IPC का अर्थ आप को पता ही होगा, भारतीय दंड संहिता. यानी आप कोई गुनाह करेंगे तो आप को उसके तहत सजा होगी. तो फिर यह PC यानी पॉलिटिकल करेक्टनेस उससे खतरनाक क्यों है? कारण यही है कि PC की कोई व्याख्या नहीं है. कोई लिखित और प्रमाणित ग्रंथ नहीं है, जिसमें दिये हुए नियमों पर चर्चा हो और उनका सही अर्थ निकाला जा सके. PC पूर्णतया मनमानी है, जहां कोई भी हो सकता है. व्यक्ति हो या फिर कोई समुदाय, आप के किसी भी लेखन, भाषण या व्यक्त विचार या कृति को पॉलिटिकल गलत-इनकरेक्ट बता सकता है. आप की अभिव्यक्ति को प्रचलित विचारधारा का विरोधी बताकर उसका गला घोंट सकता है.
PC निरंकुश सर्वाधिकारवाद होता है जो आप की जिंदगी तबाह कर सकता है. जरा तफसील से समझते हैं PC के खतरे. अगर संस्थानों में कोई दल अपनी वैचारिक पकड़ बनाना चाहता है तो वह PC का सहारा अवश्य लेता है. यह वामपंथियों का प्रिय शस्त्र है क्योंकि इसके चलते उन्हें अपने सिद्धांतों को पूरा करने में मदद मिलती है और ऐसे में उन्हें अपनी बात काटने की भी जरूरत नहीं पड़ती. इतना ही नहीं, सिद्धांतों पर बने रहने की भी आवश्यकता समाप्त हो जाती है.
आप को जिसे ताबे में लाकर बंदर की तरह नचाना है, उसकी बातों को पॉलिटिकल इनकरेक्ट बताया करिये. या वो जो भी कहे उस पर 'नफरत' का लेबल चिपका दीजिये. साथ ही बार- बार यह दोहराते रहिए जबतक वो व्यक्ति सब के लिए वैचारिक रूप से अछूत न हो जाये. हर कोई उससे दूरी बनाता है जैसे लोग ईसा पूर्व में कोढ़ियों से दूरी बनाया करते थे.
शिक्षा की बात करें तो, आज सत्य जानते हुए भी स्कूलों में इतिहास के पेपर में झूठ लिखना पास होने के लिए हमारी मजबूरी बन जाती है. हमारी सांस्कृतिक धरोहर की विडम्बना सहना मजबूरी हो जाती है क्योंकि...
IPC का अर्थ आप को पता ही होगा, भारतीय दंड संहिता. यानी आप कोई गुनाह करेंगे तो आप को उसके तहत सजा होगी. तो फिर यह PC यानी पॉलिटिकल करेक्टनेस उससे खतरनाक क्यों है? कारण यही है कि PC की कोई व्याख्या नहीं है. कोई लिखित और प्रमाणित ग्रंथ नहीं है, जिसमें दिये हुए नियमों पर चर्चा हो और उनका सही अर्थ निकाला जा सके. PC पूर्णतया मनमानी है, जहां कोई भी हो सकता है. व्यक्ति हो या फिर कोई समुदाय, आप के किसी भी लेखन, भाषण या व्यक्त विचार या कृति को पॉलिटिकल गलत-इनकरेक्ट बता सकता है. आप की अभिव्यक्ति को प्रचलित विचारधारा का विरोधी बताकर उसका गला घोंट सकता है.
PC निरंकुश सर्वाधिकारवाद होता है जो आप की जिंदगी तबाह कर सकता है. जरा तफसील से समझते हैं PC के खतरे. अगर संस्थानों में कोई दल अपनी वैचारिक पकड़ बनाना चाहता है तो वह PC का सहारा अवश्य लेता है. यह वामपंथियों का प्रिय शस्त्र है क्योंकि इसके चलते उन्हें अपने सिद्धांतों को पूरा करने में मदद मिलती है और ऐसे में उन्हें अपनी बात काटने की भी जरूरत नहीं पड़ती. इतना ही नहीं, सिद्धांतों पर बने रहने की भी आवश्यकता समाप्त हो जाती है.
आप को जिसे ताबे में लाकर बंदर की तरह नचाना है, उसकी बातों को पॉलिटिकल इनकरेक्ट बताया करिये. या वो जो भी कहे उस पर 'नफरत' का लेबल चिपका दीजिये. साथ ही बार- बार यह दोहराते रहिए जबतक वो व्यक्ति सब के लिए वैचारिक रूप से अछूत न हो जाये. हर कोई उससे दूरी बनाता है जैसे लोग ईसा पूर्व में कोढ़ियों से दूरी बनाया करते थे.
शिक्षा की बात करें तो, आज सत्य जानते हुए भी स्कूलों में इतिहास के पेपर में झूठ लिखना पास होने के लिए हमारी मजबूरी बन जाती है. हमारी सांस्कृतिक धरोहर की विडम्बना सहना मजबूरी हो जाती है क्योंकि उसके विरोध में आवाज उठाना 'पॉलिटिकल इनकरेक्ट' माना जाता है. अकबर की झूठी महानता के पुल बांधने पड़ते हैं. वामियों की बदमाशी के बारे में लिखना करियर समाप्त कर देता है क्योंकि यह 'पॉलिटिकल इनकरेक्ट' माना जाता है. या फिर आप पर प्रतिक्रियावादी या गणशत्रु आदि लेबल चिपकाए जाते हैं जब कि आप को इनका अर्थ भी पता नहीं होता, आप बस इतना जानते हैं कि आप ने जो सच है उसकी बात की है.
आज PC को एक शस्त्र की तरह प्रयोग में लानेवालों में अधिकतर तथाकथित उदारवादी और अराजक लोग शामिल हैं. इसी के मद्देनजर वामी ग्रुप्स अपने केंचुल बदलते गए पहले खुद को साम्यवादी कहा, फिर समाजवादी, फिर समाजवादी लोकतान्त्रिक, उदारवादी लोकतान्त्रिक, इत्यादि. ये जरा-जरा वाम विचार से दूरी बनाकर रहे ताकि इनको अराजक, क्रांतिवादी या विद्रोही कहकर इनका दमन न किया जाये. और अपने लिए इन्होने एक कवच कुंडल सा गढ़ लिया, जिसको ये पॉलिटिकल करेक्ट होना कहते हैं. और 'करेक्ट' होना याने हमेशा सही होना, फिर भले इनके काम या उनके परिणाम कितने भी गलत हों.
रोजमर्रा की जिंदगी में PC की दखलअंदाजी होती है, शायद हम समझते कम हैं. अब यही देखिये, किसी कामचोर कनिष्ठ की क्लास लगवाने से पहले सोचना पड़ता है कि कहीं जात धर्म को लेकर बखेड़ा तो नहीं खड़ा करेगा. वो अगर महिला है तो और संभालना पड़ता है. कहीं ऐसे भी किसी से विवाद हो जाये तो वहां भी आप कितने भी सही हो, अगला आप को झूठे आरोप में कानून के चक्कर में पिसवा सकता है. सही बता रहा हूं ना ?
वाकई यह PC भी गजब की चीज है. क्या है यह जल्दी समझ में ही नहीं आता क्योंकि उसकी निश्चित व्याख्या ही नहीं है और चूंकि यह खुद को 'करेक्ट' का विशेषण बहाल करता है, उसका संरक्षण वो आप का कर्तव्य बना देता है जबकि असल में वो आप की जड़ें काट रहा होता है. ये रहा PC उर्फ पोलिटिकल करेक्टनेस की एक शुरुआती पहचान. मिला करेंगे, आगे बात बढ़ेगी.
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