पूर्व की सरकारों में अपनी चुप्पी और ढीले ढाले रवैये के लिए बदनाम उत्तर प्रदेश पुलिस अपने "गुड वर्क" के कारण इन दिनों चर्चा में है. यूपी पुलिस के चर्चा में आने का कारण उसके द्वारा किये जा रहे एनकाउंटर हैं. 18 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की जनता को आश्वस्त किया था कि प्रदेश में अपराधियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इसी प्रण का नतीजा है कि चाहे राजधानी लखनऊ से लेकर गोरखपुर और सहारनपुर से लेकर मेरठ तक चारों तरफ एनकाउंटर्स का सिलसिला जारी है.
पुलिस आए दिन कार्यवाही कर रही है और इनामी बदमाशों को ढेर कर मुख्यमंत्री के अपराध मुक्त समाज का प्रण पूरा कर रही है. बात अगर 18 मार्च 2017 से अब तक हुए एनकाउंटर्स की हो तो यूपी पुलिस से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पुलिस ने अब तक कुल 1167 एनकाउंटर कर 36 बदमाशों को ठिकाने लगाया है. बात अगर 20 मार्च 2017 से 31 जनवरी 2018 तक की हो तो इस अवधि में पुलिस ने 1142 एनकाउंटर किये हैं और 1 फरवरी से 5 फरवरी के बीच 25 एनकाउंटर हुए हैं.
उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर का दौर जारी है. बदमाशों पर कार्यवाही के तहत पुलिस की गोलियां चल रही हैं, इनामी बदमाशों को मारा और घायल किया जा रहा है, उनके असले, कारतूस वाहन जैसी चीजों को जब्त किया जरा है. इन सब बातों को अगर ध्यान से देखें तो मिल रहा है कि पूरी प्रक्रिया ठीक है और सब चुस्त दुरुस्त है.
अब उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किये जा रहे इन एनकाउंटर्स का दूसरा पक्ष देखिये जहां पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था सुधारने और अपराध पर जीरो टॉलरेंस नीति के नाम पर पुलिस द्वारा व्यक्तिगत...
पूर्व की सरकारों में अपनी चुप्पी और ढीले ढाले रवैये के लिए बदनाम उत्तर प्रदेश पुलिस अपने "गुड वर्क" के कारण इन दिनों चर्चा में है. यूपी पुलिस के चर्चा में आने का कारण उसके द्वारा किये जा रहे एनकाउंटर हैं. 18 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की जनता को आश्वस्त किया था कि प्रदेश में अपराधियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इसी प्रण का नतीजा है कि चाहे राजधानी लखनऊ से लेकर गोरखपुर और सहारनपुर से लेकर मेरठ तक चारों तरफ एनकाउंटर्स का सिलसिला जारी है.
पुलिस आए दिन कार्यवाही कर रही है और इनामी बदमाशों को ढेर कर मुख्यमंत्री के अपराध मुक्त समाज का प्रण पूरा कर रही है. बात अगर 18 मार्च 2017 से अब तक हुए एनकाउंटर्स की हो तो यूपी पुलिस से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पुलिस ने अब तक कुल 1167 एनकाउंटर कर 36 बदमाशों को ठिकाने लगाया है. बात अगर 20 मार्च 2017 से 31 जनवरी 2018 तक की हो तो इस अवधि में पुलिस ने 1142 एनकाउंटर किये हैं और 1 फरवरी से 5 फरवरी के बीच 25 एनकाउंटर हुए हैं.
उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर का दौर जारी है. बदमाशों पर कार्यवाही के तहत पुलिस की गोलियां चल रही हैं, इनामी बदमाशों को मारा और घायल किया जा रहा है, उनके असले, कारतूस वाहन जैसी चीजों को जब्त किया जरा है. इन सब बातों को अगर ध्यान से देखें तो मिल रहा है कि पूरी प्रक्रिया ठीक है और सब चुस्त दुरुस्त है.
अब उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किये जा रहे इन एनकाउंटर्स का दूसरा पक्ष देखिये जहां पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था सुधारने और अपराध पर जीरो टॉलरेंस नीति के नाम पर पुलिस द्वारा व्यक्तिगत रंजिशें भी निकाली जा रही हैं. जी हां, हो सकता है ये बात आपको विचलित कर दे मगर बीते दिन नॉएडा में जो हुआ उसको देखकर शायद ये कहना गलत नहीं है कि उत्तर प्रदेश पुलिस अब आलाकमान और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अच्छा बनने और तरक्की हासिल करने के लिए अमानवीय रवैया अपना रही है.
ध्यान रहे कि दिल्ली से सटे नोएडा में एक दारोगा की हरकत से खाकी उस वक़्त शर्मसार हुई जब उसने मामूली विवाद में दो युवकों को गोली मार दी और घटना को एनकाउंटर का रंग देने की कोशिश की. घटना बीते दिन की है और आरोपी दरोगा का नाम विजय दर्शन बताया जा रहा है. आपको बताते चलें कि विभाग में बतौर सब इंस्पेक्टर विजय दर्शन के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
ज्ञात हो कि नॉएडा में हुए इस कथित "एनकाउंटर" की सबसे खास बात ये थी कि, पहले तो यहां आरोपी दरोगा और उसके साथियों द्वारा "आउट ऑफ टर्न प्रमोशन" पाने के लिए जिम ट्रेनर और उसके एक साथी को गोली मारी गयी.फिर वायरलेस के बजाए निजी मोबाइल से कॉल कर आला अधिकारीयों को ये बताया गया कि "पुलिस द्वारा बदमाशों का एनकाउंटर" किया गया है. इस मामले में पीड़ित लड़के के परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ आरोपी एसआई के खिलाफ FIR लिखी गयी बल्कि उसकी सरकारी पिस्टल को कब्जे में लेकर उसे जेल भेज दिया गया. बताया जा रहा है कि आरोपी लड़का और पीड़ित एक दूसरे को जानते थे और उनका किसी बात को लेकर विवाद चल रहा था.
नॉएडा में हुई इस घटना के बाद एक बात तो साफ है कि कहीं न कहीं प्रदेश में पुलिस कानून व्यवस्था बराबर करने और "गुड वर्क" के नाम पर बदमाशों के अलावा आम आदमियों को भी मार रही है और उन्हें गिरफ्तार कर अपना बदला पूरा कर रही है. खैर इस घटना के बाद कुछ सवाल दिमाग में आने स्वाभाविक हैं. आइये एक नजर डालते हैं उन सवालों पर.
क्या वाकई अपराध पर नियंत्रण के लिए गंभीर है यूपी पुलिस
पिछले 11 महीनों में हुए एनकाउंटर्स को देख कर पहली नजर में लगता है कि पुलिस ऐसा प्रदेश को अपराध मुक्त करने के लिए कर रही है. मगर जब इन एनकाउंटर्स के बाद, हम बीते दिन नॉएडा में हुए एनकाउंटर को देखें और उसे संज्ञान में लें तो मिलता है कि कहीं न कहीं पुलिस अपने पद का दुरूपयोग भी करती नजर आ रही है और पुलिस के इस सफाए में निर्दोषों और सभ्य नागरिकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
क्या इन एनकाउंटर्स के जरिये राज्य सरकार अपनी नाकामियां छुपा रही है ?
पहली नजर में ये सवाल प्रदेशवासियों के अलावा किसी भी आम नागरिक को विचलित कर सकता है. जब इस सवाल की गहराई में जाएंगे तो मिलेगा कि ऐसा नहीं है कि इन कार्यवाहियों के बाद प्रदेश अपराध मुक्त बन ही गया है. चाहे 26 जनवरी को कासगंज में हुई चंदन गुप्ता की हत्या हो या फिर बीते दिन बरेली के थाने में पुलिस वालों पर की गयी हाथापाई. आये दिन प्रदेश में कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है जिसको देखकर मिल रहा है कि कहीं न कहीं आज भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन के दावे झूठे ही साबित होते नजर आ रहे हैं और इन एनकाउंटर्स पर आम जनता का ध्यान आकर्षित कराते हुए प्रदेश सरकार अपनी बड़ी नाकामियां छुपाने का काम कर रही है.
क्या मुंबई पुलिस को अपना आइडल मान चुकी है यूपी पुलिस
करीब 11 महीनों में 1167 एनकाउंटर और उनमें उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा 36 इनामी बदमाशों को ढेर करना कहीं न कहीं इस बात की तरफ भी संकेत करता नजर आ रहा है कि यूपी पुलिस, मुंबई पुलिस को अपना आइडल तो बहुत पहले मान चुकी हैं मगर अब उसका उद्देश्य उससे भी दो हाथ आगे निकलना है. ध्यान रहे कि 90 के दशक में मुंबई अंडर वर्ल्ड से बुरी तरह प्रभावित थी और जिस तरह मुंबई पुलिस द्वारा एक-एक कर वांटेड और मोस्ट वांटेड गैंग्सटर्स का सफाया किया गया वो अपने आप में काबिल ए तारीफ था. उत्तर प्रदेश पुलिस की मौजूदा कार्यप्रणाली को देखकर ये कहना गलत न होगा कि प्रदेश में भी पुलिस इसी फंडे पर काम कर रही है और लगातार बदमाशों को या तो ढेर कर रही है या फिर सलाखों के पीछे करती नजर आ रही है.
क्या इन एनकाउंटर्स को देखकर अपराधियों से पुलिस से खौफ़ खाना शुरू कर दिया है
हालांकि ये एक पेचीदा सवाल है मगर इसका जवाब बेहद आसान है. कानून व्यवस्था के नाम पर प्रदेश में पुलिस कार्यवाही तो कर रही है मगर इसका प्रदेश में सक्रिय अपराधियों पर कोई खास प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा है. प्रदेश में आज भी अपराध का ग्राफ वहीं पर टिका है जहां वो पूर्व में हुआ करता था.
बहरहाल, इन एनकाउंटर्स को देखकर एक बात तो शीशे की तरह साफ है कि पुलिस और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुशासन के लाख दावे कर लें मगर जो पुलिस द्वारा नॉएडा में किया गया उसने खाकी की मर्यादा पर काला धब्बा लगाया है और उसे शर्मसार किया है. कहा ये भी जा सकता है कि पूर्व के एनकाउंटर्स से आम जनता के बीच पुलिस ने अपनी जो भी छवि बनाई थी इस खबर ने केवल और केवल उस पर सियाही पोतने का काम किया है.
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