नया साल (New Year) आ रहा है. सबके लिए कुछ ना कुछ खास होगा मगर एक हाउसवाइफ (Housewife) के लिए क्या ही कहें? उन्हें रोज की तरह सुबह उठकर रसोई में ही जाना है. फिलहाल वे एक तारीख को सभी घरवालों के लिए खाने में कुछ अच्छा बनाने की जुगत में लगी होंगी. सभी लोग नए साल की प्लानिंग कर रहे हैं मगर वे अपने बारे में नहीं, घरवालों के बारे में ही सोच रही होंगी.
उनका भी घूमने-फिरने का मन करता होगा लेकिन घर से बाहर जाने से पहले उन्हें पति, बच्चों, सास-सुसर के बारे में सोचना पड़ता है. वे कहीं जाने से पहले ही आने के बारे में सोचने लगती हैं. घूमने के नाम पर पैसा खर्च करना उन्हें फिजूलखर्ची लगता है. वे घर से बाहर भी चली जाएं तो घर से उनके पास फोन आता रहता है. उनके कंधों पर घर की सारी जिम्मेदारी जो है. वे घर छोड़ने से पहले सब काम करके और खाने की तैयारी करके जाती हैं.
घर के किसी सदस्य को कोई जरूरत पड़ती है तो वह महिला को खोजते हुए सबसे पहले रसोई में ही जाता है. मतलब यह मान लिया है कि घर की महिला रसोई में भी मिलेगी. घर की महिलाएं कमर और पैरों में दर्द लिए घर के काम करती रहती हैं. ऐसे में इस नए साल से महिलाओं को चाहिए कि अपने बारे में थोड़ा सोचना शुरु कर दें. वे ज्यादा ना सही थोड़ा ही सही अपने ऊपर ध्यान देना शुरु कर दें तो उनकी बची जिंदगी संवर सकती है. चलिए बताते हैं कि वे कौन सी बातें हैं जिनमें महिलाओं को सुधार करने की जरूरत है.
नींद पूरी न करना
महिलाओं की कभी नींद पूरी नहीं होती है. वे रोज सुबह सबसे पहले जल्दी जाग जाती हैं, क्योंकि उन्हें सबके लिए नाश्ता-खाना बनाना होता है. और रात का काम खत्म करने के बाद सबसे...
नया साल (New Year) आ रहा है. सबके लिए कुछ ना कुछ खास होगा मगर एक हाउसवाइफ (Housewife) के लिए क्या ही कहें? उन्हें रोज की तरह सुबह उठकर रसोई में ही जाना है. फिलहाल वे एक तारीख को सभी घरवालों के लिए खाने में कुछ अच्छा बनाने की जुगत में लगी होंगी. सभी लोग नए साल की प्लानिंग कर रहे हैं मगर वे अपने बारे में नहीं, घरवालों के बारे में ही सोच रही होंगी.
उनका भी घूमने-फिरने का मन करता होगा लेकिन घर से बाहर जाने से पहले उन्हें पति, बच्चों, सास-सुसर के बारे में सोचना पड़ता है. वे कहीं जाने से पहले ही आने के बारे में सोचने लगती हैं. घूमने के नाम पर पैसा खर्च करना उन्हें फिजूलखर्ची लगता है. वे घर से बाहर भी चली जाएं तो घर से उनके पास फोन आता रहता है. उनके कंधों पर घर की सारी जिम्मेदारी जो है. वे घर छोड़ने से पहले सब काम करके और खाने की तैयारी करके जाती हैं.
घर के किसी सदस्य को कोई जरूरत पड़ती है तो वह महिला को खोजते हुए सबसे पहले रसोई में ही जाता है. मतलब यह मान लिया है कि घर की महिला रसोई में भी मिलेगी. घर की महिलाएं कमर और पैरों में दर्द लिए घर के काम करती रहती हैं. ऐसे में इस नए साल से महिलाओं को चाहिए कि अपने बारे में थोड़ा सोचना शुरु कर दें. वे ज्यादा ना सही थोड़ा ही सही अपने ऊपर ध्यान देना शुरु कर दें तो उनकी बची जिंदगी संवर सकती है. चलिए बताते हैं कि वे कौन सी बातें हैं जिनमें महिलाओं को सुधार करने की जरूरत है.
नींद पूरी न करना
महिलाओं की कभी नींद पूरी नहीं होती है. वे रोज सुबह सबसे पहले जल्दी जाग जाती हैं, क्योंकि उन्हें सबके लिए नाश्ता-खाना बनाना होता है. और रात का काम खत्म करने के बाद सबसे आखिरी में सोती हैं. इस कारण वे 8 घंटे भी सो नहीं पाती हैं. जब नींद पूरी नहीं होगी तो भला उनकी सेहत कैसे सही रहेगी? इसलिए इस साल ठान लें कि अपनी नींद पूरी करने की कोशिश जरूर करेंगी.
मॉर्निंग वॉक न करना
मॉर्निंग वॉक करना तो छोड़ दीजिए महिलाएं इविनिंग वॉक कर लें यही बहुत बड़ी बात है. असल में वे अगर मॉर्निंग वॉक करेंगी तो सुबह की चाय कौन बनाएगा? घर का काम कौन करेगा? अरे वॉक ना सही कुछ तो फिजिकल एक्टिविटी करो. आज के समय में हमारे लिए जितना खाना जरूरी है उतना ही जरूरी एक्सरसाइज करना है. कुछ ना सही तो योग कर लो, डांस कर लो या फिर रस्सी कूद लो.
नाश्ता स्किप करना
ये महिलाओं की बहुत गंदी आदत होती है है कि वे दूसरे कामों को इतना तवज्जो देती हैं कि अपना नाश्ता हमेशा स्किप कर देती हैं. घर के सभी काम कर लेने के बाद, सबके ऑफिस और स्कूल चले जाने के बाद आखिरी में जो बचा-खुचा रहेगा वही खाकर काम चला लेंगी. वह सबके लिए पकवान बना सकती हैं मगर अपने लिए सब्जी बनाने से पहले भी सौ बार सोचेंगी. जबकि यह बात वह भी जानती हैं कि सुबह का नाश्ता स्किप करना बहुत नुकसानदायक होता है.
हेल्थ चेकअप न कराना
महिलाएं बीमार पड़ जाती हैं तो जल्दी डॉक्टर के पास नहीं जाती हैं. घर में भी कोई टैबलेट खाकर काम चला लेंगी. वे कभी अपना हेल्थ चेकअप नहीं करातीं. उनको लगता है कि रिपोर्ट में तो कुछ आएगा नहीं फालतू का पैसा क्यों खर्च करना. वे हमेशा अपनी सेहत को लेकर लापरवाह रहती हैं.
खुद को ब्लेम करना
महिलाओं की आदत होती है कि घर में कुछ भी हो जाए वह खुद को ब्लेम करने लगती हैं. घरवाले भी उनकी ही गलती निकालते हैं. चाहें दूध उफन कर गिर जाए या बच्चे को चोट लग जाए वे खुद को ब्लेम करने लगती हैं कि मैंने ही ध्यान नहीं दिया. यहां तक की अगर कोई घर में बीमार भी पड़ जाए तो भी वे खुद को दोषी मानकर गिल्ट में जीने लगती हैं.
महिलाओं को सोचना होगा कि अगर वे खुद पर ध्यान नहीं देंगी तो कौन देगा? उन्हें दूसरों का ख्याल रखने के लिए सबसे पहले अपना ख्याल रखना होगा. घर के कामों को लोगों में बांटना होगा. खुद थोड़ा आराम करना करना होगा.
अगर पूरी दुनिया न्यू ईय़र पर रेजोल्यूशन ले सकती है तो फिर वे क्यों नहीं? वैसे भी अपने बारे में सोचना कोई गुनाह नहीं है.
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