भारतीय सेना के बारे में सोचकर ही गर्व होता है कि कैसे हमारे देश के सिपाही अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा कर रहे हैं. नेवी, आर्मी और एयरफोर्स तीनों सेनाएं हर मुश्किल से हमें बचाने के लिए खड़ी रहती हैं. पर उस सेना के साथ क्या पूरा देश खड़ा है? हाल ही में दो एयरफोर्स पायलट Mirage 2000 TI एयरक्राफ्ट हादसे में अपनी जान गंवा बैठे. ये शहीद सिपाही थे सिद्धार्थ नेगी और समीर अब्रोल. दोनों ही सिपाही एयरक्राफ्ट से बाहर आ गए थे, लेकिन शरीर पर लगी चोट के कारण बच न सके. सिद्धार्थ नेगी की मौके पर ही मौत हो गई थी और समीर अब्रोल अस्पताल में मारे गए.
कहने को ये एक और हादसा था, लेकिन उन परिवारों के लिए ये दुख का पहाड़ था जिनके अपने उनसे छिन गए. समीर अब्रोल के भाई और उनकी पत्नी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखे जो ये पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों सिस्टम इतनी आसानी से अपने शहीदों को भूल जाता है. दोनों ही पोस्ट में सिस्टम की गलती बताई गई है. कैसे सही अपडेट मशीनरी नहीं दी जाती हमारे शहीदों को, कैसे उनके साथ नाइंसाफी होती है, कैसे उनकी मौत सिर्फ एक हादसा बनकर ही रह जाती है.
गरिमा अब्रोल पूछ रही हैं कि आखिर उनके पति के साथ ऐसा क्यों हुआ, कैसे उनके पति की मौत एक हादसा बनकर रह गई, लेकिन कोई भी उनके सवालों का जवाब देने को तैयार नहीं है.
समीर अब्रोल के भाई सुशांत अब्रोल ने भी इसी तरह की एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि उन्हें जवाब चाहिए. 'इस समय हमें वोट की नहीं बल्कि शहीद पायलटों की चिंता करनी चाहिए.'
इसी बात पर गरिमा अब्रोल ने एक कविता भी शेयर की थी.
ये कोई पहली बार नहीं जब भारतीय एयरफोर्स के किसी प्लेन के क्रैश होने के...
भारतीय सेना के बारे में सोचकर ही गर्व होता है कि कैसे हमारे देश के सिपाही अपनी जान पर खेलकर देश की रक्षा कर रहे हैं. नेवी, आर्मी और एयरफोर्स तीनों सेनाएं हर मुश्किल से हमें बचाने के लिए खड़ी रहती हैं. पर उस सेना के साथ क्या पूरा देश खड़ा है? हाल ही में दो एयरफोर्स पायलट Mirage 2000 TI एयरक्राफ्ट हादसे में अपनी जान गंवा बैठे. ये शहीद सिपाही थे सिद्धार्थ नेगी और समीर अब्रोल. दोनों ही सिपाही एयरक्राफ्ट से बाहर आ गए थे, लेकिन शरीर पर लगी चोट के कारण बच न सके. सिद्धार्थ नेगी की मौके पर ही मौत हो गई थी और समीर अब्रोल अस्पताल में मारे गए.
कहने को ये एक और हादसा था, लेकिन उन परिवारों के लिए ये दुख का पहाड़ था जिनके अपने उनसे छिन गए. समीर अब्रोल के भाई और उनकी पत्नी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखे जो ये पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों सिस्टम इतनी आसानी से अपने शहीदों को भूल जाता है. दोनों ही पोस्ट में सिस्टम की गलती बताई गई है. कैसे सही अपडेट मशीनरी नहीं दी जाती हमारे शहीदों को, कैसे उनके साथ नाइंसाफी होती है, कैसे उनकी मौत सिर्फ एक हादसा बनकर ही रह जाती है.
गरिमा अब्रोल पूछ रही हैं कि आखिर उनके पति के साथ ऐसा क्यों हुआ, कैसे उनके पति की मौत एक हादसा बनकर रह गई, लेकिन कोई भी उनके सवालों का जवाब देने को तैयार नहीं है.
समीर अब्रोल के भाई सुशांत अब्रोल ने भी इसी तरह की एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि उन्हें जवाब चाहिए. 'इस समय हमें वोट की नहीं बल्कि शहीद पायलटों की चिंता करनी चाहिए.'
इसी बात पर गरिमा अब्रोल ने एक कविता भी शेयर की थी.
ये कोई पहली बार नहीं जब भारतीय एयरफोर्स के किसी प्लेन के क्रैश होने के कारण किसी पायलट की जान गई हो.
क्यों उड़ते ताबूत की तरह ही हैं ये फाइटर प्लेन?
पिछले साल राज्य सभा में इंडियन एयरफोर्स के प्लेन क्रैश की डिटेल्स दी गई. 2013-14 से 2018 तक में 31 क्रैश हो चुके हैं. जिस समय ये स्पीच दी जा रही थी उसके एक दिन बाद ही IAF का एक सुखोई एयरक्राफ्ट रूटीन ट्रेनिंग के दौरान राजस्थान की बार्मर ड्रिस्ट्रिक्ट में क्रैश हो गया था. ये दिन था 14 जुलाई 2018. इसी दिन एयरफोर्स का चेतक हेलिकॉप्टर लगभग क्रैश से बच गया था जिसे इमर्जेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी.
जहां तक सिर्फ मिराज का सवाल है तो 1986 से इस एयरक्राफ्ट को भारत में इस्तेमाल किया जा रहा है और शुरुआती 10 सालों में ही इस विमान के कई बार क्रैश होने और मेंटेनेंस की समस्याओं का सामना करने की बात सामने आ गई थी.
इसके अलावा, अगर MIG विमानों की बात करें तो ये विमान उड़ते ताबूत ही कहे जाते हैं. 1993 से 2012 तक 250 सैनिक इन विमानों में शहीद हो चुके हैं.
सुखोई, चेतक, मिराज, मिग सभी विमानों के साथ यही हुआ है और इनके क्रैश होने के पीछे कारण भी बहुत होते हैं.
आखिर क्यों इतनी आसानी से क्रैश हो जाते हैं फाइटर प्लेन-
यूनिवर्सिटी ऑफ लेस्टर (Leicester) के सिविल सेफ्टी एंड सिक्योरिटी यूनिट डायरेक्टर साइमन एश्ली बेनेट का कहना है कि किसी एयरक्राफ्ट के क्रैश होने के पांच अहम कारण होते हैं.
- पायलट की गलती जो 50% मामलों में होती है.
- खराब मशीन जो 20-30% मामलों में क्रैश का कारण बनती है.
- खराब मौसम जिसकी उम्मीद 10% ही होती है.
- किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा प्लेन क्रैश करना इसमें आतंकी हमलों से लेकर किसी बाहरी व्यक्ति की गलती तक सब शामिल है ये 10% होती है.
- अन्य कारण भी किसी न किसी तरह की मानव गलती जैसे एयरट्रैफिक कंट्रोलर, डिस्पैचर, लोडर या फ्यूल मेंटेनेंस इंजीनियर आदि की गलती होती है.
अब एयरफोर्स के मामले में इसे देखते हैं.
1. पायलट की गलती?
फाइटर प्लेन जैसे मिग 21 आदि को 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर लैंड करना होता है. जी हां, इतनी तेज़ रफ्तार पर प्लेन उतारने के लिए पायलट को बहुत ट्रेनिंग की जरूरत होती है. मिग 21 विमानों के क्रैश के वक्त कई पायलट नए थे और ऐसे में ये उम्मीद की जा सकती है कि ये कारण अहम रहा होगा. अधिकतर विमान ट्रेनिंग के दौरान क्रैश हुए हैं. पर इसका मतलब ये नहीं कि पूरी तरह से पायलट की गलती हो. कुछ एक किस्सों को छोड़ दिया जाए तो अन्य फाइटर प्लेन पायलट लगभग दो साल की ट्रेनिंग के बाद ही फील्ड पर जाते हैं इसलिए पूरी तरह से यहां दोष फाइटर प्लेन पायलट को नहीं दिया जा सकता.
2. खराब मशीनरी हो सकती है बड़ा कारण-
ये एक बहुत बड़ा कारण खराब और पुरानी मशीन भी है. 1960, 1980 के दशक के विमान हमारी सेना अभी भी इस्तेमाल कर रही है. राफेल विमानों के आने की गुंजाइश अभी भी अधर में लटकी हुई है और काम बहुत धीमे चल रहा है. तेजस को नया विमान कहा जा सकता है, लेकिन उसकी संख्या अभी कम है. मिग, सुखोई और मिराज विमान पुराने हो गए हैं और उनके स्पेयर पार्ट्स और मेंटेनेंस के मामले में दिक्कत आती है. अगर मिग की बात करें जो IAF का सबसे बदनाम विमान है तो इस विमान के स्पेयर पार्ट्स सोवियत यूनियन से मंगवाए जाते थे. जब यूनियन खत्म हुई तो इनका प्रोडक्शन 60% गिर गया और 1993 के बाद से शुरू हुआ मिग विमानों के क्रैश होने का सिलसिला.
इसी तरह बाकी विमानों के बारे में भी कहा जा सकता है. ऊपर स्क्वाड्रेंट लीडर समीर अब्रोल के मामले में भी यही कह सकते हैं कि उनके सही सलामत प्लेन से बाहर आने के बाद पैराशूट में आग लग गई और उस वजह से उनकी मौत हुई. क्या इसे मानव की गलती माना जाएगा या मशीन की?
3. मौसम और बाहरी हमले बहुत कम जिम्मेदार-
जहां तक एयरफोर्स का सवाल है तो यकीनन उनके प्लेन और हेलिकॉप्टर लगातार दुश्मन की नजर के सामने रहते हैं, लेकिन ऐसा कहना कि ये अधिकत क्रैश के लिए जिम्मेदार हैं ये सही नहीं है.
4. मानव गलती-
ये मुमकिन है कि मानव गलती कई क्रैश का कारण हो, लेकिन जहां तक IAF के प्लेन की बात है तो यकीनन ऐसा कहना कि बिना चेक किए प्लेन को उड़ान भरने की इजाजत मिल जाती है ये शायद सही नहीं होगा.
कुल मिलाकर प्लेन क्रैश की समस्या पर सिर्फ पायलट की गलती बताकर दोष देना सही नहीं है.
क्या भारत में होते हैं सबसे ज्यादा प्लेन क्रैश-
नहीं, भारत में सबसे ज्यादा प्लेन क्रैश नहीं होते हैं. न ही सिविलियन न ही एयरफोर्स से जुड़े. इसमें अभी भी पहला नंबर अमेरिका का है और उसके बाद रशिया का.
सिविल में न सही, लेकिन हां भारत का नंबर मिलिट्री एयरक्राफ्ट क्रैश में काफी ऊपर हो सकता है. जहां इसका आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि किस देश में सबसे ज्यादा मिलिट्री प्लेन क्रैश होते हैं वहीं हमारी सरकार ने खुद ये माना है कि भारत में नेवी, आर्मी और एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर और प्लेन क्रैश काफी ज्यादा होते हैं. अब ये समझने की जरूरत है कि आखिर क्यों गरिमा अब्रोल जैसी महिलाएं अपने पति की मौत से जुड़े सवालों के जवाब नहीं मिल रहे?
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