ये तर्क सुनने में कितना वाहियात और शर्मनाक है कि महिलाओं पर बढ़ते यौन उत्पीड़न को लेकर सवाल हो और किसी देश को चलाने वाला प्रधानमंत्री महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहरा दे. प्रधानमंत्री कहे- उनकी ड्रेसिंग जिम्मेदार है. वो जो छोटे-छोटे कपड़े पहनती हैं, अगर पुरुष रोबोट नहीं हैं तो इसका असर पड़ता ही है. इमरान खान से जब एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया तो उन्होंने बिल्कुल ऐसा ही कहा. हैरान नहीं होना चाहिए कि पाकिस्तान समेत दुनिया का पढ़ा-लिखा तबका यह तर्क पचाने में असहज हो रहा है. शायद इमरान चाहते हैं कि महिलाएं अगर सर से पांव तक बुरके में ढंकी रहेंगी तो निश्चित ही सुरक्षित रहेंगी.
पाकिस्तान में महिलाओं के पहलू के देखें तो खुद को लोकतांत्रिक कहने वाले देश में बाल विवाह, गैरमजहबी लड़कियों से जबरदस्ती शादी और यौन उत्पीड़न की घटनाएं आम हैं. बड़े पैमाने पर महिलाएं घरेलू उत्पीड़न का शिकार होती हैं. यहां तक कि बच्चों के यौन उत्पीड़न का सिलसिला भी पिछले कुछ सालों में बढ़ा है. सरकार की ओर से जारी आधिकारिक डेटा की ही मानें तो पाकिस्तान में 24 घंटे के दौरान कम से कम रेप के 11 मामले सामने आ जाते हैं. यानी हर दो घंटे में पाकिस्तान में एक रेप की घटना हो जाती है. पिछले छह साल में 22 हजार रेप के मामले दाढ़ हुए हैं. जबकि हजारों-लाखों मामले गुमनामी की गर्त में दबे रहते हैं, जो दक्षिण एशियाई सामाजिक व्यवस्था में लोकलाज की वजह से कभी सामने ही नहीं आ पाते. इसमें बड़े पैमाने पर डोमेस्टिक रेप के मामले भी हैं.
रेप को लेकर पाकिस्तान में क़ानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वहां रेप के मामले में सुनवाई और सजा देने की रफ़्तार बेहद सुस्त है. रेप केसेस में कनविक्शन रेट मात्र 0.3 प्रतिशत है. पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान के प्रेसिडेंट आरिफ अल्वी ने एंटी रेप ऑर्डिनेंस 2020 को मंजूरी दी थी. ऑर्डिनेंस के तहत महिलाओं और बच्चों के यौन उत्पीडन मामलों के लिए स्पेशल कोर्ट और चार महीने में सुनवाई पूरी करने की वकालत की गई है.
इमरान खान ने...
ये तर्क सुनने में कितना वाहियात और शर्मनाक है कि महिलाओं पर बढ़ते यौन उत्पीड़न को लेकर सवाल हो और किसी देश को चलाने वाला प्रधानमंत्री महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहरा दे. प्रधानमंत्री कहे- उनकी ड्रेसिंग जिम्मेदार है. वो जो छोटे-छोटे कपड़े पहनती हैं, अगर पुरुष रोबोट नहीं हैं तो इसका असर पड़ता ही है. इमरान खान से जब एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया तो उन्होंने बिल्कुल ऐसा ही कहा. हैरान नहीं होना चाहिए कि पाकिस्तान समेत दुनिया का पढ़ा-लिखा तबका यह तर्क पचाने में असहज हो रहा है. शायद इमरान चाहते हैं कि महिलाएं अगर सर से पांव तक बुरके में ढंकी रहेंगी तो निश्चित ही सुरक्षित रहेंगी.
पाकिस्तान में महिलाओं के पहलू के देखें तो खुद को लोकतांत्रिक कहने वाले देश में बाल विवाह, गैरमजहबी लड़कियों से जबरदस्ती शादी और यौन उत्पीड़न की घटनाएं आम हैं. बड़े पैमाने पर महिलाएं घरेलू उत्पीड़न का शिकार होती हैं. यहां तक कि बच्चों के यौन उत्पीड़न का सिलसिला भी पिछले कुछ सालों में बढ़ा है. सरकार की ओर से जारी आधिकारिक डेटा की ही मानें तो पाकिस्तान में 24 घंटे के दौरान कम से कम रेप के 11 मामले सामने आ जाते हैं. यानी हर दो घंटे में पाकिस्तान में एक रेप की घटना हो जाती है. पिछले छह साल में 22 हजार रेप के मामले दाढ़ हुए हैं. जबकि हजारों-लाखों मामले गुमनामी की गर्त में दबे रहते हैं, जो दक्षिण एशियाई सामाजिक व्यवस्था में लोकलाज की वजह से कभी सामने ही नहीं आ पाते. इसमें बड़े पैमाने पर डोमेस्टिक रेप के मामले भी हैं.
रेप को लेकर पाकिस्तान में क़ानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वहां रेप के मामले में सुनवाई और सजा देने की रफ़्तार बेहद सुस्त है. रेप केसेस में कनविक्शन रेट मात्र 0.3 प्रतिशत है. पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान के प्रेसिडेंट आरिफ अल्वी ने एंटी रेप ऑर्डिनेंस 2020 को मंजूरी दी थी. ऑर्डिनेंस के तहत महिलाओं और बच्चों के यौन उत्पीडन मामलों के लिए स्पेशल कोर्ट और चार महीने में सुनवाई पूरी करने की वकालत की गई है.
इमरान खान ने क्या कहा- वीडियो में सुनें
इमरान साहब की नजर में बुरका रेप से बचने की गारंटी
जिस देश में महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर ऐसी स्थितियां हैं और वहां हर चीज का समाधान शरीया व्यवस्था में खोजने की कोशिशें हीओ रही हैं, उसके प्रधानमंत्री से भला और बेहतर बयान की उम्मीद कैसे की जा सकती है. ये कितना घृणित है कि क़ानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की बजाय इमरान टीवी इंटरव्यू में इस्लाम के "परदा कॉन्सेप्ट" की खूबियां गिना रहे हैं. जब उनसे बढ़े रेप मामलों को रोकने के लिए सरकार की भूमिका से जुड़ा सवाल हुआ तो उन्होंने कहा- "पर्दा कॉन्सेप्ट ऐसी गलत इच्छाओं (रेप) को 'दबाने' के लिए ही है." यानी महिलाएं या तो घरों में दुबकी रहें और बाहर निकले तो बुरके में ढंककर. नहीं तो पुरुषों की इच्छाएं भड़क सकती हैं और चूंकि पुरुष रोबोट नहीं है तो सरकार आखिर कर क्या सकती है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से कोई पूछे कि क्या बुरके में रहने वाली महिलाओं का यौन उत्पीडन नहीं होता है? फिर छोटी-छोटी मासूम बच्चियों का रेप क्यों हो जाता है? क्या 24 घंटे की चारदिवारी में रहने वाली महिलाएं घरों में सुरक्षित हैं? क्या पाकिस्तान में रेप सरेआम सड़कों पर होता है जहां महिलाएं बुरके में रहकर सुरक्षित हो जाएंगी. तो महिलाओं को घरों के अंदर भी बुरका पहनना शुरू कर देना चाहिए.
ये बुशरा बीवी के पति और प्रधानमंत्री इमरान खान का बयान है
इमरान ने अप्रैल महीने में ऐसा ही कुछ बयान दिया था जिसपर वहां काफी बखेड़ा खड़ा हुआ. महिलाओं के संगठन, पत्रकारों और विपक्षी पार्टियों ने तब भी इमरान से माफी मांगने के लिए कैम्पेन चलाया था. उन्होंने कभी बेहूदा बयान के लिए माफी तो नहीं मांगी बल्कि अब और ज्यादा बेहयाई दिखा रहे हैं. दरअसल, उनसे इससे बेहतर की उम्मीद करना भी बेमानी है. क्योंकि ये प्रधानमंत्री इमरान का बयान है, उस इमरान का नहीं जो पूर्व क्रिकेटर था और जिसकी दो पूर्व पत्नियां (जेमिमा और रहम) अपनी ग्लैमरस लाइफ स्टाइल और खुले विचारों के लिए जानी जाती थीं.
दरअसल, ये बुशरा बीवी के पति और प्रधानमंत्री इमरान खान का बयान हैं. बुशरा उनकी तीसरी पत्नी हैं. बुरकानशीं हैं. धार्मिक रूप से कट्टर हैं. बुशरा बीवी का चेहरा आजतक लोगों ने नहीं देखा है. प्रधानमंत्री बनने से पहले इमरान बुशरा के संपर्क में आए थे और उनके धार्मिक विचारों से काफी प्रभावित भी हुए थे. इमरान की तीसरी पत्नी पहले से ही शादीशुदा थीं और पहली शादी से उनके पांच बच्चे भी हैं. माना जाता है कि तीसरी पत्नी की वजह से ही इमरान की राजनीति में कट्टर इस्लामिक मुद्दों ने जगह बनाई. इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान में उन्हें इसका फायदा भी मिला है. और बिना कुछ किए वो अभी भी प्रतिद्वन्द्वियों से बेहतर स्थिति में दिखते हैं.
पाकिस्तान की राजनीति में अब इस्लामिक मुद्दों का ही जोर
दरअसल, पाकिस्तान की राजनीति में पिछले छह सात सालों में धार्मिक मुद्दे ज्यादा अहम हुए हैं. आर्थिक-राजनीतिक असफलताओं से घिरे इमरान भी ऐसे मुद्दों को हवा दे कर अपनी जमीन बचाने में लगे हुए हैं. पिछले साल पैगम्बर के विवादित कार्टून मुद्दे पर भी उन्होंने खुलकर फ्रांस की खिलाफत की थी और दुनिया के इस्लामिक देशों के साथ खड़े नजर आए. हालांकि पाकिस्तान में और दूसरे संगठन ज्यादा आक्रामक तरीके से इस्लामिक मुद्दों (ईशनिंदा और शरीया क़ानून आदि) की वकालत कर रहे हैं. तहरीक-ए-लब्बैक जैसे कई संगठन इमरान समेत दूसरी पार्टियों के लिए राजनीतिक चुनौती खड़ी करते नजर आ रहे हैं. इसी साल तहरीक-ए-लब्बैक चीफ की गिरफ्तारी के बाद समूचा पाकिस्तान जल उठा था.
पाकिस्तान की राजनीतिक बयार बदली हुई है. पाकिस्तान की राजनीति में इमरान खान इस्लामिक राजनीति का पोस्टर बॉय बनने की कोशिश में हैं. रेप पर उनके बयान को उसी मकसद में लिया जाना चाहिए. भले ही पढ़ा लिखा समाज उनकी आलोचना कर रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर पाकिस्तान का कट्टरपंथी तबका इमरान की हां में हां मिलाता दिख रहा है.
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