OLA और BER cabs के ड्राइवर के बारे में हम आए तरह-तरह की खबरें सुनते हैं. और ये अमूमन अच्छी नहीं होतीं. और इसलिए इन कैब्स को लेकर हम धारणाएं भी बना लेते हैं कि फलां कैब के ड्राइवर खराब होते हैं. लेकिन जब कस्टमर्स की बातें इतनी मायने रखती हैं तो फिर इन ड्राइवर्स की क्यों नहीं. चूंकि ड्राइवर्स की बातें हम तक नहीं पहुंचतीं, इसलिए हम कस्टमर्स के बारे में जान नहीं पाते कि वो कितने पानी में होते हैं..
हाल ही में एक कैब ड्राइवर से बातचीत के दौरान ये महसूस हुआ कि इंसान तो इंसान होता है. ये उसका काम ही है जो उसे कार में आगे या फिर पीछे बैठाता है. यानी गलतियां दोनों से होती हैं चाहे ड्राइवर हो या फिर कस्टमर. आज बात करेंगे कस्टमर्स की, जिनकी हरकतें सामने नहीं आ पातीं. कुछ कैब ड्राइवर्स की ये बातें हैरान करने वाली हैं- उन्होंने बताया-
1. जब पैसेंजर को कार में सिगरेट पीने से मना किया...
कैब में बैठकर मैं अक्सर गाड़ी में सिगरेट की बदबू की शिकायत ड्राइवर से करती हूं. और ड्राइवर यही कहते कि 'मैम मैं नहीं कस्टमर था. तब लगता कि झूठ बोल रहा होगा. इस कैब ड्राइवर ने बताया कि गाड़ी में सिगरेट पीने वाले लोग गाड़ी में बैठते ही सिगरेट सुलगाने लगते हैं. जब ड्राइवर उन्हें टोकता है कि गाड़ी में सिगरेट पीना अलाउड नहीं है तो कस्टमर जवाब देते हैं- 'तुम अपना काम करो न'....'तुम्हारा क्या जाता है'.....'शीशे खोल दे'......'ले एक तू भी पीले'
अब ड्राइवर उन्हें सिर्फ बता ही सकता है, नहीं मानने पर गाड़ी से उतार तो नहीं सकता. लिहाजा कस्टमर्स अपनी मनमानी करते हैं.
2. जब कार बन जाती है शराबखाना :
जिसे सिगरेट पीने में कोई परेशानी नहीं, उसे शराब पीने में क्यों होगी. मैम कुछ लोगों के लिए कैब वो जगह है जहां शराब पीते उन्हें कोई नहीं पकड़ सकता. क्या बताऊं मैम, कुछ लोग तो गाड़ी में बैठकर इतनी शराब पीते हैं कि अगर हम टोकते भी हैं तो हमसे गाली-गलौच करते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि नशे में...
OLA और BER cabs के ड्राइवर के बारे में हम आए तरह-तरह की खबरें सुनते हैं. और ये अमूमन अच्छी नहीं होतीं. और इसलिए इन कैब्स को लेकर हम धारणाएं भी बना लेते हैं कि फलां कैब के ड्राइवर खराब होते हैं. लेकिन जब कस्टमर्स की बातें इतनी मायने रखती हैं तो फिर इन ड्राइवर्स की क्यों नहीं. चूंकि ड्राइवर्स की बातें हम तक नहीं पहुंचतीं, इसलिए हम कस्टमर्स के बारे में जान नहीं पाते कि वो कितने पानी में होते हैं..
हाल ही में एक कैब ड्राइवर से बातचीत के दौरान ये महसूस हुआ कि इंसान तो इंसान होता है. ये उसका काम ही है जो उसे कार में आगे या फिर पीछे बैठाता है. यानी गलतियां दोनों से होती हैं चाहे ड्राइवर हो या फिर कस्टमर. आज बात करेंगे कस्टमर्स की, जिनकी हरकतें सामने नहीं आ पातीं. कुछ कैब ड्राइवर्स की ये बातें हैरान करने वाली हैं- उन्होंने बताया-
1. जब पैसेंजर को कार में सिगरेट पीने से मना किया...
कैब में बैठकर मैं अक्सर गाड़ी में सिगरेट की बदबू की शिकायत ड्राइवर से करती हूं. और ड्राइवर यही कहते कि 'मैम मैं नहीं कस्टमर था. तब लगता कि झूठ बोल रहा होगा. इस कैब ड्राइवर ने बताया कि गाड़ी में सिगरेट पीने वाले लोग गाड़ी में बैठते ही सिगरेट सुलगाने लगते हैं. जब ड्राइवर उन्हें टोकता है कि गाड़ी में सिगरेट पीना अलाउड नहीं है तो कस्टमर जवाब देते हैं- 'तुम अपना काम करो न'....'तुम्हारा क्या जाता है'.....'शीशे खोल दे'......'ले एक तू भी पीले'
अब ड्राइवर उन्हें सिर्फ बता ही सकता है, नहीं मानने पर गाड़ी से उतार तो नहीं सकता. लिहाजा कस्टमर्स अपनी मनमानी करते हैं.
2. जब कार बन जाती है शराबखाना :
जिसे सिगरेट पीने में कोई परेशानी नहीं, उसे शराब पीने में क्यों होगी. मैम कुछ लोगों के लिए कैब वो जगह है जहां शराब पीते उन्हें कोई नहीं पकड़ सकता. क्या बताऊं मैम, कुछ लोग तो गाड़ी में बैठकर इतनी शराब पीते हैं कि अगर हम टोकते भी हैं तो हमसे गाली-गलौच करते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है कि नशे में धुत्त होकर कैब में बैठ जाते हैं और पता ही नहीं होता कि उतरना कहां है. मैम एक बार तो हद ही हो गई थी. एक लड़की नशे में धुत्त थी और कैब में बैठी. बताई गई जगह पर मैं उसे लेकर पहुंच तो गया लेकिन वो इतने नशे में थी कि गाड़ी से उतर ही नहीं पा रही थी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. गाडी में लड़की बेसुध पड़ी थी. अगर किसी ने कुछ गलत समझ लिया तो मेरी तो नौकरी गई समझो. मैम मैं उसे लेकर पास ही खड़ी पुलिस पैट्रोल वैन के पास ले गया. उन्हें सारी बात कही तब पुलिस ने अपने स्तर पर लड़की को उसके घर तक छोड़ा. मैम कैब वाले तो ऐसे में कुछ भी करते हैं. पर मैम, मुझे तो ये समझ नहीं आता कि लोग शराब के नशे गाड़ी बुक कैसे बुक कर लेते हैं.'
मुझे याद है एक बार गाड़ी में शराब की बदबू आई थी तो मैंने कैब वाले पर शक किया था. उसे कहा भी कि तुमने पी रखी है तो वो बोला कस्टमर ने पी थी. लेकिन मैंने उसकी बात नहीं मानी और तुरंत कैब कैंसिल कर दी थी. क्योंकि शक हमेशा ड्राइवर्स पर ही होता है.
3. जब दुर्घटना का कहकर बुलवाया :
मैम हाल ही की बात है. एक लड़की ने कैब बुक कराई थी, और उसका फोन आया और मुझसे कहा कि 'भइया जल्दी आ जाइए कैसे भी करके, एक्सिटेंड का केस है'. इतना सुनते ही मैंने वहां पहुंचने के लिए तेजी से गाड़ी बढ़ाई, उसके लिए रेड लाइट भी क्रॉस की और रॉन्ग साइड से निकालकर जल्द से जल्द वहां पहुंचा. वहां पहुंचकर देखा तो एक्सिडेंट जैसा कुछ दिखा नहीं, एक मॉर्डन लड़की तुरंत गाड़ी में बैठी, और बैठते साथ सिगरेट पीने लगी. मैंने टोका तो कहा 'AC बंद कर लीजिए न'. मैंने सोचा शायद इन्हें जहां पहुंचना है वहां एक्सिडेंट हुआ होगा. मैं गाड़ी बढ़ाता रहा और वो जगह भी आ गई जहां उन्हें जाना था. पहुंचकर पता लगा वो एक शॉपिंग मॉल था. मैडम बाहर निकलीं और बैग टांगकर मॉल की तरफ बढ़ लीं. और मैं ये सोचता रहा कि एक्सिटेंड आखिर हुआ कहां.
उस समय बहुत बुरा लगा, ठगा सा महसूस हुआ. सिर्फ कैब जल्दी आ जाए इसके लिए झूठ बोलने का मतलब क्या था.
4. शनिवार-इतवार सबसे खतरनाक :
मैम हमें शनिवार-इतवार को शाम होते ही डर सा लगने लगता है और ऊपरवाले से यही दुआ करते हैं कि ढंग का कस्टमर ही गाड़ी बुक करे. असल में शनिवार और इतवार ज्यादातर लोगों की छुट्टी होती है. लोग कुछ भी करते हैं, कहीं भी घूमते हैं. और जब गाड़ी बुक करते हैं तो पता नहीं होता कि बुक कराने वाला बंदा या बंदी कैसे हैं. कई बार तो लड़के ग्रुप में होते हैं. दारू पिए कुछ भी करते हैं, हुड़दंग मचाते हैं कहीं भी गाड़ी रुकवाते हैं. कई बार लड़कियां भी बड़ी कन्फ्यूज़ रहती हैं. कहीं जाना होता है फिर कहीं और ड्राप करने को कहती हैं. और ये सब हमारे साथ सिर्फ छुट्टी वाले दिन ही होता है. उनकी मौज रहती है लेकिन हमारी आफत. इसलिए शनिवार और इतवार हमें सबसे खतरनाक लगते हैं.
5. पुलिस की धमकी देते हैं :
मैम हमारी कैब एक बीपीओ के लिए चलती थी जो रोज एक निश्चित समय पर कंपनी से निकलती थी और उसके कर्मचारियों को घर छोड़ती थी. बीपीओ में काम करने वाले लोगों की उम्र बहुत ज्यादा नहीं थी 22 से 25 साल के लड़के लड़कियां ही थे. जो ज्यादातर जोड़े में थे. एक शाम मैं अपने समय पर गाड़ी लेकर निकला तो उन्होंने मुझे गाड़ी रोकने के लिए कहा क्योंकि एक लड़का आया नहीं था. मैंने गाड़ी नहीं रोकी क्योंकि वो समय पर नहीं पहुंचे थे. इसपर लड़के लड़कियां मुझे पुलिस की धमकी देने लगे. उस लड़के की दोस्त ने तो 100 नंबर पे कॉल ही कर दी. पुलिस की गाड़ी पास देखकर मैंने गाड़ी रोक दी. पुलिस को सारी बात बताई कि कोई रह गया तो इन्होंने 100 नंबर पर कॉल कर दिया. पुलिस उन लोगों को देखकर समझ गई थी तो उनसे सवाल पूछा कि क्यों बुलाया पुलिस को. तो सबने कहा कि ड्राइवर ने बदतमीजी की थी. जब सबसले पूछा गया कि क्या बदतमीजी हुई तो किसी के पास जवाब नहीं था. सभी को थाने चलने के लिए कहा गया तो लड़की ने कहा कि मैंने यूं ही कॉल कर दिया था, हमें जाने दीजिए.
खैर ये तो ड्राइवर की बताई बातें थीं, जिसपर विश्वास करना न करना आपकी मर्जी है लेकिन मेरे साथ हाल ही में एक घटना और हुई थी जिसने कैब ड्राइवर्स के प्रति मेरी सोच जरा बदल दी थी. मैं एक दिन कैब में अपना ब्रांडेड चश्मा भूल गई. जब कहीं न मिला तो याद आया कहीं कैब में तो नहीं भूल गई. कैब ड्राइवर को फोन लगाया तो उसने कहा 'हां मैम, एक चश्मा मुझे कैब से मिला तो था पर मुझे ये नहीं पता चला कि ये किसका है'. मैंने उसे कहा कि अब मुझे मेरा चश्मा कैसे मिल सकता है. तो ड्राइवर ने कहा मैम मैं आपकी घर आकर दे जाउंगा. वो ड्राइवर अगले दिन मेरी सोसाइटी में आकर मुझे मेरा चश्मा लौटाकर चला गया. और मैं आज भी मन ही मन उसकी इस बात के लिए उसकी तारीफ भी करती हूं.
अच्छा और बुरा इंसान होता है, वो कैब का ड्राइवर भी हो सकता है और कैब में बैठने वाला कस्टमर भी. पर हम अपनी ओर नहीं देखते गलत का चश्मा पहनकर सिर्फ सामने वाले को शक की निगाह से देखते हैं. हम ये नहीं कहते कि हर ड्राइवर शरीफ ही है, लेकिन इन बातों से कम से कम उन अच्छे लोगों को नजरअंदाज नहीं कर सकते.
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