शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल (minimum marriage age 21 years) किए जाने से लड़कियां बहुत खुश हैं. शादी के लिए लड़कियां सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी तैयार हो जाएंगी. 18 साल की उम्र में लड़कियां 12वीं पास कर पाती हैं, 21 तक पहुंचने पर वह ग्रेजुएशन भी कर पाएंगी. घरवालों पर लड़की की शादी को लेकर सामाजिक दबाव कम होगा, और वे निश्चिंत होकर उन्हें 21 साल तक पढ़ा पाएंगे. ऐसे तमाम फायदों के बीच कुछ पेंचीदगियां भी हैं. इन्हें प्रैक्टिकल परिस्थिति भी कहा जा सकता है. शादी की उम्र 21 साल करने पर कुछ सवाल ऐसे हैं जिन्हें हम चाहकर भी इग्नोर नहीं कर सकते हैं.
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक, 2021 लोकसभा में पेश किया. इस बिल में सभी धर्मों की लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु पुरुषों के बराबर 21 साल करने का प्रस्ताव है. श्रीमती ईरानी ने इस बिल को पेश करने के साथ यह भी कह दिया कि सरकार व्यापक विचार विमर्श के लिए इस बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने के लिए तैयार है. यदि ऐसा हो रहा है, तो इस बिल के कानून बनने के बाद पैदा होने वाली पेंचिदगियों पर अभी बातें हो जाना चाहिए.
आइए, कल्पना करते हैं कि कुछ परिस्थितियों के बारे में, जिनके सामने आने पर यही कानून परेशानी तो नहीं बन जाएगा:
1- उस लड़की के दिल से पूछिए जिसकी उम्र 18 साल से ज्यादा और 21 से कम है, लेकिन वह अपनी मर्जी से शादी करना चाहती है. लव मैरिज करने की इच्छा रखने वाली लड़कियों को भी क्या 21 साल तक इंतजार करना होगा? याइसके लिए अलग नियम बनाए जाएंगे? अगर वह 18 साल की...
शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल (minimum marriage age 21 years) किए जाने से लड़कियां बहुत खुश हैं. शादी के लिए लड़कियां सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी तैयार हो जाएंगी. 18 साल की उम्र में लड़कियां 12वीं पास कर पाती हैं, 21 तक पहुंचने पर वह ग्रेजुएशन भी कर पाएंगी. घरवालों पर लड़की की शादी को लेकर सामाजिक दबाव कम होगा, और वे निश्चिंत होकर उन्हें 21 साल तक पढ़ा पाएंगे. ऐसे तमाम फायदों के बीच कुछ पेंचीदगियां भी हैं. इन्हें प्रैक्टिकल परिस्थिति भी कहा जा सकता है. शादी की उम्र 21 साल करने पर कुछ सवाल ऐसे हैं जिन्हें हम चाहकर भी इग्नोर नहीं कर सकते हैं.
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने बाल विवाह निषेध संशोधन विधेयक, 2021 लोकसभा में पेश किया. इस बिल में सभी धर्मों की लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु पुरुषों के बराबर 21 साल करने का प्रस्ताव है. श्रीमती ईरानी ने इस बिल को पेश करने के साथ यह भी कह दिया कि सरकार व्यापक विचार विमर्श के लिए इस बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजने के लिए तैयार है. यदि ऐसा हो रहा है, तो इस बिल के कानून बनने के बाद पैदा होने वाली पेंचिदगियों पर अभी बातें हो जाना चाहिए.
आइए, कल्पना करते हैं कि कुछ परिस्थितियों के बारे में, जिनके सामने आने पर यही कानून परेशानी तो नहीं बन जाएगा:
1- उस लड़की के दिल से पूछिए जिसकी उम्र 18 साल से ज्यादा और 21 से कम है, लेकिन वह अपनी मर्जी से शादी करना चाहती है. लव मैरिज करने की इच्छा रखने वाली लड़कियों को भी क्या 21 साल तक इंतजार करना होगा? याइसके लिए अलग नियम बनाए जाएंगे? अगर वह 18 साल की होने के बाद अपनी पसंद के लड़के से अपनी मर्जी से शादी कर लेती है तो क्या उसे अवैध माना जाएगा?
2- उस लड़की की तो फजीहत ही हो जाएगी, जो 18 साल की होने के बाद किसी के साथ रिलेशनशिप में रही और गर्भवती हो गई. आमतौर पर नाबालिग लड़की के परिजन ऐसे मामले में लड़के के खिलाफ रेप का प्रकरण दर्ज करा देते थे, और यदि मामला आपसी सहमति का होता था तो शादी करा दी जाती थी. इस कानून के आने के बाद लड़का-लड़की या घरवालों के सामने क्या रास्ता रह जाएगा? 21 साल से कम उम्र के होंगे तो शादी तो कर नहीं पाएंगे, भले उनका फ्यूचर साथ में हो. लड़की का या तो गर्भपात होगा या उसे बिना ब्याह के मां बनना होगा.
3- 18 साल की होने के बाद अपनी पसंद से शादी न कर पाने वाली लड़की को यदि अपने पार्टनर के साथ रहना है तो लिवइन ही विकल्प होगा. और लिवइन रिलेशनशिप के अपने गुण-दोष हैं. लिवइन में रहने के बाद लड़के ने शादी से मना कर दिया तो वो लड़की इस कानून को बनाने वाले को दुआ तो नहीं देगी. शीर्ष कोर्ट ने कई बार यह साफ कहा है कि 18 साल के बाद लड़का-लड़की कानूनी तौर पर लिवइन में रह सकते हैं तो क्या सरकार ऐसे जोड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी?
4- शादी की उम्र 18 से 21 साल करने पर वो लड़की भी खुश नहीं होगी, जिसके परिवार वाले उसकी हर गतिविधि को शक की नजर से देखते हैं. लड़की को 'घर की इज्जत और पराई अमानत' समझने वाले तो उसे तीन साल और पहरे में ही रखेंगे. क्योंकि, समाज में सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq controversial) जैसे भी तो लोग हैं, जो मानते हैं कि शादी की उम्र ज्यादा करने से लड़कियों को आवारगी करने का मौका मिल जाएगा.
5- उन समाजों में भी लड़कियों के लिए क्या बदल जाएगा, जहां आज भी येन-केन 18 साल से पहले ही शादी कर दी जाती है. शादी की उम्र 18 साल थी तब भी बाल विवाह होते थे और अब 21 साल होने के बाद भी बाल विवाह होते रहेंगे. राजस्थान तो अकसर ऐसी खबरें आती रही हैं. यानी, अब भी बड़ी तादाद में लड़कियों की शादी का फैसला परिजनों के हाथ में है. और ऐसे परिजन तमाम कानूनी पहरों के बावजूद मनमर्जी करेंगे ही. 2019-20 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में पता चला है कि23 फीसदी शादियों में लड़की की उम्र 18 साल से कम थी.
6- अपराध या फिर कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसने पर भी उस लड़की के सिर पर 'नाबालिग' होने की तलवार लटकने लगेगी, जो 18 साल की होने के बावजूद अपना प्रेमी नहीं चुन सकती. यदि कोई केस दर्ज हो गया तो? 18 साल के बाद लड़की प्यार में पड़कर अपने प्रेमी के साथ भाग गई तो क्या उसे नाबालिग माना जाएगा? क्या शादी की उम्र बढ़ाने के बाद यौन संबंध कानून में भी बदलाव होगा?
7- शादी के दबाव को लेकर हर लड़की के पास अपनी अपनी कहानी है. अब जो लड़कियां शादी के बजाए अच्छे करिअर पर फोकस करना चाहती हैं, उनके लिए तो 21 साल की उम्र वाले कानून से भी राहत नहीं है. उस लड़की का अपना संघर्ष है, जो पीजी करने के बाद रिसर्च करना चाहती है, लेकिन उसके घरवाले और रिश्तेदार ताना देते हैं कि शादी क्या बुढ़ापे में करेगी? शहरों में आत्मनिर्भर होने के सपने संजोए बैठी लड़कियां नए विधेयक को नाकाफी मानती हैं. इससे थोड़ी मोहलत मिलेगी, लेकिन उन पर शादी का दबाव तो रहेगा ही.
8- हवाला तो उन गरीब परिवारों के बारे में भी दिया जा रहा है, जिनकी 18 साल की बेटी, अच्छा रिश्ता होने के बावजूद अब ब्याही नहीं जा सकेगी. हो सकता है कि उसे कोई अच्छा जीवन साथी मिल रहा हो ऐसे में उस लड़की के माता-पिता क्या करेंगे? अगर लड़की की मर्जी भी हो तो क्या सिर्फ इस कानून की मजबूरी में 3 साल के लिए रूक जाएंगे?
9- इस कानून में उन लड़कियों के बारे शायद नहीं सोचा गया, जो पढ़-लिखकर नौकरी नहीं करना चाहती हैं. ऐसी बहुत सी लड़कियां हैं जो हाउसवाइफ ही बनना चाहती हैं. यह उनकी मजबूरी नहीं होती बल्कि उनकी मर्जी है. वे शादी के बाद पहले बच्चे के लिए 3-4 साल की समय भी लेती हैं. उनके लिए इस फैसला का क्या असर होगा? अब सबको नौकरी करने का तो मन हो ऐसा जरूरी तो नहीं और वह कुपोषण की शिकार ही हो, यह भी जरूरी नहीं. अब सारी लड़कियां शादी करते ही मां भी नहीं बन जातीं. वे प्लानिंग के तहत अपना समय भी लेती हैं.
वैसे शादी की उम्र भले ही 18 से 21 साल कर दी गई है लेकिन समाज के लोगों को समझाना सबसे बड़ी चुनौती है. खासकर, लड़कियों के माता-पिता को जागरूक करने और उनतक सभी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने का काम जिम्मेदारी भरा है. कई ग्रामीण लोगों को तो कुछ पता भी नहीं होता है, वे तो बस बेटी की जल्द से जल्द शादी करके अपना बोझ हल्का करना चाहते हैं.लोगों को समझाना होगा कि सरकार बेटियों के लिए मुफ्त में इतनी सुविधाएं दे रही है कि वे किसी के लिए बोझ नहीं बनेंगी. सरकार बेटियों के स्वास्थ, शिक्षा, स्किल ट्रेनिंग के लिए कई सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है. वैसे आपकी इस बारे में क्या राय है?
देखिए बिल पेश करते हुए स्मृति ईरानी ने कैसे विपक्ष को जवाब दिया-
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