर जेल से बाहर लाया गया. इसके बाद पुलिस वैन में बिठाने के बाद प्रयागराज के लिए रवाना कर दिया गया. इस दौरान अतीक काले रंग के कुर्ते में सहमा हुआ नजर आ रहा था. उसने मीडिया से कहा, ''ये मेरी हत्या करना चाहते हैं.'' यूपी पुलिस की टीम को अभी 24 घंटे में 1300 किमी की यात्रा तय करना है. यदि अतीक सही सलामत प्रयागराज पहुंच जाता है तो उसे एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में 28 मार्च को पेश किया जाएगा. अतीक उमेश पाल मर्डर केस में मुख्य आरोपी है. उसने 2006 में उमेश पाल को अगवा कर लिया था. क्योंकि उमेश ने 2007 में अतीक और उसके भाई अशरफ के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कराया था. इसी केस में प्रयागराज की स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट 28 मार्च को फैसला सुनाने जा रही है.
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