एक मिडिल क्लास नौकरीपेशा के लिए अपना घर बनाना या खरीदना किसी चुनौती से कम नहीं होता. लेकिन कई बार लोग ठग लिए जाते हैं और उन्हें सस्ते के नाम पर घटिया सामान से बनाया गया घर दे दिया जाता है. नतीजा होता है ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव जैसा. बिल्डर तो घर बनाकर बेच देते हैं और मुनाफा कमा कर निकल लेते हैं, लेकिन जान जोखिम में उन लोगों की होती है जो इन घरों में रहते हैं. पहले ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में इमारत गिरी, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई. उसके तीन दिन बाद गाजियाबाद में भी वैसा ही हादसा हुआ, जिसमें भी एक व्यक्ति की जान चली गई है.
आप समझें अपनी जिम्मेदारी
ऐसे घर बनाने के लिए बिल्डर तो दोषी हैं ही, लेकिन अपनी और अपने परिवार की रक्षा करना आपकी भी जिम्मेदारी है. ऐसे में अगर आप कोई घर खरीदते हैं तो आपको पहले ये पता कर लेना चाहिए कि वह वैध है या अवैध. भारत जैसे देश में जहां भ्रष्टाचार हर ओर फैला हुआ है, उसमें अवैध कामों पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त कोशिशें नहीं हो रही हैं. ऐसे में आपको खुद भी सजग रहने की जरूरत है. चलिए जानते हैं अगर दिल्ली एनसीआर में आप कोई घर खरीदते हैं तो आप ये कैसे पता कर सकते हैं कि वह घर वैध है या अवैध.
घर का नक्शा खोल देगा सारे राज
सबसे पहले तो आप जिस घर को खरीदने जा रहे हैं, बिल्डर से उस घर का नक्शा मांगें. अगर घर अवैध है तो बिल्डर नक्शा नहीं दे पाएगा. लेकिन ध्यान रहे, नक्शे फर्जी भी होते हैं. ऐसे में अगर बिल्डर आपको घर का नक्शा दे भी दे तो प्राधिकरण के ऑफिस में जाकर उसकी जांच अवश्य कर लें. आपको बिल्डर ने जो नक्शा दिया है, उसका प्राधिकरण के नक्शे के साथ मिलान जरूर करें. कहीं ऐसा ना हो कि प्राधिकरण...
एक मिडिल क्लास नौकरीपेशा के लिए अपना घर बनाना या खरीदना किसी चुनौती से कम नहीं होता. लेकिन कई बार लोग ठग लिए जाते हैं और उन्हें सस्ते के नाम पर घटिया सामान से बनाया गया घर दे दिया जाता है. नतीजा होता है ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव जैसा. बिल्डर तो घर बनाकर बेच देते हैं और मुनाफा कमा कर निकल लेते हैं, लेकिन जान जोखिम में उन लोगों की होती है जो इन घरों में रहते हैं. पहले ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में इमारत गिरी, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई. उसके तीन दिन बाद गाजियाबाद में भी वैसा ही हादसा हुआ, जिसमें भी एक व्यक्ति की जान चली गई है.
आप समझें अपनी जिम्मेदारी
ऐसे घर बनाने के लिए बिल्डर तो दोषी हैं ही, लेकिन अपनी और अपने परिवार की रक्षा करना आपकी भी जिम्मेदारी है. ऐसे में अगर आप कोई घर खरीदते हैं तो आपको पहले ये पता कर लेना चाहिए कि वह वैध है या अवैध. भारत जैसे देश में जहां भ्रष्टाचार हर ओर फैला हुआ है, उसमें अवैध कामों पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त कोशिशें नहीं हो रही हैं. ऐसे में आपको खुद भी सजग रहने की जरूरत है. चलिए जानते हैं अगर दिल्ली एनसीआर में आप कोई घर खरीदते हैं तो आप ये कैसे पता कर सकते हैं कि वह घर वैध है या अवैध.
घर का नक्शा खोल देगा सारे राज
सबसे पहले तो आप जिस घर को खरीदने जा रहे हैं, बिल्डर से उस घर का नक्शा मांगें. अगर घर अवैध है तो बिल्डर नक्शा नहीं दे पाएगा. लेकिन ध्यान रहे, नक्शे फर्जी भी होते हैं. ऐसे में अगर बिल्डर आपको घर का नक्शा दे भी दे तो प्राधिकरण के ऑफिस में जाकर उसकी जांच अवश्य कर लें. आपको बिल्डर ने जो नक्शा दिया है, उसका प्राधिकरण के नक्शे के साथ मिलान जरूर करें. कहीं ऐसा ना हो कि प्राधिकरण ने दो मंजिला इमारत की इजाजत दी है और बिल्डर ने ताश के पत्तों का महल खड़ा कर दिया हो.
मिट्टी की जांच रिपोर्ट जरूर मांगें
घर कितना भी छोटा या बड़ा हो, उसकी मजबूती का आधार होती है घर की नींव. आप बिल्डर से उस जगह की मिट्टी की जांच की रिपोर्ट जरूर मांगें, जहां पर बिल्डिंग बनी है. दरअसल, मिट्टी की जांच इसलिए जरूरी होती है, क्योंकि उसी पर पूरी बिल्डिंग को खड़ा होना है. अक्सर ही देखा गया है कि बहुत से बिल्डर बिना मिट्टी की जांच कराए ही बिल्डिंग बना देते हैं. उन्हें तो यह भी पता नहीं होता कि उस मिट्टी पर कितनी मंजिला बिल्डिंग टिकेगी और कब तक टिकेगी. तो घर खरीदने से पहले मिट्टी की जांच की रिपोर्ट जरूर मांगें और उस रिपोर्ट की छानबीन भी करें.
फ्लैट लेने से पहले नियम जान लें
अगर आप दिल्ली में घर ले रहे हैं तो दिल्ली नगर नियम के क्षेत्रीय कार्यालय से पता कर लें कि वह घर वैध है या अवैध. अगर आप नोएडा में कोई घर खरीदना चाह रहे हैं तो प्राधिकरण के कार्यालय जाकर बिल्डिंग की जानकारी ली जा सकती है. बहुत सी जानकारियां इनकी वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती हैं. ऐसे में आप वेबसाइट पर जाकर भी छानबीन कर सकते हैं.
लोन देने वाले बैंकों की लिस्ट भी चेक कर लें
आप जिस इलाके में घर खरीदने की सोच रहे हैं, एक बार आपका वहां घर खरीदने के लिए लोन देने वाले बैंकों की लिस्ट भी चेक कर लेनी चाहिए, भले ही आप लोन ले रहे हों या ना ले रहे हों. दरअसल, बैंक किसी को होम लोन लेने से पहले बिल्डिंग की वैधता और बिल्डर की अच्छे से जांच-पड़ताल करने के बाद ही लोन देते हैं. ऐसे में, अगर वहां बैंक लोन देने से मना करते हैं तो आप उनसे कारण पूछ सकते हैं, जो आपकी रिसर्च को और आसान बना देगा. इससे आप भी आसानी ये फैसला कर सकेंगे कि आपको वहां घर लेना है या नहीं.
बेसमेंट और पानी निकासी पर ध्यान जरूर दें
अगर बिल्डर ने बेसमेंट भी बनाया है तो यह जरूर चेक कर दें कि वह वाटरप्रूफ है या नहीं. कहीं ऐसा तो नहीं कि बिल्डिंग के बेसमेंट में आसानी से सीलन आ जाएगी यानी बेसमेंट की दीवारें पानी से नुकसान हो सकता है. साथ ही, पानी निकासी की व्यवस्था को भी देख लें. भले ही आप ग्राउंड फ्लोर पर ना रहें और भले ही आपका बेसमेंट से कोई लेना-देना ना हो, तो भी यह जरूरी है कि आप पानी निकासी और बेसमेंट की अच्छे से जांच कर लें. ऐसी बिल्डिंग में कभी घर ना खरीदें जिसमें पानी निकासी की व्यवस्था ना हो या फिर जहां बेसमेंट में सेप्टिक टैंक बनाकर पानी जमा किया जाता हो और फिर उसे टैंकरों से निकाला जाता हो. ध्यान रखें, अगर बेसमेंट ही ढह जाएगा, तो ऊपर बनी बिल्डिंग भी धराशायी होगी ही. शाहबेरी की बिल्डिंग गिरने के पीछे सबसे वजह पानी ही है.
ये मौसम उजागर कर देता है छुपे राज
कोलकाता के सियालदाह में भी एक दो मंजिला इमारत गिर गई है, जिसमें दो लोग मारे गए हैं और दो गंभीर रूप से घायल है. बताया जा रहा है कि मलबे में और भी लोग हो सकते हैं. यह इमारत जर्जर थी और नगर निगम इसे खतरनाक भी घोषित कर चुका था. देर रात भारी बारिश की वजह से इमारत भरभराकर गिर पड़ी. ये मौसम जब भी आता है तो बहुत छुपे राज उजागर हो जाते हैं. कोलकाता की बिल्डिंग तो जर्जर थी, जो बाहर से दिख भी रही थी, लेकिन कई इमारतों की नींव कमजोर होती है जो बाहर से दिखाई नहीं देती. जब पानी नींव तक पहुंचता है तो कई मंजिला इमारत को भी समतल मैदान में बदल देता है.
पानी ने गिराई शाहबेरी गांव की बिल्डिंग
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के एजीएम केके शर्मा ने भी माना है कि पानी की वजह से ही शाहबेरी की इमारतों को सबसे अधिक नुकसान हुआ और वह गिर गईं. इस तरह की बिल्डिंग बिना नक्शा पास कराए बिना बनती हैं, इसलिए वहां अथॉरिटी की तरफ से सीवर लाइन की सुविधा नहीं होती है. ऐसे में अधिकतर बिल्डरों ने इमारतों के नीचे बेसमेंट में सेप्टिक टैंक बनवाया है. बिल्डिंग का पानी इसमें जमा होता रहता है और इसे हर 7 दिन पर या फिर 15 दिन पर टैंक लाकर खाली किया जाता है. इसमें से जरा सा भी पानी अगर रिसता है तो वह इमारत की नीव को कमजोर करेगा. साथ ही, इमारतों के आस-पास पानी निकासी के लिए नालियां भी नहीं है. ऐसे में जरा सी बारिश से भी जलभराव होने लगा. इन सबका नतीजा ये हुआ कि नींव कमजोर हो गई और इमारत झुकने लगी. बिल्डर ने इमारत बनवाने में घटिया सामान का इस्तेमाल किया था, इसलिए देखते ही देखती पूरी बिल्डिंग भरभराकर गिर पड़ी.
घर खरीदने से पहले अक्सर लोग रिसर्च करने को लोग समय की बर्बादी समझते हैं. ध्यान रहे, अगर आज घर लेने से पहले रिसर्च नहीं करेंगे तो आपकी जमा पूंजी तो खतरे में रहेगी ही, साथ ही आपकी और आपके परिवार वालों की जिंदगी पर भी हमेशा एक खतरा मंडराता रहेगा. एक मिडिल क्लास नौकरीपेशा अमूमन अपने पूरे जीवन में एक ही घर खरीद पाता है. कोई बहुत खुशकिस्मत हुआ तो दो घर खरीद लेगा, इससे ज्यादा नहीं. बावजूद इसके अगर आप घर खरीदने से पहले रिसर्च करने या प्राधिकरण और नगर निगम के दफ्तरों में जाने से बचना चाहते हैं तो याद रखें कि आप अपनी और अपने परिवार की जिंदगी को जोखिम में डाल रहे हैं.
ये भी पढ़ें-
ग्रेटर नोएडा में गिरी बिल्डिंग में 9 लोगों की मौत को 'हत्या' क्यों ना कहा जाए?
किसी लड़की को छू कर निकल जाना हर बार मजा नहीं देता
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.