ऐ गरीबी देख तेरा गुरुर टूट गया, तेरा मुंह काला हो गया, तू दहलीज पर बैठी रही और मेरा बेटा पुलिसवाला हो गया...
ऊपर की ये लाइनें ग्वालियर के डीएसपी संतोष पटेल (DSP Santosh Patel) ने फेसबुक पर अपनी मां (Mother) के लिए लिखी हैं. उन्होंने मां के साथ बीतचीत का एक वीडियो शेयर किया है, जिसे देखने वाले कह रहे हैं कि दुनिया की हर मां ऐसी ही होती है. डीएसपी 5 सालों में पहली बार अपनी मां से मिलने वर्दी में पहुंचे थे. मां उस वक्त खेत में काम कर रही थीं. वे भैंस के लिए चारा काट रही थीं. डीएसपी उनके पास पहुंचते हैं और अपनी लोकल भाषा में मां से बात करने लगते हैं. दोनों की बातचीत की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं.
मां की सादगी और स्वाभिमान
कई लोगों को यह अजीब लग सकता है कि जिसका बेटा डीएसपी है उसकी मां खेत में भैंस के लिए घास काट रही हैं. मगर दुनिया की हर मां शायद ऐसी ही होती है. वह अपने बच्चों के लिए बचत करना चाहती है. कुछ भी हो जाए वह अपना काम नहीं छोड़ सकती है. वह अपनी घर-जमीन नहीं छोड़ सकती है. अपना स्वाभिमान नहीं छोड़ सकती. यह मां भी भैंस, बकरी पालती हैं. खेती करती हैं और पैसै कमाती हैं. यह मां अनपढ़ है मगर सेल्फ डिपेंड है. यह बेटे के लिए पैसे जोड़ना जानती है. उसके लिए बचत करना जानती है.
इस समय कई माएं ऐसी हैं जिनके बेटे शहरों में अच्छी खासी नौकरी करते हैं. वे मां से बोलते हैं कि आकर हमारे पास रहो. मां उनका दिल रखने के लिए एकाध सप्ताह के लिए चली जाए मगर उसका मन अपने घर-आंगन में ही लगता है. वह अपना घर छोड़कर शहर के किसी महल में भी नहीं रहना...
ऐ गरीबी देख तेरा गुरुर टूट गया, तेरा मुंह काला हो गया, तू दहलीज पर बैठी रही और मेरा बेटा पुलिसवाला हो गया...
ऊपर की ये लाइनें ग्वालियर के डीएसपी संतोष पटेल (DSP Santosh Patel) ने फेसबुक पर अपनी मां (Mother) के लिए लिखी हैं. उन्होंने मां के साथ बीतचीत का एक वीडियो शेयर किया है, जिसे देखने वाले कह रहे हैं कि दुनिया की हर मां ऐसी ही होती है. डीएसपी 5 सालों में पहली बार अपनी मां से मिलने वर्दी में पहुंचे थे. मां उस वक्त खेत में काम कर रही थीं. वे भैंस के लिए चारा काट रही थीं. डीएसपी उनके पास पहुंचते हैं और अपनी लोकल भाषा में मां से बात करने लगते हैं. दोनों की बातचीत की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं.
मां की सादगी और स्वाभिमान
कई लोगों को यह अजीब लग सकता है कि जिसका बेटा डीएसपी है उसकी मां खेत में भैंस के लिए घास काट रही हैं. मगर दुनिया की हर मां शायद ऐसी ही होती है. वह अपने बच्चों के लिए बचत करना चाहती है. कुछ भी हो जाए वह अपना काम नहीं छोड़ सकती है. वह अपनी घर-जमीन नहीं छोड़ सकती है. अपना स्वाभिमान नहीं छोड़ सकती. यह मां भी भैंस, बकरी पालती हैं. खेती करती हैं और पैसै कमाती हैं. यह मां अनपढ़ है मगर सेल्फ डिपेंड है. यह बेटे के लिए पैसे जोड़ना जानती है. उसके लिए बचत करना जानती है.
इस समय कई माएं ऐसी हैं जिनके बेटे शहरों में अच्छी खासी नौकरी करते हैं. वे मां से बोलते हैं कि आकर हमारे पास रहो. मां उनका दिल रखने के लिए एकाध सप्ताह के लिए चली जाए मगर उसका मन अपने घर-आंगन में ही लगता है. वह अपना घर छोड़कर शहर के किसी महल में भी नहीं रहना चाहती है. उसे अपने घऱ की मिट्टी में ही सुकून मिलता है. वीडियो में देख सकते हैं कि डीएसपी मां से कहते हैं कि ये सब क्या कर रही हैं? इस पर मां कहती हैं कि घर में भैंस है. बिना घी, दूध के काम नहीं चल सकता. उसके लिए चारा दाना चाहिए. इस पर वे मां से कहते हैं कि पैसे से खरीद लेती. मां कहती है कि खाली नहीं बैठ सकती. चैन नहीं पड़ता है. ये सब तो करना ही पड़ेगा...इसके बाद वे मां से ग्वालियर चलने को कहते हैं मगर मां घर खेती और गेहूं, सरसों की बात करती हैं.
बेटे पर प्यार लुटाती मां
गरीबी का मुंह हो गया कारा, मोर बेटा हो गया पुलिस वाला...मां अपने बेटे पर प्यार भाव विभोर होकर प्यार लुटा रही हैं. वे खुश हैं कि उनका बेटा डीएसपी बन गया है. उसके लिए गर्व की बात है. वह इस बात को बोल भी रही है कि बेटा पुलिस में है. वह बेटे पर लाड़ जता रही हैं. उनके चेहरे से साफ झलक रहा है कि वह बेटे को वर्दी में देखकर फूले नहीं समा रही हैं. इसके बाद वीडियो में आवाज आती है कि बड़ी अम्मा भैया पैसा-वैसा देते हैं या फिर ऐसे ही पुलिस वाला बन गये हैं? इसके बाद मां कहती हैं हां भैया देते हैं. खूब खर्चा पानी देते हैं. सबका खर्चा चलाते हैं. इस पर डीएसपी कहते हैं कि तब क्यों काम काम रही हैं? जब खर्चा पानी मिलता है तो घर में बैठो आराम से. मां हंसने लगती हैं और कहती है कि थोड़ा बहुत तो करना ही पड़ेगा. खर्चा तुम्हारा बढ़ जाएगा. डीएसपी पूछते हैं कि कितना कमा लेती हो. मां कहती हैं कि 2, 4 , 10, 20 हजार कमा लेती हूं.
खेती बेहतर है या पढ़ाई
मां कहती हैं कि जमीन भी मेरी 6 बीघा है. इस पर डीएसपी पूछते हैं कि जमीन में फायद है कि पढ़ाई में. इस पर मां अपनी समझ के हिसाब से कहती हैं कि पढ़ाई में फायदा है. जमीन में कम फायदा है. 100 बीघा जमीन भी पढ़े-लिखे सर्विस वाला से पीछे है. 100 बीघा जमीन वाले से भी शादी करा दो तो बिटिया घास की छिलेगी. श्रमिक बन जाएगी. नौकरी वाले से शादी होगी कि बेटी घर में राज करेगी. नौकरी सबसे राजा चीज है. खैर, ये तो मां ने वही कहा जो उन्हें सही लगा. वैसे नौकरी में 10 लफड़े होते हैं. किसी के अंडर में काम करना पड़ता है. जबकि किसानी एक तरह से फैमिली बिजनेस है. जिसमें इंसान अपनी मर्जी का मालिक होता है. खेती में मेहनत है तो पैसा भी है. आपके हिसाब से नौकरी या किसानी कौन सा विकल्प बेहतर है.
डीएसपी और मां के बातचीत का वीडियो देखिए-
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