हिंदू धर्म का त्योहार जब आता है तो कुछ लोगों के ज्ञानचक्षु खुल जाते हैं. झारखंड की अंकिता सिंह की मौत पर चुप्पी साधने वाली लिबरल और सांप्रदायिक गैंग को तीज से आप्पत्ति है. जबकि हिंदू धर्म की खासियत यह है कि यह समय की जरूरत के हिसाब से खुद में बदलाव को समाहित करते जाता है.
कल हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत था. जिसमें पुरुषों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया. पूजा के हर काम में पत्नी का सहयोग किया. उनके साथ बाजार गए. उन्हें मेहंदी लगवाने लेकर गए. कुछ तो व्रत भी रहे. कई जोड़ों ने साथ में मिलकर इस त्योहार को प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाया. यह बात कुछ बड़ी बिंदी गैंग की दीदियों को पसंद नहीं आई. उन्होंने फेसबुक पर पति-पत्नी की मुस्कुराती तस्वीरों में कमी खोजनी शुरु कर दी.
अजीब बात है ना कि जिन्होंने व्रत नहीं किया, जिन्होंने पूजा नहीं की, जिनकी शादी भी नहीं हुई वे तीज पर ज्ञान बांट रही हैं. पहले के समय में जो हुआ सो हुआ...काश यही बात वे अपने घर की महिलाओं से करतीं तो, जो त्योहार को लेकर भ्रम है वह दूर हो जाता. आज के जमाने में कोई किसी से जबरदस्ती कुछ नहीं करवा सकता तो तीज का व्रत तो छोड़ ही दीजिए. आपको क्या लगता है कि फेसबुक पर पति के साथ हैशटैग की तस्वीरें डालने वाली ये महिलाएं इतनी कमजोर हैं जो किसी के हाथों प्रताड़ित हो सकती हैं?
जब शादी ना करना, बच्चे ना करना, फटी जींस पहनना आपकी च्वाइस हो सकती है तो शादी करना, बच्चे करना और व्रत करना व्रती महिलाओं की च्वाइस क्यों नहीं हो सकती? महिला अधिकार यह नहीं कहता है कि कोई अकेली महिला ही खुश रह सकती है. शादीशुदा महिला सम्मान, प्रेम और बराबरी के साथ अपने घर में खुश रह सकती है. व्रत करना वैसे भी एक विकल्प है, जबरदस्ती...
हिंदू धर्म का त्योहार जब आता है तो कुछ लोगों के ज्ञानचक्षु खुल जाते हैं. झारखंड की अंकिता सिंह की मौत पर चुप्पी साधने वाली लिबरल और सांप्रदायिक गैंग को तीज से आप्पत्ति है. जबकि हिंदू धर्म की खासियत यह है कि यह समय की जरूरत के हिसाब से खुद में बदलाव को समाहित करते जाता है.
कल हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत था. जिसमें पुरुषों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया. पूजा के हर काम में पत्नी का सहयोग किया. उनके साथ बाजार गए. उन्हें मेहंदी लगवाने लेकर गए. कुछ तो व्रत भी रहे. कई जोड़ों ने साथ में मिलकर इस त्योहार को प्रेम और श्रद्धा के साथ मनाया. यह बात कुछ बड़ी बिंदी गैंग की दीदियों को पसंद नहीं आई. उन्होंने फेसबुक पर पति-पत्नी की मुस्कुराती तस्वीरों में कमी खोजनी शुरु कर दी.
अजीब बात है ना कि जिन्होंने व्रत नहीं किया, जिन्होंने पूजा नहीं की, जिनकी शादी भी नहीं हुई वे तीज पर ज्ञान बांट रही हैं. पहले के समय में जो हुआ सो हुआ...काश यही बात वे अपने घर की महिलाओं से करतीं तो, जो त्योहार को लेकर भ्रम है वह दूर हो जाता. आज के जमाने में कोई किसी से जबरदस्ती कुछ नहीं करवा सकता तो तीज का व्रत तो छोड़ ही दीजिए. आपको क्या लगता है कि फेसबुक पर पति के साथ हैशटैग की तस्वीरें डालने वाली ये महिलाएं इतनी कमजोर हैं जो किसी के हाथों प्रताड़ित हो सकती हैं?
जब शादी ना करना, बच्चे ना करना, फटी जींस पहनना आपकी च्वाइस हो सकती है तो शादी करना, बच्चे करना और व्रत करना व्रती महिलाओं की च्वाइस क्यों नहीं हो सकती? महिला अधिकार यह नहीं कहता है कि कोई अकेली महिला ही खुश रह सकती है. शादीशुदा महिला सम्मान, प्रेम और बराबरी के साथ अपने घर में खुश रह सकती है. व्रत करना वैसे भी एक विकल्प है, जबरदस्ती नहीं...जिस दौर में महिलाओं को जबरन व्रत रहना पड़ा होगा वह दौर अब रहा नहीं है...तो फिर अपने दिमाग की सोच को दूसरों पर क्यों थोपना? जो व्रत कर रही हैं वे सताईं हुईं नहीं है, इसलिए उन्हें बेचारी समझने की गलती मत कीजिए.
आज का दौर उस नारी का है जो अपने अधिकार जानती है. जो मॉडर्न है लेकिन अपनी संस्कृति को पीछे नहीं छोड़ती. जो महिलाएं गर्भवती होती हैं वे जल और आहार के साथ चाहें तो व्रत कर सकती हैं और ना चाहें तो सिर्फ पूजा भी कर सकती हैं. यह त्योहार पति-पत्नी दोनों के लिए है, तो अगर पत्नी व्रत नहीं ऱखना चाहती तो पति भी व्रत-पूजा कर सकते हैं. व्रत का मतलब सिर्फ अन्न-जल का त्याग करना नहीं है, बल्कि मन से नकारात्मक सोच को बाहर निकालना भी है.
यह महिलाओं के मन का विश्वास और सकारात्मक शाक्ति ही होती है जो वे दिन भर बिना पानी के रह सकती हैं. 17 घंटे भूखे रहकर अपनी बॉडी डिटॉक्स करने वालों को अपने हिसाब से व्रती महिलाओं के लिए राय बनाने की जरूरत नहीं है. ना ही, पानी पीने वाली महिलाओं का मजाक बनाने का अधिकार है. एक बार उनकी जगह पर रह कर देखिए, समझ आ जाएगा कि व्याकुलता क्या होती है?
अगर इस व्रत के बारे में नहीं पता है तो अपने घर की बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं से पूछ कर देखिए. यह व्रत मां पार्वती और भगवान शिव की आस्था से जुड़ा हुआ है. आज के समय में कई ऐसी महिलाएं हैं जो इस व्रत को नहीं करती हैं, हिंदू धर्म उन्हें सजा नहीं देता. तो जो महिलाएं अपनी मर्जी से व्रत कर रही हैं, वे कोई बच्ची नहीं है. वे आज के जमाने की पढ़ी-लिखी नारी हैं. वे मल्टी नेशनल कंपनी में काम करती हैं. वे किसी ढोंग में यकीन नहीं रखतीं, लेकिन जानती हैं कि पति-पत्नी का रिश्ते की डोर प्रेम से बंधी होती हैं.
कुछ लोगों को हिंदुओं के हर त्योहार पर नकारात्मक बातें करने की जिद है. इस तरह से तो हर त्योहार में बुराई है. तो क्या हमें त्योहार मनाना ही छोड़ देना चाहिए... यही महिलाएं होली आते ही पानी बचाने की बात करने लगती हैं, खुुद भले ही साल भर रोज बॉलकनी और सीढ़ी धुलवाती हैं. हिंदू धर्म में तीज-त्योहार रिश्तों को जोड़ने का काम करते हैं ना की तोड़ने का.
सभी को पता है कि कलियुग में अमृत नहीं है, मरना तो हर किसी को है. किसी भी पाठ-पूजा से कोई अमर नहीं हो जाता तो फिर तीज-त्योहार को निशाना बनाना छोड़ दीजिए. अरे ये त्योहार ही तो हैं जो गिले-शिकवे भुलाने का काम करते हैं. रिश्तों की गरिमा और कर्तव्य के निर्वाहन की याद दिलाते हैं... मगर यह बात समझना इन फेमिनिस्ट दीदियों के वश की बात नहीं है...
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