कोरोना महामारी के मौजूदा संकट में केंद्र सरकार ने पल्स ऑक्सीमीटर के इस्तेमाल को लेकर आठ बिन्दुओं में गाइडलाइन जारी की है. पल्स ऑक्सीमीटर एक डिजिटल डिवाइस है जो बिना खून खींचे ऑक्सीजन लेवल (ऑक्सीजन सेचुरेशन) का पता लगाता है. कोरोना संक्रमितों के ऑक्सीजन रीडिंग में ये बहुत काम आ रही है. सरकार ने सोशल प्लेटफॉर्म पर जारी स्टेप बाई स्टेप गाइडलाइन में बताया कि कैसे और किस तरह पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल करना है.
पल्स ऑक्सीमीटर का कैसे इस्तेमाल करें
स्टेप 1: पल्स ऑक्सीमीटर इस्तेमाल से पहले फिंगर में लगी नेल पोलिस निकाल दें. नाखून भी अच्छे से साफ कर लें. अगर हाथ ठंडे हैं तो उसे गर्म (रगड़कर) कर लें.
स्टेप 2: पल्स ऑक्सीमीटर इस्तेमाल करने से पहले कम से कम पांच मिनट आराम करना जरूरी है.
स्टेप 3: दिल की तरफ छाती पर हाथों को रखकर आराम दें. इसे होल्ड रखें.
स्टेप 4: ऑक्सीमीटर को ऑन करें और हाथ की मध्यमा या तर्जनी (middle or index finger) में लगाएं.
स्टेप 5: रीडिंग में समय लगता है और शुरुआत में उतार-चढ़ाव भी दिखता है. अगर रीडिंग स्टेबल नहीं है तो कम से कम एक मिनट या थोड़ा ज्यादा समय के लिए ऑक्सीमीटर को लगाए रखें.
स्टेप 6: उस हाइएस्ट रिजल्ट (रीडिंग) को रिकॉर्ड करें जो पांच सेकेंड तक ना बदले.
स्टेप 7: हर एक रीडिंग को सावधानीपूर्वक देखें.
स्टेप 8: रिकॉर्डिंग को बेसलाइन से शुरू करें और दिन में तीन बार एक निश्चित अंतराल पर रीडिंग लें. यदि खुद के हेल्थ में बदलाव महसूस करते हैं तो और मेजरमेंट करें.
हेल्थ खराब लगे तो 1075 पर कॉल करें
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय...
कोरोना महामारी के मौजूदा संकट में केंद्र सरकार ने पल्स ऑक्सीमीटर के इस्तेमाल को लेकर आठ बिन्दुओं में गाइडलाइन जारी की है. पल्स ऑक्सीमीटर एक डिजिटल डिवाइस है जो बिना खून खींचे ऑक्सीजन लेवल (ऑक्सीजन सेचुरेशन) का पता लगाता है. कोरोना संक्रमितों के ऑक्सीजन रीडिंग में ये बहुत काम आ रही है. सरकार ने सोशल प्लेटफॉर्म पर जारी स्टेप बाई स्टेप गाइडलाइन में बताया कि कैसे और किस तरह पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल करना है.
पल्स ऑक्सीमीटर का कैसे इस्तेमाल करें
स्टेप 1: पल्स ऑक्सीमीटर इस्तेमाल से पहले फिंगर में लगी नेल पोलिस निकाल दें. नाखून भी अच्छे से साफ कर लें. अगर हाथ ठंडे हैं तो उसे गर्म (रगड़कर) कर लें.
स्टेप 2: पल्स ऑक्सीमीटर इस्तेमाल करने से पहले कम से कम पांच मिनट आराम करना जरूरी है.
स्टेप 3: दिल की तरफ छाती पर हाथों को रखकर आराम दें. इसे होल्ड रखें.
स्टेप 4: ऑक्सीमीटर को ऑन करें और हाथ की मध्यमा या तर्जनी (middle or index finger) में लगाएं.
स्टेप 5: रीडिंग में समय लगता है और शुरुआत में उतार-चढ़ाव भी दिखता है. अगर रीडिंग स्टेबल नहीं है तो कम से कम एक मिनट या थोड़ा ज्यादा समय के लिए ऑक्सीमीटर को लगाए रखें.
स्टेप 6: उस हाइएस्ट रिजल्ट (रीडिंग) को रिकॉर्ड करें जो पांच सेकेंड तक ना बदले.
स्टेप 7: हर एक रीडिंग को सावधानीपूर्वक देखें.
स्टेप 8: रिकॉर्डिंग को बेसलाइन से शुरू करें और दिन में तीन बार एक निश्चित अंतराल पर रीडिंग लें. यदि खुद के हेल्थ में बदलाव महसूस करते हैं तो और मेजरमेंट करें.
हेल्थ खराब लगे तो 1075 पर कॉल करें
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नंबर साझा करते हुए यह भी सलाह दी है कि अगर तबियत गंभीर लगे तो तुरंत 1075 पर कॉल कर करें. आराम के दौरान सांस फूल रही है, सांस लेने में परेशानी हो रही है तो ऑक्सीजन लेवल 92% या उससे कम पर हो सकता है. ऐसी स्थिति में मेडिकल हेल्प के लिए तत्काल पहल करें.
एहतियात के लिए खरीद रहे पल्स ऑक्सीमीटर
पल्स ऑक्सीमीटर महामारी में काम आने वाली जरूरी डिवाइस है. जिन इलाकों में संक्रमण के मामले ज्यादा हैं, घर में बुजुर्ग हैं या पहले से ही सांस की बीमारी से पीड़ित लोग हैं- वहां एहतियात के तौर पर पल्स ऑक्सीमीटर खरीदकर रखा जा सकता है. अच्छे पल्स ऑक्सीमीटर बजट में मेडिकल शॉप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध हैं.
पल्स ऑक्सीमीटर के अलावा कई और उपकरण हैं जो संक्रमण से लड़ने और एहतियातन बचाव में काफी काम आ रहे हैं. ऐसे उपकरण की जानकारी नीचे लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं.
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कोरोना के मामले थम नहीं रहे
लगातार पांचवें दिन देश में कोरोना के मामले तीन लाख से ऊपर ही आ रहे हैं. पिछले 24 घंटे में (रविवार के अंत तक) 3.52 लाख नए मामले दर्ज किए गए हैं. ये दुनिया में अबतक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. पिछले 24 घंटे में देश के अलग-अलग हिस्सों में 2812 लोगों की मौतें हुई हैं. फिलहाल 28 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं. नए मामलों की तुलना में रिकवर होने वालों की संख्या काफी कम (2 लाख 19 हजार 272) है.
ऐसे हालात में क्या करना चाहिए?
स्वास्थ्य मंत्रालय और दूसरी जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा बताए सुरक्षा एहतियात फॉलो करना चाहिए. घबराने की जरूरत नहीं है. अपना बचाव करते रहे. अगर कोई लक्षण दिखे तो तत्काल मेडिकल हेल्प लें. ताकि सही समय पर रोग की पहचान, उसका इलाज और कोरोना की चेन तोड़ी जाए.
नीचे कुछ लिंक हैं, उन्हें पढ़ें और अपने सोशल ग्रुप में साझा करें :-
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.