मेरा सपना था कि अपने 12 बच्चे हो और एक क्रिकेट टीम बनाऊं, जो कि आज अधूरा रह गया. कोई ना बाबू किस्मत की बात होती है. अगले जन्म में सपना पूरा होगा. बाबू तेरे साथ बिताए पल सबसे बढ़िया थे और अब जान दे रहा हूं और तू कोई सुंदर सा लड़का देखकर शादी कर लेना.
ऊपर लिखी ये ऐतिहासिक लाइनें न तो किसी फिल्म / वेब सीरीज की स्क्रिप्ट हैं. न ही नई हिंदी के किसी नए उभरते लेखक की अपकमिंग किताब के पहले चैप्टर का इंट्रो. ये पंक्तियां उस 11 पन्ने के सुसाइड नोट का हिस्सा हैं. जिसे हरियाणा के हिसार में रहने वाले एक एमआर ने अपनी आत्महत्या से पहले लिखा है. मामले की शुरूआती जांच में जो बातें निकल कर सामने आए हैं. यदि उनपर यकीन किया जाए तो युवक का मैटर एक तरफा प्यार वाला था. शायद ये प्यार ही वो कारण था जिसके चलते युवक डिप्रेशन में आया और फिर बाद में जिसने अपनी जीवन लीला फांसी लगाकर समाप्त की.
हिसार पुलिस से जुड़े जांच अधिकारियों के अनुसार, मृतक हर्ष एमआर था. वह बीते दिन शहर में आया, उसने दोपहर बाद बस अड़्डे के सामने एक कमरा बुक करवाया. उसके बाद वह कमरे में अंदर चला गया. अपनी जांच में पुलिस ने ये भी बताया कि मरने से पहले हर्ष भूखा था और उसने कुछ भी नहीं खाया था.
हर्ष प्यार पाने में नाकाम था और ये डिप्रेशन ही था जो उसे मरने के लिए होटल रूम तक ले आया था. जी हां सही सुन रहे हैं आप. दरअसल चेक इन के बाद होटल के कर्मचारियों ने हर्ष के कमरे में रखे लैंडलाइन फोन पर कई बार कॉल की, मगर उसने कॉल नहीं उठाया. कर्मचारी सुबह चेक आउट के दौरान कमरे पर गए तो अंदर से दरवाजा बंद था. बार बार आवाज लगाने के बावजूद जब दरवाजा नहीं खुला, तब होटल वालों ने पुलिस से संपर्क...
मेरा सपना था कि अपने 12 बच्चे हो और एक क्रिकेट टीम बनाऊं, जो कि आज अधूरा रह गया. कोई ना बाबू किस्मत की बात होती है. अगले जन्म में सपना पूरा होगा. बाबू तेरे साथ बिताए पल सबसे बढ़िया थे और अब जान दे रहा हूं और तू कोई सुंदर सा लड़का देखकर शादी कर लेना.
ऊपर लिखी ये ऐतिहासिक लाइनें न तो किसी फिल्म / वेब सीरीज की स्क्रिप्ट हैं. न ही नई हिंदी के किसी नए उभरते लेखक की अपकमिंग किताब के पहले चैप्टर का इंट्रो. ये पंक्तियां उस 11 पन्ने के सुसाइड नोट का हिस्सा हैं. जिसे हरियाणा के हिसार में रहने वाले एक एमआर ने अपनी आत्महत्या से पहले लिखा है. मामले की शुरूआती जांच में जो बातें निकल कर सामने आए हैं. यदि उनपर यकीन किया जाए तो युवक का मैटर एक तरफा प्यार वाला था. शायद ये प्यार ही वो कारण था जिसके चलते युवक डिप्रेशन में आया और फिर बाद में जिसने अपनी जीवन लीला फांसी लगाकर समाप्त की.
हिसार पुलिस से जुड़े जांच अधिकारियों के अनुसार, मृतक हर्ष एमआर था. वह बीते दिन शहर में आया, उसने दोपहर बाद बस अड़्डे के सामने एक कमरा बुक करवाया. उसके बाद वह कमरे में अंदर चला गया. अपनी जांच में पुलिस ने ये भी बताया कि मरने से पहले हर्ष भूखा था और उसने कुछ भी नहीं खाया था.
हर्ष प्यार पाने में नाकाम था और ये डिप्रेशन ही था जो उसे मरने के लिए होटल रूम तक ले आया था. जी हां सही सुन रहे हैं आप. दरअसल चेक इन के बाद होटल के कर्मचारियों ने हर्ष के कमरे में रखे लैंडलाइन फोन पर कई बार कॉल की, मगर उसने कॉल नहीं उठाया. कर्मचारी सुबह चेक आउट के दौरान कमरे पर गए तो अंदर से दरवाजा बंद था. बार बार आवाज लगाने के बावजूद जब दरवाजा नहीं खुला, तब होटल वालों ने पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने भी मामले को गंभीरता से लिया और मौके पर पहुंचकर कमरे का दरवाजा तोड़ा.
पुलिस के मुताबिक हर्ष कमरे के अंदर फंदे पर झूलता पाया गया था. पुलिस ने हर्ष के पास से एक 11 पन्नों का सुसाइड नोट बरामद किया है जो पढ़कर स्वतः इस बात की पुष्टि हो जाती है कि करियर के मुकाबले प्यार मुहब्बत के फर्जी ड्रामे ने बुरी तरह से हर्ष की लंका लगा रखी थी. मौके पर जो सुसाइड नोट मिला है उसमें बार बार हर्ष ने जिस बात का जिक्र किया वो 12 बच्चे थे. शायद ये सुनने में थोड़ा अटपटा लगे लेकिन सच यही है कि हर्ष ने काम धंधे से अपने को उचाट कर लिया था.
सुसाइड नोट पढ़कर वाक़ई हैरत होती है कि महंगाई के इस दौर में कोई पढ़ा लिखा लड़का आखिर कैसे एक के बाद एक बारह बच्चे पैदाकर क्रिकेट टीम बनाने की बात सोच सकता है. हर्ष ऐसा नहीं कर पाया उसके लिए उसने अपनी किस्मत को दोषी ठहराया है और पूरे मामले में जो बात सबसे ज्यादा रोचक है वो ये कि वो जिस लड़की से प्यार करता है उससे उसका ये कहना कि वो कोई सुन्दर सा लड़का देखकर उससे शादी कर ले.
ऐसा बिलकुल नहीं था कि 11 पन्नों के सुसाइड नोट में हर्ष ने अपना सारा फोकस लड़की और प्यार पर ही रखा. अपने सुसाइड नोट में हर्ष अपने भाई से भी संबोधित हुआ है. भाई से माफ़ी मांगते हुए हर्ष ने लिखा है कि भाई तेरे सिर पर सभी जिम्मेवारी सौंप कर जा रहा हूं और बाकी मैं अपना सपना पूरा नहीं कर सका.क्रिकेट टीम बनानी थी. मैं मेरे भाई के जैसा नहीं बन सका. सॉरी भाई ये कदम उठा रहा हूं. मैं बहुत डिप्रेशन में हूं, जिस कारण मैं अच्छा भाई-बेटा और लवर नही बन पाया. आई लव यू मम्मी-पापा. सॉरी दोस्तों सबको छोड़ कर जा रहा हूं. तुम से प्यार करने का सपना पूरा नहीं कर सका.
बहरहाल हर्ष तो अपनी जिंदगी ख़त्म कर चुका है मगर हमारा सवाल उन लोगों से है जो हर्ष की उम्र के हैं और प्यार की गिरफ्त में है. ऐसे लोगों को जरूर बताना चाहिए कि अगर उनके साथ हर्ष वाली स्थिति होती तो फिर समस्या का असल समाधान क्या था? क्या वो भी हर्ष की ही तरह कदम उठाते या फिर अपना क्रिकेट टीम बनाने का सपना पूरा करते. बाकि जिक्र हर्ष के सुसाइड नोट का हुआ है तो इसके भी दो पक्ष हैं. हो सकता है कि हर्ष की बातें कुछ लोगों की आंखों को नम कर दे या फिर ये भी हो सकता है कि हर्ष की बेवकूफी को सुनकर न चाहते हुए भी लोगों की हंसी फूट पड़े.
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