नोएडा में पत्नी ने खाना बनाने में देरी की तो पति ने उसे तवे से पीट-पीटकर मार डाला. अब तो पत्नी मर गई अब मिल जाएगा पति को गरमा गरम खाना. अब हर रोज वह टाइम से अपने मन पंसद का खाना खाएगा. पत्नी ने गलती की थी इसलिए उसे सजा तो मिलनी थी. अब पत्नी को दंडित करने का अधिकार तो पुरुष को ही है. यह अलग बात है कि यह अधिकार उसे किसी और ने नहीं उसने खुद को ही दिया है. पति को पत्नी पर जब गुस्सा आता है तो उसके मुंह से तुरंत गाली निकलती है. पति ऐसे तो जताता है कि पत्नी से बहुत प्यार करता है मगर उसकी जरा सी गलती पर वह आपा खो कर पत्नी के लिए अपशब्द कहता है.
पुरुषों की सोच है कि पत्नी को तब तक मारना चाहिए जब तक वह एकदम परफेक्ट न बन जाए. इनके हिसाब से पत्नी को हर रोज कूटकर इस हद तक परिपूर्ण बना देना चाहिए कि वह पति के बिना कुछ कहे ही उसके मन की सारी बातें समझ जाए. वह पति की सारी जरूरतों को अपने आप समझ जाए औऱ उसके सामने सारी चीजें लेकर चुपचाप खड़ी रहे.
पत्नी इसलिए तो होती है, ताकि पति अपना गुस्सा उस पर उतार सके. उसे जब चाहे लताड़ सके. कुछ पतियों की नजरों में पत्नी की औकात पैरों की जूती ही तो है, जिसे हमेशा पैरों के तलवे में ही रखना चाहिए. वह पत्नी को कभी अपने माथे का तिलक नहीं बनाना चाहता...जूती की क्या औकात है? जरूरत पड़ने पर उसे बदला भी जा सकता है मगर तिलक को तो माथे पर सजाना पड़ता है...इसलिए पत्नी जूती ही रहेगी.
वैसे बिहार की रहने वाली 32 साल की खुशबू देवी के साथ अच्छा ही हुआ. कम से कम वह हर रोज के दम घुटकर मरने से तो बच गई. एक ही दिन में खुशबू को पति की मार से राहत मिल गई वरना वह रोज...
नोएडा में पत्नी ने खाना बनाने में देरी की तो पति ने उसे तवे से पीट-पीटकर मार डाला. अब तो पत्नी मर गई अब मिल जाएगा पति को गरमा गरम खाना. अब हर रोज वह टाइम से अपने मन पंसद का खाना खाएगा. पत्नी ने गलती की थी इसलिए उसे सजा तो मिलनी थी. अब पत्नी को दंडित करने का अधिकार तो पुरुष को ही है. यह अलग बात है कि यह अधिकार उसे किसी और ने नहीं उसने खुद को ही दिया है. पति को पत्नी पर जब गुस्सा आता है तो उसके मुंह से तुरंत गाली निकलती है. पति ऐसे तो जताता है कि पत्नी से बहुत प्यार करता है मगर उसकी जरा सी गलती पर वह आपा खो कर पत्नी के लिए अपशब्द कहता है.
पुरुषों की सोच है कि पत्नी को तब तक मारना चाहिए जब तक वह एकदम परफेक्ट न बन जाए. इनके हिसाब से पत्नी को हर रोज कूटकर इस हद तक परिपूर्ण बना देना चाहिए कि वह पति के बिना कुछ कहे ही उसके मन की सारी बातें समझ जाए. वह पति की सारी जरूरतों को अपने आप समझ जाए औऱ उसके सामने सारी चीजें लेकर चुपचाप खड़ी रहे.
पत्नी इसलिए तो होती है, ताकि पति अपना गुस्सा उस पर उतार सके. उसे जब चाहे लताड़ सके. कुछ पतियों की नजरों में पत्नी की औकात पैरों की जूती ही तो है, जिसे हमेशा पैरों के तलवे में ही रखना चाहिए. वह पत्नी को कभी अपने माथे का तिलक नहीं बनाना चाहता...जूती की क्या औकात है? जरूरत पड़ने पर उसे बदला भी जा सकता है मगर तिलक को तो माथे पर सजाना पड़ता है...इसलिए पत्नी जूती ही रहेगी.
वैसे बिहार की रहने वाली 32 साल की खुशबू देवी के साथ अच्छा ही हुआ. कम से कम वह हर रोज के दम घुटकर मरने से तो बच गई. एक ही दिन में खुशबू को पति की मार से राहत मिल गई वरना वह रोज पिटती रहती. इसके बायोडाटा पर तो लिखा ही दिया गया था कि ये खाना देरी से बनाती है. यह लेट तकलीफ है.
अब सवाल यह है कि कि क्या पुरुष इसलिए शादी करता है ताकि उसे खाना बनाने वाली, घर संभालने वाली मिल जाए? क्या वह किसी लड़की से सिर्फ इसलिए शादी करता है ताकि उसे सेवा करने वाली पत्नी मिल जाए? तभी तो खाना बनाना और परोसना सिर्फ पत्नियों के हिस्से आता है. क्या एक महिला की पहचान सिर्फ पाककला में निपुण होना है?
अभी कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि महिला ने ठंडी सब्जी परोसी तो पति ने उसे तीन तलाक दे दिया. सोचिए अब तालकशुदा का ठप्पा लेकर वह महिला कहां जाएगी? ऊपस से उसके बायोडाटा पर लिखा दिया है कि यह ठंडा खाना खिलाती है. अब यह महिला दर-दर भटकने को मजबूर है. इसलिए कह रहे हैं कि अच्छा हुआ खुशबू एक ही बार में चली गई...
दरअसल, 37 साल का अनुज कुमार ऑटो रिक्शा चलाता है. उसे समय से खाना नहीं मिला तो उसने गुस्से में पत्नी के ऊपर तवे से वार कर दिया. उसकी एक बेटी है जो बिहार में रहती है और बेटा घटना के वक्त स्कूल में था. पुलिस ने अपने बयान में बताया है कि पत्नी फर्श पर गिरी थी. वहां खून धब्बे थे. ऐसा पहली बार नहीं है कि जब पति ने पत्नी को सजा दी है. कभी बिरयानी ना बनाने पर तो कभी मैगी बनाने पर तो कभी शराब के लिए पैसे न देने पर तो कभी खाना नहीं परोसने पर पत्नी के साथ पतियों ने अन्याय किया है.
ऐसे पुरुषों को लगता है कि पत्नी की जिंदगी पर पूरी तरह पति का हक है. तभी तो अगर पत्नी कहीं बिना बताए बाहर चली जाए तो तो उसे फोन कर डांट लगाते हैं. पत्नी देर घर से आए तो उसपर आग बबूला होते हैं. पत्नी अगर अपने लिए कुछ खरीद ले तो भी उस पर चिल्ला देते हैं. पत्नी अगर बीच में कुछ बोल दे तो भी उसे फटकारते हैं. पत्नी ने अगर कपड़े नहीं धोए तो उसके मायके फोन मिलाकर शिकायत करते हैं...इतना ही नहीं अगर पति का मूड खराब है तो भी अपनी खींज अपना गुस्सा पत्नी पर ही उतारना है.
कुल मिलाकर पत्नी नहीं मंदिर की घंटी हो गई कि जब जी चाहे उसे बजा दो. अगर जिंदगी जीना इतना नरक है तो अच्छा हुआ कि खुशबू अब इस दुनिया में नहीं है...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.