अमरोहा का मोहम्मद अनवर सिर्फ अपनी पत्नी का हत्यारा नहीं है. वो पुरुषों की एक ऐसी जमात का चेहरा है, जो पत्नी के जिस्म को सेक्स टॉय समझते हैं. एक ऐसा खिलौना, जिससे सेक्स के नाम पर जब चाहे तब खेला जा सकता है. और इस खेल में उस खिलौने की मर्जी नहीं चलती. जब कोई महिला इस खिलौने से बर्ताव न करके अपनी मर्जी व्यक्त करना चाहे तो मोहम्मद अनवर जैसे उसकी जान भी ले सकते हैं.
हुआ यूं कि उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक पति ने अपनी पत्नी को रात में दोबारा सेक्स करने के लिए कहा, पत्नी ने इनकार कर दिया. इसके बाद उसे गुस्सा आ गया. उसने रस्सी से पत्नी का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी. इसके बाद उसने शव को बोरे में भरकर घर से दूर ले जाकर फेक दिया. उनके तीन बच्चे हैं. पति ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है.
महिला नींद में सो रही थी. पति ने जगाया. बोला सेक्स करना है. वह पहली बार मान गई मगर दूसरी बार तैयार नहीं हई. सोचिए, अगर पत्नी उसे ऑर्गेज्म के 15 मिनट बाद ही सेक्स करने को बोलती तो क्या वह तैयार हो जाता? नहीं, क्योंकि उसका शरीर उसका साथ नहीं देता. वह टर्न ऑन नहीं हो पाता. वह पुरुष होकर दिन में कितनी बार सेक्स कर सकता है, आखिर उसकी एक सीमा होगी. एक समय बाद तो वह भी चित पड़ जाएगा. उसकी सेक्स करने की इच्छा खत्म हो जाएगी. तो फिर वह महिला को दोबारा सेक्स करने के लिए मजबूर कैसे कर सकता है?
पुरुषों को शायद लगता है कि शादी के महिला के शरीर पर उनका अधिकार हो जाता है. वे जब चाहें उसके जिस्म से खेल सकते हैं. पत्नी के मर्जी उनके लिए मायने नहीं रखती है. उन्हें सिर्फ खुद को संतुष्ट करना रहता है. वे चाहते हैं कि महिलाएं...
अमरोहा का मोहम्मद अनवर सिर्फ अपनी पत्नी का हत्यारा नहीं है. वो पुरुषों की एक ऐसी जमात का चेहरा है, जो पत्नी के जिस्म को सेक्स टॉय समझते हैं. एक ऐसा खिलौना, जिससे सेक्स के नाम पर जब चाहे तब खेला जा सकता है. और इस खेल में उस खिलौने की मर्जी नहीं चलती. जब कोई महिला इस खिलौने से बर्ताव न करके अपनी मर्जी व्यक्त करना चाहे तो मोहम्मद अनवर जैसे उसकी जान भी ले सकते हैं.
हुआ यूं कि उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक पति ने अपनी पत्नी को रात में दोबारा सेक्स करने के लिए कहा, पत्नी ने इनकार कर दिया. इसके बाद उसे गुस्सा आ गया. उसने रस्सी से पत्नी का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी. इसके बाद उसने शव को बोरे में भरकर घर से दूर ले जाकर फेक दिया. उनके तीन बच्चे हैं. पति ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है.
महिला नींद में सो रही थी. पति ने जगाया. बोला सेक्स करना है. वह पहली बार मान गई मगर दूसरी बार तैयार नहीं हई. सोचिए, अगर पत्नी उसे ऑर्गेज्म के 15 मिनट बाद ही सेक्स करने को बोलती तो क्या वह तैयार हो जाता? नहीं, क्योंकि उसका शरीर उसका साथ नहीं देता. वह टर्न ऑन नहीं हो पाता. वह पुरुष होकर दिन में कितनी बार सेक्स कर सकता है, आखिर उसकी एक सीमा होगी. एक समय बाद तो वह भी चित पड़ जाएगा. उसकी सेक्स करने की इच्छा खत्म हो जाएगी. तो फिर वह महिला को दोबारा सेक्स करने के लिए मजबूर कैसे कर सकता है?
पुरुषों को शायद लगता है कि शादी के महिला के शरीर पर उनका अधिकार हो जाता है. वे जब चाहें उसके जिस्म से खेल सकते हैं. पत्नी के मर्जी उनके लिए मायने नहीं रखती है. उन्हें सिर्फ खुद को संतुष्ट करना रहता है. वे चाहते हैं कि महिलाएं उन्हें रिझाएं, उनका मूड बनाए...क्या कभी वे अपनी पत्नी से पूछते हैं कि सेक्स को लेकर उसकी राय क्या है? महिलाएं ना-ना करती रहती हैं औऱ पति उनके ऊपर हावी हो जाते हैं.
ऐसा नहीं है कि महिलाएं सेक्स विरोधी हैं या फिर वे सेक्स नहीं करना चाहती हैं. उनकी भी इच्छा होती है. मगर वे खुलकर अपनी इच्छाओं के बारे में बता नहीं पाती हैं. अगर उन्हें पति प्यार से छुए तो वे खिल जाती हैं मगर अगर कोई उनकी मर्जी के खिलाफ छुए तो वे मुरझा जाती हैं. कई महिलाओं को तो पता ही नहीं है कि ऑर्गेज्म होता क्या है? उनके लिए हमबिस्तर होने का मतलब सिर्फ पति को खुश करना है. सेक्स कई बार खुशी देता मगर जब बात बिगड़ जाए तो यह नफरत में तब्दील हो जाती है.
हो सकता है कि यह सेक्स का ऐसा पहला मामला आया हो जहां बात कत्ल करने तक पहुंच गई हो. मगर यह दूसरों लोंगों को हत्या के लिए उकसा जरूर सकता है. महिलाओं के साथ सेक्स को लेकर कई तरह की परेशानियां जुड़ी हुई हैं. इस महिला की मौत हो गई तो बात सामने आ गई, हालांकि ऐसी कई महिलाएं हैं जो सेक्स के नाम पर बंद कमरों में टॉर्चर होती हैं. मगर उनकी हालात किसी के सामने नहीं आ पाती हैं. वह अंदर ही अंदर घुटते रहती हैं. वे हर रोज बिस्तर पर मरती हैं.
कई महिलाओं को तो इसी कारण अपने पति से नफरत हो जाती है. अगर वे अपनी मां या बहन से कुछ कहती भी हैं तो जवाब होता है कि वह तुम्हारा सौहर है, तुम पर उसका अधिकार है, यह सब तो तुम्हें सहना ही पड़ेगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.