समाज के साथ साथ विज्ञान - वैज्ञानिक भी इस तर्क पर यकीन रखते हैं कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं कहीं ज्यादा संवेदनशील होती हैं. जैसा महिलाओं का भावनाओं के प्रति रवैया होता है उन्हें किसी का दुःख बर्दाश्त नहीं होता. लेकिन क्या सभी महिलाओं में ममता का वास होता है? क्या सभी महिलाएं नेक दिल होती हैं? जवाब कुछ भी हो. लेकिन जब हम गाजियाबाद की लिफ्ट में कुत्ता ले जाने वाली और उस कुत्ते को एक बच्चे को काटते देख चुप रहने वाली निर्मम महिला को देखते हैं. तो यकीन हो जाता है कि, हमारे आस पास कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जिनमें न भावनाएं हैं न संवेदनाएं. और इन्हें इंसान कहना भी इंसानियत के साथ घिनौना मजाक है.
गाजियाबाद में लिफ्ट में कुत्ता बच्चे को काटता रहा लेकिन उसकी मालकिन खड़े होकर चुपचाप देखती रही
दरअसल एक दिल दहला देने वाला वीडियो जंगल की आग की तरह शेयर हो रहा है. वायरल वीडियो गाजियाबाद की चार्म्स कैसल सोसाइटी की एक लिफ्ट का है. वीडियो में एक महिला का पालतू कुत्ता लिफ्ट में ही मौजूद एक बच्चे पर हमला कर उसे काट लेता है. बच्चा दर्द से कराहता है. लेकिन जो महिला का रवैया रहता है वो किसी का भी खून खौलने के लिए काफी है.
महिला न तो बच्चे को संभालने के लिए आगे आती है और न ही वो उसका हाल चाल पूछती है. वो चुपचाप लिफ्ट में खड़ी रहती है फिर जब उसका फ्लोर आता है वो कुत्ते को लेकर चली जाती है.
महिला के रवैये को लेकर सोसाइटी के लोगों में काफी रोष है और मामले की शिकायत पुलिस से हुई है. बच्चे के पिता की शिकायत पर नंदग्राम थाने में महिला के विरुद्ध मामला दर्ज हुआ है.
बच्चे के विषय में जो जानकारी आई है यदि उसपर यक़ीन करें तो कुत्ते का शिकार बना बच्चा चौथी कक्षा में पढ़ता है. बताया जा रहा है कि जिस समय ये घटना हुई, बच्चा ट्यूशन से वापस अपने घर लौट रहा था. इस दौरान लिफ्ट में एक महिला आती है जिसके साथ उसका पालतू कुत्ता भी है. कु्त्ते को देखकर बच्चा घबरा जाता है और कुत्ते से बचने के लिए वह आगे आता है.
इस बीच कुत्ता बच्चे को अपना निशाना बना लेता है और उसे कमर के पास काट लेता है. जैसा कि वीडियो में दिख रहा है बच्चा दर्द से तड़प रहा है लेकिन महिला के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. महिला बच्चे को दर्द से तड़पता देखने के बावजूद घायल अवस्था में छोड़कर चली जाती है.
अब चूंकि घटना हमारे सामने है. एक वर्ग है जो कुत्ते को इस घटना का जिम्मेदार ठहरा रहा है. सवाल ये है कि क्या गाजियाबाद की चार्म्स कैसल सोसाइटी की उस लिफ्ट में जो घटना घटी उसका असल गुनहगार कुत्ता ही है? क्या नीति यही कहती है कि हमें सारा दोष बेजुबान कुत्ते के सर पर डाल देना चाहिए?
इन सवालों पर लोग अपनी अपनी सुविधा से तर्क दे सकते हैं. लेकिंन जिस तरह का ये मामला है कहना गलत नहीं है कि कुत्ते ने वही किया जो उसका मूल स्वाभाव था. लेकिन जो महिला ने किया वो कहीं से भी इंसानों का गुण नहीं है. मामले में महिला का रवैया बेग़ैरती की पराकाष्ठा है.
हो सकता है कि अब तक महिला अपने को पशुप्रेमी और डॉग लवर कहती हो. लेकिन जो सुलूक उसने घायल बच्चे के साथ किया है वो इस बात की तस्दीख कर देता है कि उसने अंदर न तो डॉग के लिए और न ही इंसानों के लिए कोई मोह है और सही मायनों में देखा जाए तो गाजियाबाद की ये महिला इंसान कहलाए जाने के काबिल है ही नहीं.
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