वह 17 साल की थी, उसके अरमानों के पर निकल आए थे. उसके पहनावे को लेकर अक्सर उसे रोका-टोका जाता था जिसे वह अनसुना कर देती थी. उसने तो सपने भी नहीं सोचा होगा कि जिसे वो अपना मानती है, वही लोग जींस पहनने पर उसकी हत्या कर देंगे. अगर उसे पता होता कि जींस पहनने पर उसे मौत दी जा सकती है तो शायद वह दादा और चाचा का फरमान मान लेती, भला इतनी जल्दी मरने का शौक किसे होता है.
अगर हम यह कहें कि ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो इस बार भी गलती लड़की की निकालें तो यह गलत नहीं होगा. कुछ लोगों के हिसाब से लड़कियों के साथ होने वाले अपराधों की जिम्मेदारी उनकी ही तो होती है, माना जाता है कि लड़की ही गलत होगी. हर बार यही तो होता आया है कि सीधे या घुमाकर गलती का ठिकरा लड़की के सिर ही फोड़ा जाता है. बालात्कार हुआ तो लड़की की गलती, तलाक हुआ तो लड़की ही गलती तो फिर जींस पहनने पर हत्या हो गई तो भी लड़की की गलती.
इसमें नई बात क्या है कि कुछ पुरुष महिलाओं के ‘ना’ को आपने शान के खिलाफ मानते हैं. जब कोई लड़की ना बोलती है तो उनके अहम को चोट लगती है. वह लड़की सिर्फ 17 साल की नाबालिग थी, उसे क्या पता था कि ये पश्चिमी पहनावा एक दिन उसकी मौत की वजह बन जाएगा...
दरअसल, यूपी के देवरिया में एक हैरान करना वाला मामला सामने आया है. एक लड़की के दादा और चाचा पर उसकी हत्या का आरोप लगा है वो भी इसलिए क्योंकि वह जींस पहनती थी. लड़की के दादा और चाचो को उसका जींस पहनना अच्छा नहीं लगता था. आरोप है कि लड़की के दादा और चाचा ने मिलकर उसकी जान ली और लाश को नदी में फेंक दिया. चाचा और दादा ने उसे जींस पहनने से मना किया था लेकिन वह नहीं मानी और उसका अंजाम आपके समाने है.
कुछ लोग ऐसे...
वह 17 साल की थी, उसके अरमानों के पर निकल आए थे. उसके पहनावे को लेकर अक्सर उसे रोका-टोका जाता था जिसे वह अनसुना कर देती थी. उसने तो सपने भी नहीं सोचा होगा कि जिसे वो अपना मानती है, वही लोग जींस पहनने पर उसकी हत्या कर देंगे. अगर उसे पता होता कि जींस पहनने पर उसे मौत दी जा सकती है तो शायद वह दादा और चाचा का फरमान मान लेती, भला इतनी जल्दी मरने का शौक किसे होता है.
अगर हम यह कहें कि ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो इस बार भी गलती लड़की की निकालें तो यह गलत नहीं होगा. कुछ लोगों के हिसाब से लड़कियों के साथ होने वाले अपराधों की जिम्मेदारी उनकी ही तो होती है, माना जाता है कि लड़की ही गलत होगी. हर बार यही तो होता आया है कि सीधे या घुमाकर गलती का ठिकरा लड़की के सिर ही फोड़ा जाता है. बालात्कार हुआ तो लड़की की गलती, तलाक हुआ तो लड़की ही गलती तो फिर जींस पहनने पर हत्या हो गई तो भी लड़की की गलती.
इसमें नई बात क्या है कि कुछ पुरुष महिलाओं के ‘ना’ को आपने शान के खिलाफ मानते हैं. जब कोई लड़की ना बोलती है तो उनके अहम को चोट लगती है. वह लड़की सिर्फ 17 साल की नाबालिग थी, उसे क्या पता था कि ये पश्चिमी पहनावा एक दिन उसकी मौत की वजह बन जाएगा...
दरअसल, यूपी के देवरिया में एक हैरान करना वाला मामला सामने आया है. एक लड़की के दादा और चाचा पर उसकी हत्या का आरोप लगा है वो भी इसलिए क्योंकि वह जींस पहनती थी. लड़की के दादा और चाचो को उसका जींस पहनना अच्छा नहीं लगता था. आरोप है कि लड़की के दादा और चाचा ने मिलकर उसकी जान ली और लाश को नदी में फेंक दिया. चाचा और दादा ने उसे जींस पहनने से मना किया था लेकिन वह नहीं मानी और उसका अंजाम आपके समाने है.
कुछ लोग ऐसे मिलेंगे जो अब भी लड़की में गलती निकालेंगे, कुछ लोग तो यह भी कह सकते हैं कि मारकर एकदम सही किया. लड़की जाति की इतनी मजाल जो घर के पुरुषों की बात ना मानें, ऐसी लड़की को जान से मार ही देना चाहिए. सोचिए उस गांव की लड़कियों के दिमाग पर किस तरह की दहशत बीती होगी.
असल में लड़की कुछ दिनों पहले ही लुधियाना से अपने पैतृक गांव लौटी थी. वह लुधियाना में पश्चिमी पोशाक के कपड़े पहनती थी. जब वह गांव में आई तो उस पर भारतीय परिधान पहनने के लिए दबाव डाला जा रहा था.
उसे जींस और टॉप पहनने की आदत थी उसने सूट-सलवार नहीं पहना तो क्या चाचा और दादा को उसकी जान लेनी चाहिए. लड़की की मौत के बाद उसके शव को पुल से नीचे ऐसे फेंक दिया जैसे घर में पड़ा कोई कचरा हो.
कुछ महीनों पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने अपने बयान में कहा था कि ‘औरतों को घुटने के पास फटी जींस पहने देखकर हैरानी होती है. ऐसी महिलाएं बच्चों के सामने ऐसे कपड़े पहनेंगी तो उन्हें क्या संस्कार देंगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि औरतों को फटी हुई जींस में देखकर हैरानी होती है, मन में सवाल उठता है कि इससे समाज में क्या संदेश जाएगा’. इस बयान के बाद काफी विवाद हुआ था. ऐसी घटनाएं बार-बार होती रहती हैं जब महिलाओं को उनके कपड़ों के हिसाब से परखा जाता है.
देवरिया में होने वाली यह घटना बताती है कि इस जमाने में भी लोगों का नजरिया नहीं बदला. इस जमाने में भी सूट-सलवार और दुप्पट्टा ढूढ़ने वाले लोग किस हद तक गिर सकते हैं ये अक्सर देखने को मिल जाता है. लड़की का शव कई घंटों तक पुल के नीचे लगे लोहे की छड़ से लटकता रहा. पुलिस को सूचना मिली तब जाकर सच्चाई सामने आई. जब वह मां के साथ अपने गांव लौटी थी तो कितनी खुश थी, वह बुरी सिर्फ इसलिए बन गई क्योंकि उसने चाचा और दादा के कहने पर सलवार-सूट दुपट्टा पहनने से इनकार कर दिया.
पहले उसे ताने मारे गए फिर उसे भला-बुरा कहा गया. उसके कपड़ों से उसके चरित्र का पैमाना तैयार किया गया और आखिर में उसकी जान ले ली गई. अब आप करते रहिए सही और गलत का फैसला. मढ़ दीजिए सारे दोष उसके उपर, बना दीजिए उसे बुरी लड़की जो आपके तय किए पैमाने की लक्ष्मण रेखा पार कर गई उसे जीने का कैसा हक?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.