अमीर से लेकर गरीब तक, हर इंसान का सपना होता है कि उसके जीवन में कोई ऐसा आए जो उसे मां कहे, पिता कहे. आदमी के पास भले ही कितनी धन, दौलत, समृद्धि क्यों न हो मगर औलाद का सुख इन सब से अलग है जिसे किसी भी तरह के शब्दों में नहीं बांधा जा सकता. बाकी घर के आंगन में बच्चों की किलकारियां न सुन पाने का दुःख, वही कपल समझ सकता है जो इसे भोग रहा है. देश में तमाम दंपत्ति ऐसे हैं, जिनकी औलाद नहीं है. वहीं ऐसे भी बहुत से लोग हैं जिन्होंने इस वैक्यूम को भरने के लिए जानवरों मसलन कुत्ते, बिल्लियों का सहारा लिया है. सवाल ये है कि बच्चे न होने से जो गैप ज़िंदगी में आया है उसे किसी जानवर से भरा जा सकता है? यक़ीनन इस सवाल पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आएंगी. लेकिन स्पष्ट रूप से जवाब हां में तब नजर आता है, जब हम हरियाणा के गुरुग्राम में हुई एक अनोखी शादी को देखते हैं. शादी भी कोई ऐसी वैसी नहीं बल्कि वो जहां हिंदू रीति रिवाजों से वधु बनी कुतिया ने वर बने कुत्ते संग फेरे लिए और गले में वरमाला डाली.
हो सकता है एक पालतू कुतिया और एक कुत्ते की शादी सुनने, बताने, कहने में अजीब लगे लेकिन सच है. दरअसल गुरुग्राम के पालम विहार एक्सटेंशन और आस पास में सुर्खियां बटोर रही कुटिया स्वीटी की कुत्ते शेरू संग शादी पर बात इसलिए भी होनी चाहिए, क्योंकि लोअर मिडिल क्लास के परिवारों के घर हुई इस शादी में कहीं भी कुछ दिखावा या दिखावे जैसा कुछ नहीं था. मौके पर अगर कुछ था तो वो हंसी और सिर्फ और सिर्फ प्रेम था. निष्काम प्रेम, निश्चल प्रेम.
वाक़ई शादी देखकर बिलकुल यही अनुभूति हुई कि एक परिवार पूरे रीति रिवाजों से अपनी बेटी को विदा कर रहा है जबकि दूसरा...
अमीर से लेकर गरीब तक, हर इंसान का सपना होता है कि उसके जीवन में कोई ऐसा आए जो उसे मां कहे, पिता कहे. आदमी के पास भले ही कितनी धन, दौलत, समृद्धि क्यों न हो मगर औलाद का सुख इन सब से अलग है जिसे किसी भी तरह के शब्दों में नहीं बांधा जा सकता. बाकी घर के आंगन में बच्चों की किलकारियां न सुन पाने का दुःख, वही कपल समझ सकता है जो इसे भोग रहा है. देश में तमाम दंपत्ति ऐसे हैं, जिनकी औलाद नहीं है. वहीं ऐसे भी बहुत से लोग हैं जिन्होंने इस वैक्यूम को भरने के लिए जानवरों मसलन कुत्ते, बिल्लियों का सहारा लिया है. सवाल ये है कि बच्चे न होने से जो गैप ज़िंदगी में आया है उसे किसी जानवर से भरा जा सकता है? यक़ीनन इस सवाल पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आएंगी. लेकिन स्पष्ट रूप से जवाब हां में तब नजर आता है, जब हम हरियाणा के गुरुग्राम में हुई एक अनोखी शादी को देखते हैं. शादी भी कोई ऐसी वैसी नहीं बल्कि वो जहां हिंदू रीति रिवाजों से वधु बनी कुतिया ने वर बने कुत्ते संग फेरे लिए और गले में वरमाला डाली.
हो सकता है एक पालतू कुतिया और एक कुत्ते की शादी सुनने, बताने, कहने में अजीब लगे लेकिन सच है. दरअसल गुरुग्राम के पालम विहार एक्सटेंशन और आस पास में सुर्खियां बटोर रही कुटिया स्वीटी की कुत्ते शेरू संग शादी पर बात इसलिए भी होनी चाहिए, क्योंकि लोअर मिडिल क्लास के परिवारों के घर हुई इस शादी में कहीं भी कुछ दिखावा या दिखावे जैसा कुछ नहीं था. मौके पर अगर कुछ था तो वो हंसी और सिर्फ और सिर्फ प्रेम था. निष्काम प्रेम, निश्चल प्रेम.
वाक़ई शादी देखकर बिलकुल यही अनुभूति हुई कि एक परिवार पूरे रीति रिवाजों से अपनी बेटी को विदा कर रहा है जबकि दूसरा परिवार उसे बेटी मानते हुए अपने घर ला रहा है. चूंकि इस शादी में कुछ भी दिखावे वाली चीज नहीं है इसलिए फिर चाहे वो कुत्ते और कुतिया के मालिक हों या फिर इस शादी में दूल्हे और दुल्हन को आशीर्वाद देने पहुंचे रिश्तेदार सबकी ख़ुशी देखने वाली थी.
शादी ठीक वैसे ही हुई जैसी हमारे आपके घरों में होती है. वैसी ही रौनक, वैसे ही रस्मों में नाचना गाना फिर खाना पीना और अंत में विदाई में भी सबकी आंखें नम थीं. मालिकों में कुत्तों के लिए शादी का उत्साह कितना था इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि शादी में हल्दी की रस्म भी हुई जहां उन्हें सजाने धजाने का आयोजन हुआ और लोगों ने उन्हें गिफ्ट्स भी दिए.
इस अनूठी शादी पर अपना पक्ष रखते हुए कुतिया की मालिक सविता ने उस पल को भी याद किया जब स्वीटी पहली बार उनके घर आई थी. सविता ने बताया कि मैं एकपशु प्रेमी हूं और, एक कपल के रूप में मैं और मेरे पति पालतू जानवरों की देखभाल करते थे. सविता ने बताया कि मेरा कोई बच्चा नहीं है, इसलिए स्वीटी ही हमारे बच्चे की तरह है. सविता के अनुसार उसका पति मंदिर जाता था और नियमित रूप से जानवरों को खाना खिलता था. फिर अब से ठीक तीन साल पहले एक दिन एक आवारा कुत्ता उनके पीछे-पीछे आया और घर का होकर रह गया जिसका नाम स्वीटी रखा गया.
स्वीटी के मोह में घिरी सविता ने उत्साहित होकर ये भी कहा कि लोग सुझाव देते थे कि स्वीटी को शादी कर देनी चाहिए. इस पर बहुत सोच विचार के बाद उन्होंने एक विवाह समारोह की योजना बनाई और सभी रस्मों का पालन करने का फैसला किया."
वहीं स्वीटी के दूल्हे शेरू की ऑनर मनिता भी इस शादी से कम उत्साहित नहीं है. उन्होंने कहा कि भले ही ये विचार एक मजाक रहा हो. लेकिन क्योंकि शेरू उनका ही बेटा है इसलिए उन्हें न तो लोकल पुलिस का खौफ है और न ही इस बात की चिंता की लोग क्या कहेंगे.
बहरहाल, हरियाणा के गुरुग्राम में सविता ने अपनी कुतिया की शादी पड़ोस के कुत्ते से करवाकर इस बात की पुष्टि कर दी है कि जब व्यक्ति किसी से भी प्रेम में हो. (भले ही वो पालतू कुत्ता क्यों न हो) किसी भी सीमा पर जा सकता है. हम फिर इस बात को कह रहे हैं कि चाहे वो शेरू के मालिक हों या फिर स्वीटी के घरवाले या फिर आस पड़ोस के लोग हम और कुछ नहीं इनके चेहरे पर आए संतोष को देखें. उस प्रेम को देखें जो इनकी आंखों में है.
बाकी सारी बातें 3 साल पहले घर आई कुतिया को बेटी मानने वाली सविता और उनके अनोखे फैसले से शुरू हुई है तो हम बस यही कहेंगे कि यही वो प्रेम है जो नफरत या घृणा के इस दौर में दुनिया को बचाए हुए है. हमारे आस पास के लोगों को भी इतने ही बड़े दिल का होना चाहिए.
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