कोरोना महामारी में दूसरी लहर की चपेट बहुत ज्यादा है. इसके पीछे कोरोना का लगातार अपडेट होना है जिसने उसका दायरा बढ़ा दिया है. और कहीं ना कहीं लोगों की लापरवाही, इंतजामों का बदतर होना भी बड़ी वजह है. पहले चरण में बेहद सख्त नियमों के साथ देशबंदी की वजह से महामारी की रफ़्तार को कम करने में मदद मिली थी. ये दूसरी बात है कि सबक खराब रहें और आर्थिक मोर्चे पर लगभग सभी को भारी नुकसान उठाने पड़े. दूसरी लहर में हालात बहुत खराब होने के बावजूद बहुत सारी रियायतें हैं. फैक्ट्रियों में काम करने और एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने जैसी सुविधा दी गई है. मुश्किल हालात में लोगों को खुद के रिस्क पर दूसरे शहरों-राज्यों में ट्रैवल करने की अनुमति भी है. सबसे बढ़िया तो यही रहेगा कि जो जहां है महीने-डेढ़ महीने वहीं रहे.
अगर ये संभव नहीं है और घर से बाहर निकलना मजबूरी है तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. कोरोना का संक्रमण किसी व्यक्ति को कैसे चपेट में लेता है इसकी जानकारी सभी को है. मास्क पहनना, ग्लब्ज पहनना, फेस कवर करना, साबुन से 10 सेकेंड तक हाथ धोना या हाथों पर सेनिटाइजर लगाना, भीड़भाड़ से बचना, कम से कम छह फीट की दूरी बनाए रखना, किसी को छूना या हाथ मिलाना संक्रमण से बचने के तरीके हैं.
लेकिन जब आप बस, रेल या लंबी दूरी की फ्लाइट लेते हैं तो सोशल डिस्टेशिंग गाइडलाइन के मुताबिक़ फ़ॉलो होती नहीं दिखती. कई बार आप बहुत सावधान रहते हैं मगर दूसरे लापरवाही दिखाते हैं. यह भी कि ट्रैवल के दौरान एक पैसेंजर का दूसरे पैसेंजर से निश्चित फासला नहीं बना रहता. ट्रैवल के वक्त ऐसी स्थिति में संक्रमण का खतरा उसकी दर के बहुत ज्यादा बढ़ने की आशंका बनी रहती है. यात्रा करना ही है तो आखिर ऐसा क्या करें कि यात्रा भी हो जाए और ना खुद संक्रमित हों ना संक्रमण का जरिया बनें. सर्दी, सूखी खांसी, बुखार या थकान की दिक्कत है तो किसी भी रूप में घर से बाहर निकलने से...
कोरोना महामारी में दूसरी लहर की चपेट बहुत ज्यादा है. इसके पीछे कोरोना का लगातार अपडेट होना है जिसने उसका दायरा बढ़ा दिया है. और कहीं ना कहीं लोगों की लापरवाही, इंतजामों का बदतर होना भी बड़ी वजह है. पहले चरण में बेहद सख्त नियमों के साथ देशबंदी की वजह से महामारी की रफ़्तार को कम करने में मदद मिली थी. ये दूसरी बात है कि सबक खराब रहें और आर्थिक मोर्चे पर लगभग सभी को भारी नुकसान उठाने पड़े. दूसरी लहर में हालात बहुत खराब होने के बावजूद बहुत सारी रियायतें हैं. फैक्ट्रियों में काम करने और एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने जैसी सुविधा दी गई है. मुश्किल हालात में लोगों को खुद के रिस्क पर दूसरे शहरों-राज्यों में ट्रैवल करने की अनुमति भी है. सबसे बढ़िया तो यही रहेगा कि जो जहां है महीने-डेढ़ महीने वहीं रहे.
अगर ये संभव नहीं है और घर से बाहर निकलना मजबूरी है तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. कोरोना का संक्रमण किसी व्यक्ति को कैसे चपेट में लेता है इसकी जानकारी सभी को है. मास्क पहनना, ग्लब्ज पहनना, फेस कवर करना, साबुन से 10 सेकेंड तक हाथ धोना या हाथों पर सेनिटाइजर लगाना, भीड़भाड़ से बचना, कम से कम छह फीट की दूरी बनाए रखना, किसी को छूना या हाथ मिलाना संक्रमण से बचने के तरीके हैं.
लेकिन जब आप बस, रेल या लंबी दूरी की फ्लाइट लेते हैं तो सोशल डिस्टेशिंग गाइडलाइन के मुताबिक़ फ़ॉलो होती नहीं दिखती. कई बार आप बहुत सावधान रहते हैं मगर दूसरे लापरवाही दिखाते हैं. यह भी कि ट्रैवल के दौरान एक पैसेंजर का दूसरे पैसेंजर से निश्चित फासला नहीं बना रहता. ट्रैवल के वक्त ऐसी स्थिति में संक्रमण का खतरा उसकी दर के बहुत ज्यादा बढ़ने की आशंका बनी रहती है. यात्रा करना ही है तो आखिर ऐसा क्या करें कि यात्रा भी हो जाए और ना खुद संक्रमित हों ना संक्रमण का जरिया बनें. सर्दी, सूखी खांसी, बुखार या थकान की दिक्कत है तो किसी भी रूप में घर से बाहर निकलने से परहेज करें और डॉक्टर की सलाह लें. ठीक हैं तो ही तैयारियों के साथ बाहर निकलें.
-ड्रेस ऐसा पहनें जो आपके पूरे शरीर को कवर करे.
-कॉटन या कपड़े की बजाय N95 मास्क का इस्तेमाल करें.
-सर्जिकल ग्लब्ज जरूर पहनें. किसी सतह पर कोरोना है तो उसको छूने के बाद संक्रमण से बचे रहेंगे.
-ध्यान रहे, घर से बाहर खासकर किसी भी सतह को छूने के बाद हाथों को सेनिटाइज करें. ग्लब्ज पहने हैं तो भी.
-शरीर के हिस्सों खासकर चेहरा, माथा, नाक, आँख और मुंह को छूने से पहले हाथों को सेनिटाइज जरूर करें.
-कोरोना के मद्देनजर विशेष चश्मे बाजार में उपलब्ध हैं. उन्हें लगाकर रहें. अगर ये संभव नहीं है तो आपके पास जो चश्मा उपलब्ध हो उसका इस्तेमाल जरूर करें.
-बाजार में सस्ते फेसशील्ड उपलब्ध हैं. यात्राओं में इनका इस्तेमाल करें. फ्लाइट में विमानन कंपनियां इसे उपलब्ध कराती हैं.
-सर्जिकल हेडकवर या साधारण कैप का इस्तेमाल करें.
-विश्व स्वस्थ्य संगठन या स्वास्थ्य मंत्रालय के मानकों पर बने सेनिटाइजर ही इस्तेमाल करें.
-भीड़भाड़ वाली जगहों पर ना रुकें, अगर रुकना पड़ ही रहा है तो मास्क और फेस कवर को हटाए नहीं.
-किसी के साथ खाने पीने की चीजें ना शेयर करें.
-जहां तक संभव हो सार्वजनिक जगहों पर खाने-पीने से बचें. ऐसा करना मजबूरी ही हो तो यह ध्यान रखें कि हाथ अच्छी तरह से सेनिटाइज हो और नजदीक के व्यक्ति से पर्याप्त दूरी बनी रहे.
-यात्रा के दौरान अपने आसपास के लोगों से भी गाइडलाइन फॉलो करने को कहें. लापरवाही करने वाले अगर नहीं मान रहें हों तो संबंधित कर्मचारियों जैसे शिकायत करें.
-बर्थ को सेनिटाइज करें और चादर का इस्तेमाल करें.
-सार्वजनिक जगहों पर थूकने जैसी गंदगी बिल्कुल ना करें.
-सोते वक्त भी चेहरा ढंके रहें. ध्यान रखें कि इससे सांस लेने में परेशानी ना हो.
-यात्रा के दौरान सार्वजनिक जगहों पर स्मोक करने से बचें.
-जब यात्रा ख़त्म करें और घर पहुंच जाए तो बच्चे, बुजुर्ग या बीमार सदस्य से दूर रहे.
-कपड़े, चश्मे और मास्क को साबुन में अच्छी तरह से धुले या सेनिटाइज करें.
-किसी तरह के लक्षण नहीं हैं तो भी खुद को एक सप्ताह तक आइसोलेट करें. आइसोलेट करना इसलिए भी जरूरी है कि लोगों में कोरोना के सिम्पटम और उनकी प्रकृति अलग-अलग दिख रही है.
-आइसोलेशन के दौरान शरीर में किसी भी तरह के बदलाव पर ध्यान देते रहें.
-किसी भी तरह का सशंकित सिम्पटम दिखे तो हेल्थ एक्सपर्ट्स से संपर्क करें.
यात्रा के दौरान अगर इन बातों का ख्याल रखा जाए तो संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा. कोरोना को हराने में मदद मिलेगी.
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