दिल टूटना, दर्द सहना और उस दर्द से बाहर निकलना ये शायद कई लोगों ने झेला होगा. यकीन मानिए ये बहुत ही बुरा दौर होता है. कहा जाता है कि इस दौर में इंसान का दिल और दिमाग काम करना बंद कर देता है. सिर्फ दुख ही होता है जो समझ आता है.
विज्ञान कहता है कि दिल टूटने के बाद दिमाग पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. जो लोग हार्टब्रेक से जूझ रहे होते हैं उनका दिमाग अजीबो-गरीब तरह की हरकतें करने लगता है. दिल टूटने के बाद दिमाग पर ये तीन गहरे असर पड़ते हैं..
1. इमोशनल दर्द शारीरिक दर्द की तरह लगता है...
एक रिसर्च के मुताबिक जब किसी इंसान का दिल टूटता है तो दिमाग ठीक उसी तरह हरकत में आता है जैसे कोई शारीरिक चोट लगने के समय किया जाए.
कुछ मामलों में तो ये ऐसा होता है कि बर्दाश्त ही नहीं किया जा सके. दिल का दर्द सही होने में कुछ घंटे, दिन, महीने लग सकते हैं. दिमाग चोट लगने जैसा ही रिएक्ट करता है और इसलिए ये दिल का टूटना इतना गहरा असर डालता है.
2. रिहैब की तरह होता है दिल का दर्द ठीक करना...
रिसर्च के अनुसार जिस इंसान का दिल टूटता है उसके लिए गम को भुलाना ऐसा होता है जैसा किसी ड्रग एडिक्ट का रिहैब सेंटर में जाना और अपनी आदत छुड़ाना होता है. दिमाग इस तरह से रिएक्ट करता है और यही कारण है कि इंसान को ऐसा लगने लगता है कि उसमें सोचने समझने की शक्ति खत्म हो गई है. पूरी तरह से काम नहीं कर पाता कोई. इस दिमागी स्थिती के कारण ही चाहें ऑफिस का काम हो या फिर घर का इंसान सिर्फ दुखी ही रहता है. ये उसी तरह है जैसे एक ड्रग एडिक्ट को ड्रग छोड़ने के बाद कोकेन की याद आती है. दिल टूटने वाले को भी ठीक उसी तरह याद आती है.
3. दिमाग बार-बार दिलाएगा याद...
जब किसी का दिल टूटा होगा तो उसे दिमाग बार-बार उसी...
दिल टूटना, दर्द सहना और उस दर्द से बाहर निकलना ये शायद कई लोगों ने झेला होगा. यकीन मानिए ये बहुत ही बुरा दौर होता है. कहा जाता है कि इस दौर में इंसान का दिल और दिमाग काम करना बंद कर देता है. सिर्फ दुख ही होता है जो समझ आता है.
विज्ञान कहता है कि दिल टूटने के बाद दिमाग पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. जो लोग हार्टब्रेक से जूझ रहे होते हैं उनका दिमाग अजीबो-गरीब तरह की हरकतें करने लगता है. दिल टूटने के बाद दिमाग पर ये तीन गहरे असर पड़ते हैं..
1. इमोशनल दर्द शारीरिक दर्द की तरह लगता है...
एक रिसर्च के मुताबिक जब किसी इंसान का दिल टूटता है तो दिमाग ठीक उसी तरह हरकत में आता है जैसे कोई शारीरिक चोट लगने के समय किया जाए.
कुछ मामलों में तो ये ऐसा होता है कि बर्दाश्त ही नहीं किया जा सके. दिल का दर्द सही होने में कुछ घंटे, दिन, महीने लग सकते हैं. दिमाग चोट लगने जैसा ही रिएक्ट करता है और इसलिए ये दिल का टूटना इतना गहरा असर डालता है.
2. रिहैब की तरह होता है दिल का दर्द ठीक करना...
रिसर्च के अनुसार जिस इंसान का दिल टूटता है उसके लिए गम को भुलाना ऐसा होता है जैसा किसी ड्रग एडिक्ट का रिहैब सेंटर में जाना और अपनी आदत छुड़ाना होता है. दिमाग इस तरह से रिएक्ट करता है और यही कारण है कि इंसान को ऐसा लगने लगता है कि उसमें सोचने समझने की शक्ति खत्म हो गई है. पूरी तरह से काम नहीं कर पाता कोई. इस दिमागी स्थिती के कारण ही चाहें ऑफिस का काम हो या फिर घर का इंसान सिर्फ दुखी ही रहता है. ये उसी तरह है जैसे एक ड्रग एडिक्ट को ड्रग छोड़ने के बाद कोकेन की याद आती है. दिल टूटने वाले को भी ठीक उसी तरह याद आती है.
3. दिमाग बार-बार दिलाएगा याद...
जब किसी का दिल टूटा होगा तो उसे दिमाग बार-बार उसी पार्टनर की याद दिलाएगा जो उसे छोड़कर गया है. दिमाग के तार सिर्फ उससे जुड़ी हुई यादें ही दिखाएंगे. उसकी शक्ल याद आएगी, उसकी बातें याद आएंगी, ये दिन के किसी भी वक्त, कोई काम करते हुए याद आ सकती है. ये कुछ ऐसा ही है जैसे कोई किसी घाव को कुरेद रहा हो. असर भी कुछ वैसा ही होता है. दुख उतना ही होता है.
ये सिर्फ शायर ही नहीं विज्ञान भी कहता है कि दिल टूटने का असर दिमाग पर बहुत ज्यादा होता है. इसका सीधा सा तरीका ये है कि अपने दिमाग को जितना हो सके व्यस्त रखने की कोशिश करें.
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