पैंगबर टिप्पणी विवाद के बाद कुछ 'आहत' मुसलमानों ने हथियारों से काम लिया, तो कुछ ने जुबान को ही हथियार बना लिया. उदयपुर और अमरावती में दो लोगों को भाजपा नेता नूपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण मुसलमानों द्वारा निर्ममतापूर्वक मार डाला गया. माना जाने लगा था कि इस विषय पर मुस्लिम बिरादरी का कट्टरपंथी रवैया उन्हें गर्त के अंधेरों में ले जाएगा. लेकिन इसकी कीमत धार्मिक पर्यटन के हब अजमेर को चुकानी होगी, इस विषय में शायद ही किसी ने सोचा हो. शायद आपको जान कर हैरत हो लेकिन वो अजमेर जहां पहले बकरीद के आसपास तिल रखने की जगह नहीं होती थी वहां आज सन्नाटा है. जायरीनों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. इसमें बड़ी तादाद हिंदू श्रद्धालुओं की है, जो दरगाह शरीफ के प्रति श्रद्धा रखते थे. नतीजन होटल और रेस्त्रां वाले हों या फिर फूल, अगरबत्ती और मिठाई के दुकानदार, सबका बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुआ है. दरगाह क्षेत्र में करीब 90 फीसदी व्यापार ठप हो गया है जिसके चलते व्यापारियों को 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान का सामना करना पड़ा है.
'खादिमों' ने दिखाए थे खूनी दांत...
कह सकते हैं की यदि आज अजमेर की हालत इस हद तक ख़राब हुई. तो इसके जिम्मेदार दरगाह के वो खादिम हैं, जिनके अंदर के कट्टरपंथ का खामियाजा एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने के बावजूद अजमेर को भुगतना पड़ रहा है. इसका अंदाजा ठीक उस वक़्त लग गया था जब नूपुर शर्मा पैगंबर विवाद के बाद यहां के खादिमों के वीडियोज ने इंटरनेट पर सुर्खियां बटोरी थीं.
अजमेर शरीफ के 'खादिम' गौहर चिश्ती ने दरगाह के गेट पर नूपुर शर्मा के खिलाफ नारेबाजी करवाते हुए 'सिर तन से जुदा' के नारे लगवाए...
पैंगबर टिप्पणी विवाद के बाद कुछ 'आहत' मुसलमानों ने हथियारों से काम लिया, तो कुछ ने जुबान को ही हथियार बना लिया. उदयपुर और अमरावती में दो लोगों को भाजपा नेता नूपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण मुसलमानों द्वारा निर्ममतापूर्वक मार डाला गया. माना जाने लगा था कि इस विषय पर मुस्लिम बिरादरी का कट्टरपंथी रवैया उन्हें गर्त के अंधेरों में ले जाएगा. लेकिन इसकी कीमत धार्मिक पर्यटन के हब अजमेर को चुकानी होगी, इस विषय में शायद ही किसी ने सोचा हो. शायद आपको जान कर हैरत हो लेकिन वो अजमेर जहां पहले बकरीद के आसपास तिल रखने की जगह नहीं होती थी वहां आज सन्नाटा है. जायरीनों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. इसमें बड़ी तादाद हिंदू श्रद्धालुओं की है, जो दरगाह शरीफ के प्रति श्रद्धा रखते थे. नतीजन होटल और रेस्त्रां वाले हों या फिर फूल, अगरबत्ती और मिठाई के दुकानदार, सबका बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुआ है. दरगाह क्षेत्र में करीब 90 फीसदी व्यापार ठप हो गया है जिसके चलते व्यापारियों को 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान का सामना करना पड़ा है.
'खादिमों' ने दिखाए थे खूनी दांत...
कह सकते हैं की यदि आज अजमेर की हालत इस हद तक ख़राब हुई. तो इसके जिम्मेदार दरगाह के वो खादिम हैं, जिनके अंदर के कट्टरपंथ का खामियाजा एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने के बावजूद अजमेर को भुगतना पड़ रहा है. इसका अंदाजा ठीक उस वक़्त लग गया था जब नूपुर शर्मा पैगंबर विवाद के बाद यहां के खादिमों के वीडियोज ने इंटरनेट पर सुर्खियां बटोरी थीं.
अजमेर शरीफ के 'खादिम' गौहर चिश्ती ने दरगाह के गेट पर नूपुर शर्मा के खिलाफ नारेबाजी करवाते हुए 'सिर तन से जुदा' के नारे लगवाए थे. जिसके बाद वह 17 जून को उदयपुर गया था. दावा किया गया कि गौहर चिश्ती ने इस दौरान कन्हैया लाल के हत्यारे रियाज मोहम्मद से मुलाकात भी की थी. रियाज को हत्या के बाद वीडियो बनाने के लिए भी गौहर चिश्ती ने ही समझाइश दी थी.
अजमेर शरीफ दरगाह की अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती कहते नजर आ रहे हैं कि 'नबी की शान में गुस्ताखी हो रही है. ऐसा माहौल बना दिया गया है. अब ऐसा आंदोलन किया जाएगा जिससे पूरा हिंदुस्तान हिल जाएगा.'
खादिम सलमान चिश्ती का एक वीडियो भी वायरल हुआ था. जिसमें 'खादिम' सलमान चिश्ती रो-रोकर पैगंबर मोहम्मद पर की गई कथित विवादित टिप्पणी का बदला लेने की बात कर रहा था. वीडियो में सलमान चिश्ती कहता नजर आता है कि 'वक्त पहले जैसा नहीं रहा, वरना वह बोलता नहीं, कसम है मुझे पैदा करने वाली मेरी मां की, मैं उसे सरेआम गोली मार देता, मुझे मेरे बच्चों की कसम, मैं उसे गोली मार देता और आज भी सीना ठोक कर कहता हूं, जो भी नुपुर शर्मा की गर्दन लाएगा, मैं उसे अपना घर दे दूंगा और रास्ते पर निकल जाऊंगा, ये वादा करता है सलमान.'
इंटरनेट पर वायरल दरगाह कमेटी के खादिमों के वीडियोज ने न सिर्फ उनकी तालिबानी सोच को बेनकाब किया, बल्कि श्रद्धालुओं के बीच दहशत पैदा की.
वर्तमान में होटलों में केवल 10% कमरे ही बुक हैं. यही नहीं, होटलों के लिए की गई एडवांस बुकिंग भी लगातार कैंसिल कराई जा रही हैं. ध्यान रहे अजमेर का शुमार धार्मिक पर्यटन के उन केंद्रों में हैं जहां मुसलमानों के साथ साथ हिंदुओं की भी एक बड़ी आबादी आती थी. ऐसे में जिस तरह यहां के खादिमों के बयान वायरल हुए यदि आज लोग यहां आने से डर रहे हैं तो इसमें किसी किस्म की कोई हैरत वाली बात नहीं है.
बहरहाल अब जबकि यहां के खादिमों के बयानों का सीधा असर यहां की अर्थव्यवस्था पर हुआ है. साफ़ है कि यदि खादिमों में कट्टरपंथ और जड़ता यूं ही रही तो आने वाले वक़्त में भी हालात बद से बदतर होंगे. कह सकते हैं कि देश और देश की जनता ने अजमेर को, यहां के खादिमों को और यहां की अर्थव्यवस्था को एक बड़ा सन्देश दिया है. बेहतर यही है कि वक़्त रहते अजमेर दरगाह से जुड़े लोग इस संदेश को समझें.
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