हममें से शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे फिल्मों का शौक न हो. बात जब फिल्मों की चल रही हो और हम डायरेक्टर सूरज बड़जात्या के फेमली ड्रामे "हम आपके हैं कौन" को भूल जाएं तो फिर बात अधूरी रह जाती है. फिल्म का एक दृश्य है, जिसमें शादी को फिल्माया गया है. दृश्य में अभिनेत्री माधुरी दीक्षित की बहन की शादी हो रही होती है और वो दूल्हा बने मोहनीश बहल का जूता चुराती हैं. लड़के वालों द्वारा तमाम तरह के मोल भाव करने और प्रलोभन देने के बाद बड़ी मुश्किल से माधुरी. दूल्हा बने अपने जीजा मोहनीश बहल का जूता वापस करती हैं. इस पूरी चुहल को एक गाने के माध्यम से बड़ी ही खूबसूरती के साथ फिल्म में दर्शाया भी गया है.
कहा जा सकता है कि विवाह समारोह से जुड़ी हर चीज मन मोह लेने वाली होती है और असीम सुख का अनुभव कराती है. आप शादी बारात का वर्णन करके देखिये फिर चाहे घर के लड़के हो या लड़कियां दोनों का ही उत्साह देखने वाला होता है. यदि आप उनसे प्रश्न करें कि शादी में उन्हें सबसे ज्यादा क्या आकर्षित करता है तो अपने आप ही उनके मुंह से निकल जाएगा "रस्में"
तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या मौज मस्ती के लिए बनाई गयी ये रस्में किसी की जान ले सकती हैं? शायद आप इसे एक बेवकूफी का प्रश्न मानें और न कहें. मगर जो उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक विवाह समारोह में हुआ उसने न सिर्फ रस्मों को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया बल्कि ये भी बता दिया कि अब हमारी सहिष्णुता और चीजों को "हल्के में लेने का जज्बा" अपने सबसे निचले पायदान पर है. बदायूं के बिल्सी इलाके में शादी के दौरान जूता चोरी होने से दूल्हा इतना आहत हुआ कि उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर जूता चोरी करने के शक में एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर...
हममें से शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे फिल्मों का शौक न हो. बात जब फिल्मों की चल रही हो और हम डायरेक्टर सूरज बड़जात्या के फेमली ड्रामे "हम आपके हैं कौन" को भूल जाएं तो फिर बात अधूरी रह जाती है. फिल्म का एक दृश्य है, जिसमें शादी को फिल्माया गया है. दृश्य में अभिनेत्री माधुरी दीक्षित की बहन की शादी हो रही होती है और वो दूल्हा बने मोहनीश बहल का जूता चुराती हैं. लड़के वालों द्वारा तमाम तरह के मोल भाव करने और प्रलोभन देने के बाद बड़ी मुश्किल से माधुरी. दूल्हा बने अपने जीजा मोहनीश बहल का जूता वापस करती हैं. इस पूरी चुहल को एक गाने के माध्यम से बड़ी ही खूबसूरती के साथ फिल्म में दर्शाया भी गया है.
कहा जा सकता है कि विवाह समारोह से जुड़ी हर चीज मन मोह लेने वाली होती है और असीम सुख का अनुभव कराती है. आप शादी बारात का वर्णन करके देखिये फिर चाहे घर के लड़के हो या लड़कियां दोनों का ही उत्साह देखने वाला होता है. यदि आप उनसे प्रश्न करें कि शादी में उन्हें सबसे ज्यादा क्या आकर्षित करता है तो अपने आप ही उनके मुंह से निकल जाएगा "रस्में"
तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या मौज मस्ती के लिए बनाई गयी ये रस्में किसी की जान ले सकती हैं? शायद आप इसे एक बेवकूफी का प्रश्न मानें और न कहें. मगर जो उत्तर प्रदेश के बदायूं में एक विवाह समारोह में हुआ उसने न सिर्फ रस्मों को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया बल्कि ये भी बता दिया कि अब हमारी सहिष्णुता और चीजों को "हल्के में लेने का जज्बा" अपने सबसे निचले पायदान पर है. बदायूं के बिल्सी इलाके में शादी के दौरान जूता चोरी होने से दूल्हा इतना आहत हुआ कि उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर जूता चोरी करने के शक में एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी.
जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बिल्सी का रहने वाला सुरेंद्र शादी करने सूरजपुर गांव बारात लेकर गया था. विवाह की रस्म के लिए दूल्हे ने जूते उतारे और रीति रिवाज में शामिल होने चला गया. लेकिन जब विवाह के सारे रीति रिवाज समाप्त हो गए और दूल्हा वापस आया तो उसे अपने जूते गायब मिले. जूते गायब होने से बौखलाए दूल्हे ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर हंगामा खड़ा कर दिया और वहीं पास में खड़े रामसरन पर जूता चोरी करने का शक जाहिर किया.
हालांकि रामसरन ने जूता चोरी करने से इनकार किया और दूल्हे को समझाने बुझाने का प्रयास किया. मगर रामसरन की एक न सुन दूल्हे और उसके दोस्तों ने उसे बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया जिससे वो लहुलूहान हो गया. उपस्थित लोगों द्वारा रामसरन को फौरन अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. पुलिस द्वारा शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और कार्यवाही जारी है.
क्या होती है जूता चुराई की रस्म'
जूता छुपाई या जूता चोरी की रस्म में वास्तविकता में जूते चोरी किये जाते हैं. विवाह के समय, मंडप में आने से पहले दूल्हा और दुल्हन दोनों के ही परिवारों से जूते उतरवाए जाते हैं और इसी दौरान दूल्हे की सालियों द्वारा जूता छुपाया जाता है और उचित नेग मिलने के बाद ही दूल्हे के पक्ष को जूता वापस किया जाता है. इस रस्म की शुरुआत कहाँ से हुई इसके कारण अज्ञात हैं मगर इस रस्म का उद्देश बस रिश्तों में मधुरता और हंसी मजाक रहता है. ये रस्म न सिर्फ हिन्दुओं में बल्कि मुसलमानों तक में कॉमन है और भारत के अलावा, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक में इसे शादी का हिस्सा बनाया जा रहा है.
क्या ये हत्या जूता छुपाई का नेक्स्ट लेवल है
आज हम जिस तनाव भारी जीवन शैली को अपना रहे हैं और छोटी छोटी बातों को बड़ा रुख दे रहे हैं उसको देखकर कहा जा सकता है कि अब लोग मजाक के प्रति असहिष्णु हो गए हैं. कह सकते हैं कि पूर्व की अपेक्षा आज लोग उन चीजों के प्रति गंभीर हैं जिनका न कोई सिर है या ही पैर. आज हम जिस माहौल में रह रहे हैं उसके बाद कहा जा सकता है कि ये घटना जूता छुपाई का नया लेवल है जिसकी शुरुआत हो चली है. यदि इसे वक़्त रहते रोका नहीं गया तो भविष्य में परिणाम कहीं घातक होंगे.
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