2019 का चुनाव होने और नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बावजूद ऐसे तमाम मोर्चे हैं जिनपर देश संघर्ष कर रहा है. देश में महिलाएं और बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं. अर्थव्यवस्था लचर है. बेरोजगारी अपनी चरम पर है और लोगों को नौकरी मिल नहीं रही. चीन, पाकिस्तान, माओवादी, आतंकवादी, अलगाववादी, कश्मीर अलग देश की नाक में दम किये हुए है. इन सब के बाद कुछ बचता है तो वो लिंचिंग है. महंगाई है. बच्चों की बढ़ी हुई फीस है. पेट्रोल के दाम हैं. गोरखपुर और मुजफ्फरपुर में मरते बच्चे हैं. सही समय पर उपचार न होने के कारण प्रसव के दौरान दम तोड़ती महिलाएं हैं. यानी अगर हम अपने जीवन को देखें और उसका गहनता से अवलोकन करें तो मिलता है कि अपने जीवन में हम तमाम तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इन समस्याओं से निजात कैसे पाई जा सकती है? जवाब बहुत आसन है और हमारे पास पास छुपा है. इन तमाम सवालों का जवाब है गाय.
गाय ही वो माध्यम से जो हमारी सभी समस्याओं का निवारण कर अपने न सिर्फ मोक्ष और निर्वाण देगी बल्कि इससे हम इस सांसारिक जीवन में बिना कष्ट के रह सकते हैं. कह सकते हैं जब गाय ही रामबाण है तो हम व्यर्थ ही सारी मुसीबत अपने कन्धों पर ढो रहे हैं.
गाय से बलात्कार पर नियंत्रण
पता नहीं ये कितना सही हो मगर देश में रेप कि घटनाएं रुक सकें इसके लिए हैदराबाद में 3 गायों के साथ विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया है. हैदराबाद के चिलकुर बालाजी मंदिर में तीन गायों के साथ विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया है. इस पूजा पर यदि मंदिर के पुजारी रंगा राजन की बातों पर यकीन करें तो 3 गाय बालाजी...
2019 का चुनाव होने और नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बावजूद ऐसे तमाम मोर्चे हैं जिनपर देश संघर्ष कर रहा है. देश में महिलाएं और बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं. अर्थव्यवस्था लचर है. बेरोजगारी अपनी चरम पर है और लोगों को नौकरी मिल नहीं रही. चीन, पाकिस्तान, माओवादी, आतंकवादी, अलगाववादी, कश्मीर अलग देश की नाक में दम किये हुए है. इन सब के बाद कुछ बचता है तो वो लिंचिंग है. महंगाई है. बच्चों की बढ़ी हुई फीस है. पेट्रोल के दाम हैं. गोरखपुर और मुजफ्फरपुर में मरते बच्चे हैं. सही समय पर उपचार न होने के कारण प्रसव के दौरान दम तोड़ती महिलाएं हैं. यानी अगर हम अपने जीवन को देखें और उसका गहनता से अवलोकन करें तो मिलता है कि अपने जीवन में हम तमाम तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर इन समस्याओं से निजात कैसे पाई जा सकती है? जवाब बहुत आसन है और हमारे पास पास छुपा है. इन तमाम सवालों का जवाब है गाय.
गाय ही वो माध्यम से जो हमारी सभी समस्याओं का निवारण कर अपने न सिर्फ मोक्ष और निर्वाण देगी बल्कि इससे हम इस सांसारिक जीवन में बिना कष्ट के रह सकते हैं. कह सकते हैं जब गाय ही रामबाण है तो हम व्यर्थ ही सारी मुसीबत अपने कन्धों पर ढो रहे हैं.
गाय से बलात्कार पर नियंत्रण
पता नहीं ये कितना सही हो मगर देश में रेप कि घटनाएं रुक सकें इसके लिए हैदराबाद में 3 गायों के साथ विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया है. हैदराबाद के चिलकुर बालाजी मंदिर में तीन गायों के साथ विशेष प्रार्थना का आयोजन किया गया है. इस पूजा पर यदि मंदिर के पुजारी रंगा राजन की बातों पर यकीन करें तो 3 गाय बालाजी मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर 3 प्रदक्षिणा करेंगी, ताकि बुरे विचारों, कर्मों जैसे बलात्कार को रोका जा सके. इन तीन प्रदक्षिणाएं पर बात करते हुए पुजारी ने कहा कि ये तीन प्रदक्षिणाएंशब्दों, कर्मों और विचारों का प्रतिनिधित्व करती हैं.'
ज्ञात हो कि चिलकुर बालाजी मंदिर का लंबा इतिहास है. मंदिर कोई 500 साल पुराना है साथ ही इस मंदिर के बारे में ये भी कहा जाता है कि यदि कोई सच्चे दिल से प्रार्थना करे तो यहां से व्यक्ति विदेश भी जा सकता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि वीजा के लिए दूतावास के चक्कर लगाने से अच्छा है कि चिलकुर बालाजी मंदिर के चक्कर लगाएं और हवाई जहाज का चढ़ावा चढ़ाएं. इससे वीजा मिलना आसान हो जाता है.
गाय से कैंसर / ब्लड प्रेशर सही होता है.
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा ने उस वक़्त ये कहकर मेडिकल एक्सपर्ट्स के बीच सनसनी फैला दी कि गाय, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का भी निदान कर सकती है. अपने बयान में साध्वी प्रज्ञा ने बताया था कि उन्हें कैंसर था और इसके लिए उन्होंने गौ मूत्र के अलावा पंचगव्य औषधी का सेवन किया और उसके बाद उनका कैंसर सही हो गया.
आजतक से हुई खास बातचीत में साध्वी प्रज्ञा ने इस बात पर बल दिया था कि गौ धन किसी अमृत की तरह है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि गाय के ऊपर प्रतिदिन हाथ फेरने से मनुष्य का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है. साध्वी ने कहा था कि यदि हम गाय के मुंह की ओर से पीठ की तरफ हाथ घुमाते हैं तो उन्हें (गायों) और हमें दोनों को सुख मिलता है.
वहीं अगर हम गाय की पीठ से चेहरे की तरफ हाथ घुमाते हैं तो उन्हें तकलीफ होती है. वो तकलीफ सहती हैं मगर हमें सुख पहुंचाती हैं जिससे हमारा बीपी कंट्रोल होता है.
गाय और अर्थव्यवस्था का रिश्ता
भारतीय समाज गाय के प्रति अपार श्रद्धा रखता है. बात अगर वेदों की हो तो गाय को कामधेनु का रूप माना गया है जो किसी भी तरह के कार्य में समृद्धि लाती है. हिंदुस्तान में गाय आस्था का प्रतीक है अतः उसे इज्जत देना एक बेहद साधारण सी बात है. मगर जब हम पाकिस्तान का रुख करें और गाय को लेकर जो उनका रुख है यदि उसे देखें तो स्थिति आश्चर्य में डालने वाली है.
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गायों पर निर्भर हो गई है. साथ ही पाकिस्तान में गाय का इस्तेमाल प्रदूषण कम करने के लिए भी किया जा रहा है. खबर ये भी है कि पाकिस्तान के सबसे बड़े शहरों में शुमार कराची में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए गाय के गोबर का इस्तेमाल करने की योजाना है. पाकिस्तान के हुक्मरान अपने समुद्र में गोबर और गाय का मूत्र बहा रहे हैं. इसके पीछे तर्क ये है कि इससे समुन्द्र साफ होगा.
बात की शुरुआत हमने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से की थी इसलिए हमारे लिए ये बताया भी बेहद जरूरी है कि अब पाकिस्तान की सरकार जीरो कार्बन उत्सर्जन वाली 200 ग्रीन बसें चलाने की योजना भी बना रही है जिसे चलाने के लिए गाय के गोबर से बनी बायो मीथेन गैस का इस्तेमाल होगा. इसके लिए पाकिस्तान सरकार इंटरनेशनल ग्रीन क्लाइमेट फंड की मदद ले रही है.
गाय के बल पर पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था सुधर रहा है देखना दिलचस्प रहेगा कि भारत इससे प्रेरणा लेता है या नहीं.
गाय और शिक्षा
गाय से शिक्षा का भी रिश्ता पुराना है. आज भी 5 वीं से लेकर 10 वीं तक के इम्तेहानों में गाय का जिक्र हो ही जाता है. कोई भी बोर्ड हो उनका प्रश्न पत्र उठाकर यदि देखा जाए तो आज भी हमारे सामने ऐसे तमाम सवाल आ ही जाते हैं जिनमें हमें गाय की उपलब्धियों का वर्णन लिखकर करना पड़ता है.
बात चूंकि गाय और शिक्षा पर चल रही है तो हमारे लिए भाजपा के नेता वासुदेव देवनानी को समझना और उसका अवलोकन करना भी बहुत जरूरी हो जाता है. वासुदेव देवनानी वसुंधरा सरकार में राज्य मंत्री थे. उन्होंने कहा था कि गाय एकमात्र ऐसी जीव है जो ऑक्सिजन लेने के साथ ही ऑक्सिजन छोड़ती भी है. तब शिक्षा मंत्रीये बताने में असमर्थ थे कि आखिर यह अद्भुत घटना कैसे घटित होती है. इतना ही नहीं मंत्री जी ने ये कहकर भी लोगों को हैरत में डाल दिया था कि गाय के गोबर से रेडियोऐक्टिव तत्वों को बेअसर किया जा सकता है.
इन सब बातों के अलावा शिक्षा में गाय की क्या भागीदारी है इसे हम उस घटना से भी समझ सकते हैं जब जम्मू कश्मीर में पॉलीटेक्निक संस्थानों में दाखिले के लिए होने जा रही चयन परीक्षा में बैठने के लिए तथाकथित तौर पर एक गाय के नाम पर पहचानपत्र जारी कर दिया था.
अदालत में गाय
गाय हम भारतीयों के जीवन में कैसे रच बस गई हैं इसे हम बीते दिनों राजस्थान में हुई एक घटना से समझ सकते हैं. राजस्थान के जोधपुर में गाय अदालत पहुंच गई है. जोधपुर की एक स्थानीय अदालत में मौजूद लोग उस वक़्त विचलित हो गए जब एक गाय को वहां पेश किया गया.
दरअसल, इस गाय के मालिकाना हक को लेकर दो व्यक्तियों ओम प्रकाश और श्याम सिंह के बीच 2018 से एक विवाद चल रहा था. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पेश किए गए सभी सबूतों के आधार पर गाय को ओम प्रकाश नाम के व्यक्ति को दिया जाएगा.
खेती किसानी में गाय कैसी साबित होगी मददगार
कई ऐसे शोध और रिसर्च हमारे सामने आ गए हैं जिनपर यदि गौर किया जाए तो मिलता है कि भले ही बीते कुछ वर्षों से राजनीतिक बहस के केंद्र में गाय रही हो मगर अब इसके इस्तेमाल से किसानों का उद्धार होने की आशा जताई जा रही है. एक तरफ किसान जहां गाय के दूध से पैसा कमा सकेंगे तो वहीं दूसरी ओर गोमूत्र से बने खाद और कीटनाशक भी जल्द ही बाजार का हिस्सा होंगे.
ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने बाकायदा लिखित में यह बात कही है कि गोमूत्र कैसे खेती-किसानी में काम आएगा. किसान घर बैठे कैसे इसका कीटनाशक बनाकर कंपनियों पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं.
इससे किसानों को कीटनाशक पर खर्च घटेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि पौधे की बढ़त यदि रासायनिक खाद से ही संभव होता तो सारे जंगल सूख गए होते. लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ. इसका मतलब साफ है कि मिट्टी में पौधों के लिए जरूरी तत्व पहले से ही मौजूद हैं. इन्हें गाय के गोबर और गोमूत्र से एक्टिव किया जा सकता है.
उपरोक्त जितनी भी बातें हैं वो ये खुद-ब-खुद साफ कर देती हैं कि देश में समस्या कोई भी समाधान बस एक है और वो केवल और केवल गाय है, अब चूंकि गाय रेप के लिए भी रामबाण है तो देखना दिल्कास्प रहेगा कि चिलकुर बालाजी मंदिर में हुई इस पूजा के बाद बलात्कार और छेड़ छाड़ की घटनाओं में कितना और किस हद तक विराम लगता है.
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