दिल्ली एक बार फिर धुएं की चादर ओढ़े हुए है. इसका असर श्रीलंका और भारत के टेस्ट मैच पर भी पड़ा जो फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में खेला जा रहा है. श्रीलंकाई टीम मास्क पहने नजर आई. कितनी अजीबोगरीब बात है कि प्रदूषण के कारण एक मैच रद्द हो गया. दिल्ली में 3 दिसंबर को PM2.5 पार्टिकल्स सुबह 9 बजे 218 यूनिट्स के आस-पास थे. यानि सेफ लिमिट से 8 गुना ज्यादा.
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (CPBC) के अनुसार दिल्ली की हवा कुछ इलाकों में नॉर्मल से 17 गुना खराब थी. इसमें आनंद विहार की हालत सबसे खराब थी जो 433 यूनिट्स के आस-पास पहुंच गई थी. ऐसा ही नोएडा सेक्टर 125 और गाज़ियाबाद के वसुंधरा इलाके में भी था.
सबसे खराब बात ये है कि हमारे देश की राजधानी का हाल ये है कि यहां कोई विदेशी टीम आकर खेल खेलती है और उसके खिलाड़ियों की तबियत यहां की हवा के कारण खराब हो जाती है.
श्रीलंकाई खिलाड़ी पहले से ही मास्क पहन कर खेल रहे थे और यहां मौजूद हवा के कारण उनकी तबियत बिगड़ने लगी. यहां रहने वाले लोगों में से मैं भी एक हूं और शायद हमे इस स्मॉग की आदत पड़ गई है, लेकिन ये सोचना भी जरूरी है कि विदेशों में भारत की छवि कैसी बन रही है सिर्फ पॉल्यूशन के कारण और अगर कोई विदेशी यहां आता है तो उसकी सेहत क्यों इस तरह बिगड़ जाती है.
सिर्फ भारतीय मीडिया ने ही नहीं विदेशी मीडिया ने भी दिल्ली पॉल्यूशन के बारे में काफी कुछ लिखा. ये सभी तस्वीरें तीन बड़ी विदेशी वेबसाइट्स की हैं. कई वीडियो...
दिल्ली एक बार फिर धुएं की चादर ओढ़े हुए है. इसका असर श्रीलंका और भारत के टेस्ट मैच पर भी पड़ा जो फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में खेला जा रहा है. श्रीलंकाई टीम मास्क पहने नजर आई. कितनी अजीबोगरीब बात है कि प्रदूषण के कारण एक मैच रद्द हो गया. दिल्ली में 3 दिसंबर को PM2.5 पार्टिकल्स सुबह 9 बजे 218 यूनिट्स के आस-पास थे. यानि सेफ लिमिट से 8 गुना ज्यादा.
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (CPBC) के अनुसार दिल्ली की हवा कुछ इलाकों में नॉर्मल से 17 गुना खराब थी. इसमें आनंद विहार की हालत सबसे खराब थी जो 433 यूनिट्स के आस-पास पहुंच गई थी. ऐसा ही नोएडा सेक्टर 125 और गाज़ियाबाद के वसुंधरा इलाके में भी था.
सबसे खराब बात ये है कि हमारे देश की राजधानी का हाल ये है कि यहां कोई विदेशी टीम आकर खेल खेलती है और उसके खिलाड़ियों की तबियत यहां की हवा के कारण खराब हो जाती है.
श्रीलंकाई खिलाड़ी पहले से ही मास्क पहन कर खेल रहे थे और यहां मौजूद हवा के कारण उनकी तबियत बिगड़ने लगी. यहां रहने वाले लोगों में से मैं भी एक हूं और शायद हमे इस स्मॉग की आदत पड़ गई है, लेकिन ये सोचना भी जरूरी है कि विदेशों में भारत की छवि कैसी बन रही है सिर्फ पॉल्यूशन के कारण और अगर कोई विदेशी यहां आता है तो उसकी सेहत क्यों इस तरह बिगड़ जाती है.
सिर्फ भारतीय मीडिया ने ही नहीं विदेशी मीडिया ने भी दिल्ली पॉल्यूशन के बारे में काफी कुछ लिखा. ये सभी तस्वीरें तीन बड़ी विदेशी वेबसाइट्स की हैं. कई वीडियो सामने आए जिसमें ये दिखाया गया कि दिल्ली की हालत कितनी खराब है.
ये साफ करता है कि आखिर क्यों दिल्ली के हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं. खुद ही सोचिए विदेशों में थू-थू का कारण भारत हवा की वजह से बन रहा है. ये वो दौर है जब कई विदेशी इंडस्ट्रीज से भारत में निवेश की मांग की जा रही है.
विदेशी लोगों के सामने भारत के प्रदूषण की क्या मिसाल पेश होती है ये एक और उदाहरण से समझिए.
7 नवंबर को दिल्ली में बेल्जियम की रानी मिथेल्डे और राजा फिलीप आए हुए थे. वो भारत के 7 दिवसीय दौरे पर थे और उस दौरान दिल्ली गैस चेंबर बना हुआ था. ये वीडियो और फोटो उस दिन के हैं जब राजा और रानी का सम्मान किया जा रहा था.
अब खुद ही सोच लीजिए... क्या मिसाल पेश कर रहे हैं हम दुनिया के सामने? वो देश जहां प्रधानमंत्री किसी अन्य देश के राजा और रानी का स्वागत करने के लिए गैस चेंबर बने शहर में बाहर निकलते हैं और देशी और विदेशी मीडिया उस इवेंट को कवर करता है.
इसी बीच, ट्विटर के सिपाहियों का ये कहना है कि क्योंकि श्रीलंकन टीम जीत नहीं सकती थी इसलिए उसने बीमार होने का नाटक किया...
हो सकता है लोगों को लगे कि ये नाटक है पर असल बात तो ये है कि वाकई जो लोग नए - नए दिल्ली में आए हैं उनके ये स्मॉग काफी खतरनाक साबित हो सकता है.
वैसे तो अगर साइंटिफिक तौर पर देखा जाए तो दिल्ली का पॉल्यूशन सेहत के लिए काफी खतरनाक है. ये हार्ट अटैक, दिल की कोई बीमारी, लंग कैंसर, सांस लेने वाली बीमारियां आदि देने के लिए पर्याप्त है.
ये भी हैं आंकड़े...
सर गंगाराम हॉस्पिटल, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, इंडियन मीटोरॉजिकल डिपार्टमेंट और लंदर स्कूल ऑफ हाइजीन ने 2015 के कुछ ट्रेंड बताए हैं. इस स्टडी में सामने आया है कि लगभग 5 लाख लोग 2015 में समय से पहले मौत का शिकार हुए हैं. कारण? PM 2.5 जो इस वक्त दिल्ली की आबोहवा में घुला हुआ है. हाल ही में जो स्मॉग दिल्ली में है उससे लाखों लोग अस्पतालों में जाकर खराब गले, आंखों में जलन और खांसी की शिकायत कर रहे हैं.
जो लोग बिना शिकायत इसे भुगत रहे हैं वो हैं नवजात बच्चे, वो न शिकायत कर सकते हैं, न ही सांस लेने में दिक्कत को बता सकते हैं. इससे जो नुकसान की उनकी सेहत पर हो रहा है वो चौंकाने वाला है.
न सिर्फ दिल्ली में प्रदूषण के कारण नवजातों की संख्या में कमी आई है बल्कि उनकी ग्रोथ भी रुकी है. वजन भी कम हो रहा है और कई बच्चों में शरीर को लेकर कमी देखी गई है. ये बच्चे इम्युनिटी में काफी बुरे हैं. एक छोटी सी बीमारी भी जानलेवा साबित हो सकती है. साथ ही ऐसी सांस की बीमारियां भी हो सकती हैं जिससे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो जाएं.
15 मिलियन ग्लोबल प्रीमैच्योर जन्म में से 20% भारत में होते हैं. इसके अलावा, हायपरटेंशन, दिल की बीमारियां आदि हो सकती हैं.
हर एक सांस है जिम्मेदार...
दिल्ली में हर एक सांस लोगों को बीमार बना रही है. अगर कोई दिल्ली में एक पूरा दिन रहता है तो वो लगभग 30-50 सिगरेट (एरिया के हिसाब से) पीने बराबर का धुआं सांस के जरिए शरीर में लेगा. स्टडी ने ये बताया कि 1000 पेशंट्स में से 30% सेहतमंद थे, लेकिन उन्हें भी परेशानी हो रही है और आने वाले समय में गंभीर बीमारी हो सकती है.
तो अगर ऐसा लग भी रहा है कि श्रीलंकन टीम नाटक कर रही है फिर भी सोचने वाली बात ये है कि क्या आप अपनी सेहत के साथ ये नाटक नहीं कर रहे? दिल्ली की प्रदूषण समस्या के बारे में सोचना बहुत जरूरी है वर्ना काफी देर हो सकती है.
ये भी पढ़ें-
Odd-even returns : आग लगने पर तालाब खोदने की कवायद
दिल्ली स्मॉग: क्या आपको भी मौत नजर नहीं आती ?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.