मानवता की बड़ी बड़ी बातें बहुत आसान हैं. और दौर जब सोशल मीडिया का तो यकीन जानिए ये बहुत आसान हैं. करना भी क्या है, बस फेसबुक पर लिखना है. ट्विटर पर ट्वीट करना है बहुत ज्यादा हुआ तो इंस्टाग्राम है ही 30 ट्रेंडिंग हैशटैग लगाइए और मानवता का चोगा ओढ़कर बड़ी बड़ी बातें लिख दीजिये. काम हो गया. इन सब के इतर ज़मीन की कहानी थोड़ी जुदा है और इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है. और हां कभी कभी 'मानवता' इंसान की मौत की वजह बनती है. सवाल होगा कैसे? जवाब है आरिफ़ खान (Corona Warrior Arif Khan Death). एक ऐसे वक्त में जब किसी आओए मुल्क की तरह हिंदुस्तान भी कोरोना की चपेट में हो और संक्रमितों के अलावा मौत का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा हो गिने चुने लोग हैं जो किसी अजनबी की मदद के लिए सामने आ रहे हैं और जिन्होंने अपने प्रयासों से हिंदू मुस्लिम (Hindu-Muslim) के बीच पनपी खाई को पाटने का काम किया है. ऐसे ही एक शख्स थे आरिफ खान. थे इसलिए क्यों कि अब आरिफ हमारे बीच नहीं हैं. आरिफ की मौत ने देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Vice President Venkaiah Naidu) को भी स्तब्ध कर दिया है और उन्होंने ट्वीट करके भीगी पलकों से आरिफ को विन्रम श्रद्धांजलि अर्पित की है.
आरिफ़ की कहानी कुछ ऐसी है जो जरूर ही आपकी आंखें नम कर देगी और आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आज एक ऐसे वक्त में जब नफरत अपने चरम पर हो कोई शख्स कैसे इतना निष्काम हो सकता है.
बता दें कि एक कोरोना योद्धा आरिफ खान दिल्ली के रहने वाले थे. पेशे से एम्बुलेंस ड्राइवर आरिफ खान की सेवा का लेवल क्या था इसे...
मानवता की बड़ी बड़ी बातें बहुत आसान हैं. और दौर जब सोशल मीडिया का तो यकीन जानिए ये बहुत आसान हैं. करना भी क्या है, बस फेसबुक पर लिखना है. ट्विटर पर ट्वीट करना है बहुत ज्यादा हुआ तो इंस्टाग्राम है ही 30 ट्रेंडिंग हैशटैग लगाइए और मानवता का चोगा ओढ़कर बड़ी बड़ी बातें लिख दीजिये. काम हो गया. इन सब के इतर ज़मीन की कहानी थोड़ी जुदा है और इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है. और हां कभी कभी 'मानवता' इंसान की मौत की वजह बनती है. सवाल होगा कैसे? जवाब है आरिफ़ खान (Corona Warrior Arif Khan Death). एक ऐसे वक्त में जब किसी आओए मुल्क की तरह हिंदुस्तान भी कोरोना की चपेट में हो और संक्रमितों के अलावा मौत का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा हो गिने चुने लोग हैं जो किसी अजनबी की मदद के लिए सामने आ रहे हैं और जिन्होंने अपने प्रयासों से हिंदू मुस्लिम (Hindu-Muslim) के बीच पनपी खाई को पाटने का काम किया है. ऐसे ही एक शख्स थे आरिफ खान. थे इसलिए क्यों कि अब आरिफ हमारे बीच नहीं हैं. आरिफ की मौत ने देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Vice President Venkaiah Naidu) को भी स्तब्ध कर दिया है और उन्होंने ट्वीट करके भीगी पलकों से आरिफ को विन्रम श्रद्धांजलि अर्पित की है.
आरिफ़ की कहानी कुछ ऐसी है जो जरूर ही आपकी आंखें नम कर देगी और आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आज एक ऐसे वक्त में जब नफरत अपने चरम पर हो कोई शख्स कैसे इतना निष्काम हो सकता है.
बता दें कि एक कोरोना योद्धा आरिफ खान दिल्ली के रहने वाले थे. पेशे से एम्बुलेंस ड्राइवर आरिफ खान की सेवा का लेवल क्या था इसे हम उनके उस काम से समझ सकते हैं कि कोरोना से हुई वो मौतें जिनमें तीमारदार संक्रमण के डर से बॉडी को छोड़ जाते थे उनका अंतिम संस्कार ख़ुद आरिफ करते थे.
ध्यान रहे कि आरिफ मार्च से लेकर अब तक 200 से अधिक लाशों का अंतिम संस्कार खुद कर चुके थे. ये अपने आप में दुखद है कि आरिफ की मौत भी इसी जानलेवा बीमारी से हुई. जो जानकारी आरिफ खान के बारे में मिली है उसके अनुसार कोरोना वॉरियर आरिफ खान शहीद भगत सिंह सेवादल के साथ ड्राइवर के रूप में जुड़े थे. कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने और मरीजों की मौत होने पर शव की सेवा करने वाले आरिफ खान की खुद कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो गए. बीते दिन ही दिल्ली के हिंदूराव अस्पताल में उनकी मौत हुई.
उस संस्था के बारे में कुछ जिसके लिए आरिफ करते थे काम
आरिफ खान बीमारों को फ्री एंबुलेंस सेवा देने वाले शहीद भगत सिंह सेवा दल के साथ काम करते थे,सेवा दल के बारे में बताया जा रहा है कि यह दिल्ली – एनसीआर में फ्री आपातकालीन सेवाएं देता है. आरिफ खान की सेवा भावना क्या थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब किसी कोरोना मरीज की मौत हो जाती थी, और उसके परिवार के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होते थे, तो आरिफ खान पैसे देकर भी उनकी मदद करते थे.
तकरीबन 488 मरीजों की मदद कर चुके हैं आरिफ खान और उनका संगठन
शहीद भगत सिंह सेवादल संस्था के बारे में जो जानकारी हाथ लगी है यदि उसपर यकीन करें तो अब तक इस संस्था द्वारा 488 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की लाशों को निशुल्क सेवा दी गयी है. वहीं 623 COVID-19 पॉजिटिव मरीज ऐसे थे जो इनकी एबुलेंस की सेवा ले चुके हैं. सेवा दल की ओर से ऐसी 90 लाशों का भी संस्कार किया गया, जिनके घर वाले उनकी मौत के वक़्त घर पर क्वॉरन्टीन थे.
आरिफ ऐसा काम करके गए हैं कि लोगों का उन्हें याद करना स्वाभाविक था. जैसे ही आरिफ खान की मौत सोशल मीडिया पर आई लोग हैरत में पड़ गए. मौत के बाद का मंजर कुछ ऐसा है कि वर्तमान में वो सभी लोग जो आरिफ का नहीं जानते लेकिन उन्होंने जब आरिफ के बारे में सुना उनकी आत्मा की शांति की दुआएं कर रहे हैं. आइये नजर डालें सॉइल मीडिया पर और देखें आरिफ खान की मौत के बाद क्या कह रहे हैं लोग.
आरिफ की मौत के बाद लोगों ने उनके परिवार के लिए फंड रेजिंग की शुरुआत भी कर दी है.
लोग कह रहे हैं कि एक ऐसे समाज में जहां नफरत हावी हो आरिफ की मौत वाक़ई दुःख देने वाली है.
कहा जा रहा है कि आरिफ खान कोरोना के कारण बीते 6 महीने से अपने परिवार से दूर थे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी आरिफ की मौत पर ट्वीट करके अपना दुःख प्रकट किया है.
सोशल मीडिया पर यूजर्स ये भी मांग कर रहे हैं कि करीब 200 लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले आरिफ खान को वीरता पुरुस्कार दिया जाए.
जैसी सेवा आरिफ खान ने दी है इस बात में भी कोई शक नहीं है कि असल भारत रत्न आरिफ खान जैसे लोग हैं जिनकी कद्र पूरे देश को करनी चाहिए.
आरिफ की मौत पर जैसी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं उनको देखकर इतना तो साफ़ है कि भले ही इस समाज में कितनी भी नफरत फैली रहे. जब तक देश में आरिफ खान जैसे लोग रहेंगे एक उम्मीद रहेगी कि अगर कोई किसी के साथ अच्छाई करता है तो जमाना हिंदू मुस्लिम से इतर उसकी कद्र करेगा.अंत में बस हम ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि इस मुश्किल माहौल में आरिफ की मौत ने लोगों को बड़ा सबक दिया है. ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे आरिफ साहब। आपका कर्ज इस देश पर हमेशा रहेगा जिसे हम शायद ही कभी भुला पाएं.
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